Berukhi Shayari In Hindi : आदत हमारी कुछ इस तरह हो गई, उनकी बेरूखी से भी मुहब्बत हो गई. बहुत दर्द होता है जब आपको वो इंसान इग्नोर करें, जिसके लिए आप पूरी दुनिया को इग्नोर करते हैं.
आज देखी है हमनें भी !!बेरुखी की इन्तेहाँ !!हम पर नजर पड़ी तो !!वो महफ़िल से उठ गए !!
#उदास क्यों होता हैं ऐ दिल उनकी बेरुखी पर, वो तो बड़े लोग है अपनी मर्जी से याद करते हैं!!!
करके वादा मुकर गया आखिर, तू भी दिल से उतर गया आखिर Karke wada mukar gaya aakhir, Too bhi dil se utra gaya aakhir.
हमारी चाहत को आपने.!!हमारी बेरुखी बना दी.!!क्या भूल थी हमारी.!!जो आपने यह सजा दे दी.!!
वो हमसे खफा बैठे हैं क्योंकि गलती से वो किसी ओर की बातो में आ बैठे है।
तेरी बेरुखी ने दिल को बंजर बना दिया.!!वरना कभी मेरा दिल भी गुलजार हुआ करता था.!!
वक़्त का खास होना ज़रुरी नहीं, खास लोगों के लिये वक़्त होना ज़रुरी हैं!
ईश्वर जो चाहे कर सकता है बंदा कुछ नहीं कर सकता वह राई का पहाड़ बना सकता है और पहाड़ को राई कर दे, यानि छोटे को बड़ा और बड़े को छोटा कर सकता है ।
जिन्हें खुशी मिलती है हमसे दूर रहकर उनके लिए दुआ है हम उन्हें कभी ना मिले.
ए नसीब जरा एक बात तो बता, तू सबको आज़माता है या मुझसे ही दुश्मनी है।।
इस क़दर जले है तुम्हारी बेरुख़ी से !!के अब आग से भी सुकून सा मिलने लगा है !!
तुमने हम से बात करना छोड़ दिया !!इतनी बेरुखी भी ठीक नहीं !!अब हम आपकी एक झलक भी ना देख पाए !!अब इतनी भी नाराज़गी ठीक नहीं !!
बेरुखी की आदत जिन्हें होती है.!!अक्सर दुनिया उनसे रूठी होती है.!!
इस संसार में आकर हे प्राणी तू अभिमान को छोड़ दे और जो कुछ लेना हो उसे ले ले नहीं तो पैंठ उठी जाती है अर्थात बीता हुआ समय फिर नहीं हाथ आता है ।
जिंदगी में कुछ हसीन पल यूंही गुजर जाते हैं रह जाती हैं यादें और इंसान बिछड़ जाते हैं।
अब गिला क्या करना उनकी !!बेरुखी का दिल ही तो था भर गया होगा !!
मुझसे दुरिया बनाकर तो देखो.!!फिर पता चलेगा कितना नजदीक हू में.!!
अब कैसे समझाऊ इस दिल को !!की अब वो वापस लौटकर नहीं आने वाले !!
भरी सख्ती मिजाज़ों में नहीं पैदायशी.!!हैं हम किसी की बेरूखी झेली पिघल.!!के फिर जमे हैं हम.!!
#तुम्हारी बेरुखी ने लाज रख ली बादाखाने की, तुम आखों से पीला देते तो पैमाने कहा जाते!!!
तुमने हम से बात करना छोड़ दिया !!इतनी बेरुखी भी ठीक नहीं !!अब हम आपकी एक झलक भी ना देख पाए !!अब इतनी भी नाराज़गी ठीक नहीं !!
ईश्वर का नाम लेने से जीवात्मा की शांति हो गयी और मोह माया की आग दूर हो गयी । रात-दिन सुख से व्यतीत होने लगे और हृदय में ईश्वर का रूप दिखने लगा ।
कबीर जी कहते हैं कि साधु की संगति नित्य ही करनी चाहिए । इससे दुर्बुद्धि दूर होके सुमति प्राप्त होती है।
जिसके हृदय के अंदर दया तो लेशमात्र नहीं और वह ज्ञान की बातें खूब बनाते हैं वे आदमी चाहे जितनी साखी (भगवान की कथा) क्यों न सुने उन्हें नरक ही मिलेगा ।
#बेरुखी उसकी जफा उसकी नदामत उसकी, उसकी नजरो से जलकती है शराफत उसकी!!!
