Bichadne Ki Shayari In Hindi : बिखरी नहीं हु में हमेशा निखरी हूँ,जब भी किसी से बिछ्ड़ी हु. वो कहता था तुम्हारी कसम,कभी न छोडूंगा तुम्हे,आज देखे हम अभी तक ज़िंदा है वाह,यार क्या झूठी कसम खाई थी तूने.
हर कोई मेरे जैसा ही नहीं है और न ही तेरे जैसा है जो पास है! वही जीवन का सही आश है! उसी से मिटाता जीवन का प्यास है
221 ज़ोर क़िस्मत पे चल नहीं सकता ख़ामुशी इख़्तियार करता हूँ
आँधियों ने लाख बढ़ाया हौसला धूल का, दो बूँद बारिश ने औकात बता दी
एक जैसे दोस्त सारे नही होते,कुछ हमारे होकर भी हमारे नहीं होते।आपसे दोस्ती करने के बाद महसूस हुआ,कौन कहता है ‘तारे ज़मीं पर’ नहीं होते।
कितनी जल्दी ज़िन्दगी गुज़र जाती है,प्यास भुझ्ती नहीं बरसात चली जाती है.तेरी याद कुछ इस तरह आती है.नींद आती नहीं मगर रात गुज़र जाती है।
मैं मोती तू धागा है, तेरे बिना भला मेरा वजूद क्या है।
बारहा उसने सफाई हमसे की कुछ खलिश* हर बार बाकी रह गई
एक दीवाने को जो आए हैं समझाने कई पहले मैं दीवाना था और अब हैं दीवाने कई
वो सफर बचपन के अब तक याद आते है मुझे सुबह जाना हो कहीं, तो रात भर सोते न थे
न जाने कौन सा आँसू किसी से क्या कह दे.. ~ हम इस ख़्याल से नज़रें झुकाए बैठे हैं..
बारिश के पानी को अपने हाथों में समेटलो, जितना आप समेट पाये उतना आपहमें चाहते है, और जितना न समेट पाएउतना हम आप को चाहते है.
उसके हाथ की गिरिफ्त ढीली पड़ी… तो महसूस हुआ यही वो जगह है जहाँ रास्ता बदलना है
मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला,अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला।
मेरे दोस्त की पहचान यही काफी है,वो हर शख्स को दानिस्ता* खफा करता है।तुम तक़ल्लुफ़ को भी इख़लास समझते हो फ़राज़,दोस्त होता नहीं हर हाथ मिलाने वाला।
अगर मेरी चाहते के मुताबिक़ज़माने में हर बात होतीतो बस में होता और वो होतीऔर सारि रात बरसाद होती।
साथ जी नहीं पाओगे हमने कहा तेरी दोस्ती के साथ मरना भी क़ुबूल है
हर सच जानती थी मैंफिर भी अनजान बनकरमुस्कुराते हुए उसकाहर झूठ सुना है।
सच्चे दोस्त हमे कभी गिरने नहीं देते,ना किसी कि नजरों मे ना किसी के कदमों मे।
कभी तुम्हारे लबों पे ये बात आती होगी ना उसने जब जब रुलाया तुम्हें मेरी याद आती होगी ना
इस नाज़ुक दिल मे किसी के लिये इतनी मोहब्बत है, ~ हर रात जब तक आँख भीग ना जाये नींद नही आती…
पहले रिम-झिम फिर बरसात और अचानक कडी धूप,मोहब्बत ओर अगस्त की फितरत एक सी है!
टूटे हुए दिल की बस ये दुहाई है, प्यार जैसी चीज़ रब ने क्यों बनाई है
मेरी खामोशियो का कोई मोल नहीं ~ उनकी जिद्द की कीमत ज्यादा है!!!
जिसकी क़िस्मत में लिखा हो रोना,वो मुस्कुरा भी दे तो आंसू निकल जाते हैं !
