Bechaini Shayari In Hindi : कभी कभी पा लेने की बेचैनी से खो देने का सुकून अच्छा होता है।। दर्द होगा , बेचैनी होगी, बेकरारी भी होगी अगर मोहब्बत करते हो तुम्हें भी ये बिमारी जरूर होगी ।।
अपनी सियाह पीठ छुपाता है आइना सब को हमारे दाग़ दिखाता है आइना आज जो ऊँचाई पर है क्या पता कल गिर पड़े इतना कह के ऊँची शाख़ों से कई फल गिर पड़े
जहा कदर ना होवहा जाना फ़िज़ूल हैचाहे किसी का घर होया किसी का दिल।
जब जिक्र होता है कही सुकून का मुझे तेरी याद आ जाती है Jab jikra hota hai kahi sukoon ka mujhe Teri yaad aa jati hai
वो जिस दिन करेगा याद मेरी मोहब्बत को रोयेगा बहुत खुद को बेवफा कह कर. Wo Jis Din Karega Yaad Meri Mohabbat Ko Royega Bahut Khud Ko Bewfa Kah Kar.
बारिशों के मौसम में,अंबर से पानी बरसता है…तेरी जुदाई के इंतजार में,मेरी आंखों से पानी बरसता है!!
मैं अपने दुश्मन के भी गले लग जाऊँ… शर्त ये है वो तुझसे मिलकर आया हो…!
काश उस जाते हुए वक्त को रोक सकते, आपके साथ गुजरा हर लम्हा जोड़ सकते, ना जाने कितनी यादें जो आपने दी हमें, काश जिंदगी को हम पीछे मोड़ सकते.,
तुझसे नाराज़ होकर तुझसे हीबात करने का मनये दिल का सिलसिला भीकभी ना समझ पाए हम।
इबादत ख़ुदा की ब-उम्मीद-ए-हूर, ~ मगर तुझ को ज़ाहिद हया कुछ नहीं
तेरी महफ़िल और मेरी आँखें दोनों सदा ही भरी-भरी रहती हैं
ख़तरे के निशानात अभी दूर हैं लेकिन सैलाब किनारों पे मचलने तो लगे हैं!!!
तेरे इंतजार में मैंनेअपनी पलके बिछा के रखी है…जरा संभल कर चलना…मेरी पलकों में कुछ चुभ ना जाए!!
अब तो किस्मत ही मिला दे तो मिल जाये ~ वरना हम तो बिछड़े हैं तूफ़ानों में…परिंदों की तरह **************************************
मेरे बस मे हो तो लहरो को इतना हक़ भी ना दू…. ~ लिखु नाम तेरा किनारे पे और लहरो को छुने तक ना दू….
सैकड़ों ख़ाब पाले हैं, ~ आँखों की औक़ात तो देखो…
♠♠♠♠ देर तो लगती है पर सब समझ आ जाता है कौन कैसा है सब नजर आ जाता है दिखावा कब तक यूँ ही करते रहोगे सुना है वक्त सब कुछ दिखा जाता है..!!
कभी- कभी मेरे दिल में ख्याल आता है कि खुदा का दिया हुआ दिमाग है पर ख्याल दिल में ही क्यों आता है!!
घोंसला बनाने में यूँ मशग़ूल हो गए, उड़ने को पंख हैं, हम ये भी भूल गए…
शोर की इस भीड़ में ख़ामोश तन्हाई सी तुमज़िंदगी है धूप, तो मद-मस्त पुर्वाई सी तुम
ज़िन्दगी की राहों मेये होता हैदिल मे कोई और तोहमसफ़र कोई और होता है।
तौहीन ना करो नीम को कड़वा कहकर ~ कुछ जिंदगी के तजुर्बे नीम से भी कड़वे होते है!
किसे यकीन की तुम देखने को आओगे, ~ आखिरी वक़्त मगर इंतज़ार और सही.
सुकून की रात अब नही आती है वो चली गई अब उसकी याद भी नही आती है Sukoon ki raat ab nahi aati hai wo chali gai hai ab usaki yaad bhi nahi aati hai
ख़बर उस बेखबर की ला देती ~ तुझ से इतना भी ए सबा न हुआ
मेरे दिल की हालत भी मेरे वतन जैसी है… जिसको दी हुकुमत, उसी ने बर्बाद किया
या रब एक आइना ऐसा बना दे ~ जिसमें चेहरा नहीं नीयत दिखाई दे
न जाने इतना प्यार कहां से आया है तुम्हारे लिये, की मेरा दिल भी तुम्हारे खातिर मुझसे ही रूठ जाता है !
इश्क-ऐ-दरिया में हम डूब कर भी देख आये, वो लोग मुनाफे में रहे जो किनारे से लौट आये.
थोड़ी सी तो मेहरबान हो जा मुझ पर…ऐ खुशी…! ~ थक गया हूँ हँसी की आड़ में गम छुपाते छुपाते…
मुझे आदत नहीं यू हर किसी पे मरने कीपर तुझे देखकर दिल नेसोचने तक की मोहलत नही दी।
बेचैनी के इस आलम में, तुम्हारी बातें बहुत सुकून देती है मुझे !!
दुआ है की हर बेचैन दिल को सुकून हो Dua hai ki har bechain dil ko sukoon ho
अच्छा लगता हैं तेरा नाम मेरे नाम के साथ, जैसे कोई खूबसूरत जगह हो हसीन शाम के साथ !