मोहब्बत में हम उन्हें हारे हैं,जो कहते थे बस हम तुम्हारे हैं…Mohabbat mein hum unhe haare hain,Jo kahte the bas hum tumhare hain…
उनकी बेरुखी हमसे कुछ इस कद्र बढ़ गयी है की हमारा चेहरा तक देखने की उनकी मर्जी नहीं है।
#शिकायत न करना किसी से बेरुखी की इंसान की फितरत ही होती है जो चीज पास हो उसकी कद्र नही करता!!!
#मेरी जंग थी वक्त के साथ फिर वक्त ने ऐसी चाल चली मै अकेला होता गया!!!
तेरी बेरुखी ने छीन ली है शरारतें मेरी.!!और लोग समझते हैं कि मैं सुधर गयी हूँ.!!
यह मनुष्य जन्म बड़ी मुश्किल से मिलता है । और यह देह बार-बार नहीं मिलता जिस तरह पेड़ से पत्ता झड़ जाने के बाद फिर डाल में नहीं लग सकता है ।
कबीरदास जी कहते हैं कि इस संसार में या तो परमात्मा जागता है या ईश्वर का भजन करने वाला या पापी जागता है, और कोई नहीं जागता ।
बे-ख़ुदी ले गई कहाँ हम को.!!देर से इंतिज़ार है अपना.!!
खुदा ने किस्मत में साँसे लिखी थी, इंसानो ने रोक दी।
मेरे ऐटिटूड में इतना करंट है, की तू जल के ख़ाक हो जायेगी!
पता था हमको उनकी हर चालाकी का फिर भी हम उन गद्दारो को आजमाना चाहते थे.!!
सोचते है सीख ले हम भी बेरुखी करना !!सब से !!सब को महोब्बत देते देते हमने !!अपनी क़दर खो दी है !!
मोहब्बत है या नशा था जो भी था कमाल का था रूह तक उतारते उतारते जिस्म को खोखला कर गया
पानी ऊँचे पर नहीं ठहरता है वह नीचे ही फैलता है । जो नीचा झुकता है वह भर पेट पानी पी लेता है, जो ऊँचा ही खड़ा रहे वह प्यासा रह जाता है ।
क्या मालूम था कीदिल यूँही बिखर जाएगा,टूट जाएगा आईना,और दिल बिखर जाएगा…Kya maloom tha ki,Dil yuhi bikhar jaega,Tut jaega aaina,Aur dil bikhar jaega…
मर तो जाता हूँ दुनिया की बेरुखी से दिन में रात को सोता हूँ तो कल की उम्मीद जिला देती है
काश वह समझते इस दिल की तड़प को !!तो यूँ रुसवा ना किया होता !!उनकी ये बेरूखी भी मंजूर थी हमें !!बस एक बार हमें समझ लिया होता !!
यूँ ना खींच मुझे अपनी तरफ बेबस कर के,ऐसा ना हो के खुद से भी बिछड़ जाऊं और तू भी ना मिले.
कभी खामोश रहने पर भी हो जाती थी, हमारी फिक्र उनको, आज आंसू बह जाने पर भी जिक्र नहीं होता !
पहले सी बात न थी, इश्क अब फीका था, अभी-अभी उन्होंने नजरअंदाजी का हुनर सीखा था.
हो सके तो दोस्ती कर लेना,पर दिल किसी से कभी न लगाना..Ho sake toh dosti kar lena,Par dil kisi se kabhi na lagana…
ये मोहब्बत भी बड़ी है बेरुखी चीज है जनाब.!!जिससे होती है उसे दीवाना बना देती है.!!
#तेरी बेरुखी का ही अंजाम है ये की अब मैं खुद से भी नाराज रहने लगा हूं!!!
कहाँ तलाश करोगे तुम दिल हम जैसा.!!जो तुम्हारी बेरुखी भी सहे और प्यार भी करे.!!