तेरे भाई के हाथों की लकीरें बहुत ख़ास हैं,तभी तो तुम जैसा दोस्त हमारे पास हैं.
जो ज़ुबान से बयान नहीं होते ~ उन्हीं लफ़्ज़ों से अश्क़ बनते हैं
मैं क्या करूँ कि ज़ब्त-ए-तमन्ना के बावजूद बे-इख़्तियार लब पे तिरा नाम आ गया
किसी ना किसी पे किसी को एतवार हो जाता हैं, अजनबी कोई शख्स यार हो जाता हैं खुबियो से, नहीं होती मुहब्बत सदा कमियो से भी अक्सर, प्यार हो जाता हैं,
मैंने तो समझा था के मिल कर दास्तान पूरी हुई,वो बिछड़ कर और भी लम्बी कहानी कर गए.
मोहब्बत तो वो बारिश है जिससेछूने की चाहत मैं ! हथेलियां तो गीलीहो जाती है पर हाथ खाली ही रह जाते है !!
मजबूरियाँ ओढ़ के निकलता हूँ घर से आजकलवरना शौक तो आज भी हैं बारिशो में भीगने का.
इलाही क्यूँ नहीं आती क़यामत माजरा क्या है, ~ हमारे सामने पहलु में वो दुश्मन के बैठे है.
कितने पहलवान पछाडे है ख्वाहिशों के, ~ जिंदगी तेरे इश्क़ ने हमें “सुल्तान” बना दिया…
कश्तियाँ मौज़ों में तूफ़ान में लंगर डूबे हम बचे थे तो किनारे पे पहुंच कर डूबे मैं तो कतरा था नज़र उनसे मिलाता कैसे ऐसी आँखें के समंदर के समंदर डूबे…
कल रात मैने सारे गमआसमान को सुना दिएआज में चुप हु और आसमानबरस रहा हे
जब भी दुआ मांगते हैं रब सेतेरा ज़िक्र आ ही जाता है फिरचाहो आरसे हो गए हो हमें बिछड़े।
दिल से ना मिट सका एक ज़माने के बाद भी ~ वो याद आ रहा है आज भुलाने के बाद भी
तसव्वुर को मेरे इतना न फूँको, ~ तुम्हारी रोटियाँ जलने लगी है
मुझ ग़ुलाब को नहीं मालूम, ~ किन दो पन्नों के बीच, मेरी लाश.. कब से दफ़न है… **************************************
साथ तेरे चलने की खातिर ज़माने से पिछड़ गए हैं, तूने अपनाया नहीं तेरे चक्कर में अपनों से भी बिछड़ गए।
दुनिया में कोई लुत्फ करे या जफा* जब मैं न हूं बला से मेरी कुछ हुआ करे
बस साथ चलते रहो ऐ दोस्त, कुछ पल की नहीं, यह दोस्ती हमें उम्र भर चाहिए ।
कभी झगड़ा, कभी मस्ती, कभी हंसी । छोटा सा पल , छोटी – छोटी खुशी एक प्यार की कश्ती और ढेर सारी मस्ती , बस इसी का नाम तो है दोस्ती ।
यूँ मआनी से बहुत ख़ास है रिश्ता अपना ज़िंदगी कट गई लफ़्ज़ों को ख़बर करने में
रूह तक सुलगने लगती है ये मसले कब आसानी से सुलझे हैं तुम्हें नया इश्क़ हो गया हम अभी यादों में उलझे हैं
ज़िंदा है शाहजहाँ की चाहत अब तक, गवाह है मुमताज़ की उल्फत अब तक, .. जाके देखो ताज महल को ए दोस्तों, पत्थर से टपकती है मोहब्बत अब तक..