अरमां तमाम उम्र के सीने में दफन है… हम चलते फिरते लोग मजारों से कम नहीं
चुप चाप चल रहे थे सफर-ऐ-हयात में, तुम पर नजर पड़ी तो गुमराह से हो गये…
कोई काम न करे ऐसा हम दोनों भाई, कि माँ-बाप को अपनी परवरिश पर हो रूसवाई.,
रोज़ रोते हुए कहती है ये ज़िंदगी मुझसे सिर्फ एक शख्स कि खातिर मुझे बर्बाद मत कर!!!
बहुत भीड़ हो गई तेरे दिल में ~ अच्छा हुआ हम वक्त पर निकल गए!
चाँद नहीं चांदनी हो तुम, राग नहीं रागिनी हो तुम, मेरी ज़िन्दगी को ज़िन्दगी बनाने वाले, कोई गैर नहीं अपनी हो तुम !
तुम ख़ास थे इसलिए लड़े तुमसे पराए होते तो मुसकुराकर जाने देते।
राम मंदिर के कण-कण में है कला का संगम, दरवाजों की नक्काशी कर देगी आपको भाव-विभोर, देखें तस्वीरें
बीताने को एक उम्र है तेरे बीना औरगुजरता तो एकलम्हा भी नहीं।
रास्ते कठिन भले होते है लेकिन मंजिल सुकून बहुत देता है Raste kathin bhale hote hai lekin manjil sukoon bahut deta hai
करीब आने की उन्हें फुरसत नहीं, ~ और मुझपे इलज़ाम लगा है दूरियाँ बनाने का !!
तमन्ना उसके वजूद की होती तो दुनिया से छीन लेता इश्क उसकी रूह से है इसलिये खुदा से माँगता हुँ!!!
दो हिस्सों में बंट गए मेरे दिल के सब अरमान ~ कुछ तुझे पाने निकले तो कुछ मुझे समझाने निकले…
अब तो आ भी जाओ…यूं नहीं जिया जाता है,इंतजार करते-करते….यूं ही जिन्दगी ना बीत जाए,इंतजार करते करते…
कमाल-ए-होश कहूँ मैं उसे, के बे ख़बरी, ~ तेरी ख़बर के सिवा कुछ ख़बर नहीं मुझे
ज़िन्दगी सारी उम्र संभालती रहीदो पाव परमौत ने आते ही कहा मुझे चार कंधे चाहिए।
बेशक़ ख्वाइशें चांद की करो मगर कबूल उसका दाग भी करो।
इब्न-ए-मरयम हुआ करे कोई ~ मेरे दुख की दवा करे कोई
कुछ इस तरह बिखरे उसकी मोहब्बत में हम ~ कि टूटा भी कुछ नहीं और बचा भी कुछ नहीं
तम मेरे घर के सामने रहती तोइतना गजब हो जाताकी दो छत की दूरी से मुझे चाँद नज़र आता।
तुम उलझे रहेहमें आज़माने में और हम हद से गुज़र गएतुम्हे चाहने मे।
खुश नहीं हूँ मजबूर हूँ तेरी ख़ुशी के लिए तुझसे दूर हूँ. Khush nahi hun majbur hun teri khushi ke liye tujhse dur hun.
तुम्हारी यादों में खोया रहता हूँ, दिल करता है कि तुम्हें गले लगा लूँ !
किसी को तुम दिलसे चाहो….और वो तुम्हारी कदर ना करे तो… ~ ये उसकी बदनसीबी है….तुम्हारी नही……
इन निगाहों को इंतजार हैबस तेरा की कब तू सामने आएऔर भी दीदारे यार हो जाए!!
तुम्हारे साथ खामोश भी रहूँ तो बातें पूरी हो जाती हैं, तुम में, तुम से, तुम पर ही मेरी दुनिया पूरी हो जाती है.,
तेरी मोहब्बत में कुछ ऐसा हाल हम बनाए बैठे हैं….कि बस खामोशी से तेरा इंतजार किए जा रहे हैं….
भोले बन कर हाल न पूछ बहते हैं अश्क तो बहने दो.जिस से बढ़े बेचैनी दिल की ऐसी तसल्ली रहने दो,आरज़ू लखनवी
कुछ रिश्तो मेमुनाफा नहीं होता मगर ज़िंदगी को अमीर बना देती है।
मोहब्बत की तड़प वही जान सकता है जिसने किसी से सच्चा प्यार किया हो…. क्योंकि सच्ची मोहब्बत मे कुछ मिले या ना मिले दर्द और आसूँ जरुर मिलते है..
बस इस गुमान पे उसको भुला नहीं पाया, ~ मैं एक रोज़ उसे याद आने वाला हूँ…
ये ठंडी सी रात तेरी याद दिलाती हैं, मुझसे दूर है तू फिर भी तेरी आहट सुनाती हैं.,
तेरी नेकी का लिबास ही, तेरा बदन ढकेगा….. ~ सुना है ऊपर वाले के घर, कपड़ो की दुकान नहीं होती..
आज सोचा की तुम्हें मेसेज क्या भेजू, तुम मुस्कुराओ ऐसा पैगाम क्या भेजू, कोई फूल तो मुझे ऐसा मालूम नहीं, क्योंकि जो खुद गुलशन हो उसे गुलाब क्या भेजू.,
मोहब्बत अब समझदार हो गयी है ~ हैसियत देख कर आगे बढ़ती है।
न चारागर की ज़रूरत न कुछ दवा की है ~ दुआ को हाथ उठाओ कि ग़म की रात कटे
आज भी कितना नादान है दिल समझता ही नहीं !!बरसों के बाद उन्हें देखा तो दुआएँ माँग बैठा !!
हमेशा अपनी छोटी छोटी गलती से बचोक्योकि इंसान पहाड़ से नहीं पत्थर से टकराता है।
दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा न हुआ ~ मैं न अच्छा हुआ बुरा न हुआ