“यह जिन्दगी चल तो रही थी, पर तेरे आने से मैंने जीना शुरू कर दिया!”Yah Jindagi Chal To Rahi Thi, Par Tere Ane Se Maine Jina Shuroo Kar Diya!
टूटे हुए काँच की तरह चकनाचूर हो गए किसी को लग ना जाए इसलिए सबसे दूर हो गए !
वक्त बदल जाता है ज़िन्दगी के साथ ज़िन्दगी बदल जाती है वक्त के साथ वक्त नहीं बदलता दोस्तों के साथ बस दोस्त बदल जाते हैं वक्त के साथ
देखा है ज़िंदगी को कुछ इतने क़रीब से, चेहरे तमाम लगने लगे हैं अजीब से।
ये कैसी पहचान बनाई है तुमने अपनी, नाम तेरा आने पर भी लोग याद मुझे करते है
तुम लाना दर्द, हम खुशी लायेंगे, तुम्हारी हर वेवफाई को वफा से निभायेंगे !
तेरी दुनिया में मुझे एक पल दे दे !!मेरी बेरुखी ज़िन्दगी का गुज़रा हुआ कल दे दे !!वो वक्त जो गुज़ारा था साथ तेरे !!अब उन्हें भूल पाऊं ऐसा कोई हल दे दे !!
आदत हमारी कुछ इस तरह हो गई.!!उनकी बेरूखी से भी मुहब्बत हो गई.!!
आखिर क्यों मुझे तुम इतना दर्द देते हो,जब भी मन में आये क्यों रुला देते हो,निगाहें बेरुखी है और तीखे है लफ्ज,ये कैसी मोहब्बत है जो तुम मुझसे करते हो…
ये शाम भी आज बेरुख सी दिख रही है.!!तेरी आंखों में भी उदासी दिख रही है.!!
“दुनिया में रहने की सबसे अच्छी दो जगह, एक तो किसीके दिल में या तो किसीके दुआओं में।”
बिखरा वज़ूद, टूटे ख़्वाब, सुलगती तन्हाईयाँ,कितने हसींन तोहफे दे जाती है ये अधूरी मोहब्बत.
यू चुप ना बैठा करो !!इतनी बेरुखी भी ठीक नहीं !!तुम जब भी लड़ती हो मुझ से !!तेरी आंखों में प्यार नज़र आता है !!
मेरी मोहब्बत को युही नीलम न कर,गरीब हूँ खरीद नहीं पाऊंगा..Meri mohabbat ko yuhi nilaam na kar,Gareeb hoon kharid nahi paunga…
बेहतर हैं उन रिश्तों का टूट जाना,जिस रिश्ते की वजह से आप टूट रहे हैं..Behtar hain un rishto ka tut jana,Jis rishte ki wajah se aap tut rahe hain..
मेरी हर खुशी तुम पर कुर्बान, मेरे हर ख्वाब तुम पर कुर्बान, तुम्हारे लिए तो मेरी ये जान भी कुर्बान।
कबीर जी कहते हैं कि साधु की संगति में जौ कि भूसी खाकर रहना उत्तम है, परंतु दुष्ट की संगति में खांड़ मिश्रित खीर खाकर भी रहना अच्छा नहीं ।
तेरी बेरुखी को भी रुतबा दिया हमने.!!प्यार का हर फ़र्ज़ अदा किया हमने.!!मत सोच कि हम भूल गए है तुझे.!!आज भी खुदा से पहले तुझे याद किया हमने.!!
आज उसने हमसे बिछड़ने की चाहत की है, हमने भी उनकी चाहत पूरी हो जाने की इबादत की है
उनकी बेरुखी हमें इतना दर्द दे रही हैं की इस दर्द को सहने की क्षमता हमसे झिल नहीं रही है।
तेरी दुनिया में मुझे एक पल दे दे, मेरी बेरुखी ज़िन्दगी का गुज़रा हुआ कल दे दे, वो वक्त जो गुज़ारा था साथ तेरे, अब उन्हें भूल पाऊं ऐसा कोई हल दे दे.
“उसे भुलाना मेरे बस में नहीं, और पाना किस्मत में नहीं।”Use Bhulana Mere Bas Mein Nahin, Aur Pana Kismat Mein Nahin.
आज कल के लोगों को एक दिन की मौत नहीं बल्कि पल-पल की मौत आती है