किसी की बाते बेमतलब सी तोकिसी की ख़ामोशी कहर है
तुम्हारी दोस्ती मेरे सुरूर का साज है तूझ जैसे दोस्त पे मुझे नाज़ है , चाहे कुछ भी हो जाए पर ये दोस्ती हमेशा वैसे ही रहेगी जैसे आज है ।
आप दूसरे लोगो में रूचि लेकर दो महीने में ही बहोत से दोस्त बना सकते हो,लेकिन ऐसे लोग जिन्हें आपमें रूचि हो शायद उन्हें दोस्त बनाने में साल लग जाते है।
लोग शोर से जाग जाते है…. ~ मुझे तुम्हारी ख़ामोशी सोने नही देती….
इसान अगर दिल से खेलना छोड़ देतो किसी की भी मोहब्बत अधूरी नही होगी !
वही टूटी हुई कश्ती, वही पागल हवाएँ हैं ~ हमारे साथ दुनिया में नया कुछ भी नहीं होता ….
सच्चा प्यार उसी से होता है, जो कभी हमारे नही हो सकते है.
हुकुमत वही करता है जिसका दिलों पे राज होता है, वरना युं तो गली के मुर्गो के सर पर भी ताज होता है..
इंसान बिछड़ता है यादें याद रह जाती है, ज़ुबान बदल जाती हैं बस बातें याद रह जाती है।
क्या मिला मुझसे दूर रह करलोग आज भी तुझे मेरीमोहब्बत कहते हैं।
जुनून-ए-इश्क की रस्में अजीब क्या कहना…मैं उससे दूर वो मुझसे करीब क्या कहना…
दोस्ती का शुक्रिया कुछ इस तरह अदा करूँ, आप भूल भी जाओ तो मैं हर पल याद करूँ, खुदा ने बस इतना सिखाया हैं मुझे, कि खुद से पहले आपके लिए दुआ करूँ।
यादों के भंवर में एक पल हमारा हो,खिलते चमन में एक गुल हमारा हो,जब याद करें आप अपने दोस्तों को,उन नामों में एक नाम हमारा हो।
किसी के काम न जो आए वो आदमी क्या है जो अपनी फिक्र में गुजरे वो ज़िन्दगी क्या है 😓😓😓
तकदीर लिखने वाले एक एहसान करदे,मेरे दोस्त की तकदीर मैं एक और मुस्कान लिख दे,न मिले कभी दर्द उनको,तू चाहे तो उसकी किस्मत मैं मेरी जान लिख दे.
आज माँ तेरी याद मे रो रहा था, मैं कैसे बताऊ उनका बेटा बीमार है।
मुस्कराहट का कोई मोल नहीं होता,कुछ रिश्तों का कोई तोल नहीं होता,लोग तो मिल जाते है हर मोड़ पर,हर कोई आप की तरह अनमोल नहीं होता।
अब दूर जाने का वक्त आ गयाक्योकि फासला इस बार दिलो का है।
मोहब्बत की है तुम से, बेफिक्र रहो, नाराज़गी हो सकती है, पर नफ़रत कभी नहीं होंगी
ऐ दोस्त तेरी दोस्ती की क्या दाग दू,तेरी दोस्ती को तो खुदा भी तरसता होगा,दुआ है रब से हम कभी जुदा ना हो।
भरे बाजार से अक्सर मैं खाली हाथ आया हूँ कभी ख्वाहिश नहीं होती कभी पैसे नहीं होते 😋😋😋
ऐसी क़िस्मत कहाँ कि जाम आता ~ बू-ए-मय भी इधर नहीं आई
आओ ताल्लुकात को कुछ और नाम दें,ये दोस्ती का नाम तो बदनाम हो गया।
हर वक़्त फ़िजाओं में महसूस करोगे तुम मेरे दोस्त,हम दोस्ती की वो ख़ुशबू हैं जो महकेंगे ज़मानों तक।
किस लिए वो शहर की दीवार से सर फोड़ता क़ैस दीवाना सही इतना भी दीवाना न था
अब जुदाई के सफफर को मेरे आसान करो, तुम मुझे ख़्वाब में आकर न परेशान करो !