Barish Pe Shayari In Hindi : बारिश की बुंदे भी क्या वफा निभाती हैं ! दूर आसमा से निकल कर, जमी में मिल जाती हैं ! बारिश की बूंदे आज मेरे चेहरे को छू गई, लगता है शायद आसमा को जमी मिल गई !
आज दिन भर बारिश होने की संभावना है.. कृपया अपने दिमाग वाली जगह को प्लास्टिक से ढक लो, क्योकि खाली जगहों में पानी जल्दी भरता है.. Happy Rainy Day!
सड़कों पर जमा पानी देखकरशहर की बारिश का पता चलता है,जब गाँव में बारिश होती हैतब बाग़-बगीचों और खेतों मेंहरियाली ही हरियाली नजर आती है.
खुद को इतना भी ना बचाया करो,बारिशे हुआ करे तो भीग जाया करो।
मेरा शहर तो बारिशों का घर ठहरा, यहां की आँखे हो या दिल बहुत बरसती है।
सोचता हुँ कभी रात के सन्नाटों मेंबे मौसम बारिशों में तेरा साथ हो..
इस बारिश के मौसम में अजीब सी कशिश हैना चाहते हुए भी कोई शिदत से याद आता है
दीवारो पर बस एक नाम लिखा था मुहब्बत!!बारिश की बूंदों ने उसे चूम चूम के मिटा दिया!!
हमारे शहर आ जाओ सदा बरसात रहती हैं !!कभी बादल बरसते हैं कभी आँखे बरसती हैं !!
मुझे मार ही ना डाले इन बादलों की साजिश।ये जब से बरस रहे हैं तुम याद आ रहे हो।
ये बादल ये बिजली सिर्फ आपके लिए है, ये मौसम ये हवा सिर्फ आपके लिए है, कितने दिन बीते आपको नहाये हुए, ये बेवक़्त बारिश सिर्फ आपके लिए है…
मौसम-ए-इश्क़ है तू एक कहानी बन के आ,मेरे रूह को भिगो दें जो तू वो पानी बन के आ!
मेरे घर की मुफलिसी को देख कर बदनसीबी सर पटकती रह गई और एक दिन की मुख़्तसर बारिश के बाद छत कई दिन तक टपकती रही रह गई।
सावन का मौसम जब भी धरती से मिलने आता है तब तब अपनी तड़प का दास्ताँबरस कर सुनाता है क्यों होती है अक्सर जुदाई उनसे जिसको दिल चाहे क्यों।
ज़रा ठहरो ✧ बारिश थम जायेतो फिर चले जाना ✧किसी का ✧ तुझ को छू लेनामुझे ✧ अच्छा नहीं लगता ✧
बारिश की बूंदो में झलकती हे उसकी तस्वीरआज फिर भीग बैठे उसे पाने की चाहत में
खुद भी रोता है और मुझे भी रुला देता है,ये बारिश का मौसम उसकी याद दिला देता है।
हाय मेरी जान . . . . . . . . . . . . . निकल रही है – सर्दी से!
हमारे दिल की आग में तेरी मोहब्बत जल जाएं, इस बारिश में हम दोनों की ज़िन्दगी सज जाएं।
बारिश का दीवाना बादल क्या जाने किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है।
क्या मस्त मौसम आया हैहर तरफ पानी ही पानी लाया हैतुम घर से बाहर मत निकलनावरना लोग कहेंगे बरसात हुई नहींऔर मेढक निकल आया है।
सावन का मौसम जब भीधरती से मिलने आता है,तब तक अपनी तड़प कादास्तां बरस का सुनाता हैक्यों होती है अक्सर जुदाई उनसेजिसको दिल चाहे क्यों ।
बनके सावन कहीं वो बरसते रहे इक घटा के लिए हम तरसतेरहेआस्तीनों के साये में पाला जिन्हें,साँप बनकर वही रोज डसते रहे!
बजट के बाद रोया है फ़ुर्सत से कोई सारी रात यकीनन; वर्ना रुख़सत-ए- फ़रवरी में यहाँ बरसात नहीं होती!
जब जब आता है यह बरसात का मौसमतेरी याद होती है साथ हरदमइस मौसम में नहीं करेंगे याद तुझे यह सोचा है हमनेपर फिर सोचा की बारिश को कैसे रोक पाएंगे हम.
और बाज़ार से क्या ले जाऊँ पहली बारिश का मज़ा ले जाऊँ
मिटटी की सौंधी सी खुशबू आने लगी है!!गर्मी अब दूर भाग जाने लगी है!!देखो प्यास भी अब बुझ जाने लगी है!!लगता है सावन की रुत छाने लगी है!!
बारिश की बूँदों में झलकती है तस्वीर उनकी औरहम उनसे मिलने की चाहत में भीग जाते है
उनकी यादों की बूँदें बरसी जो फिर से, जिन्दगी की मिट्टी महकने लगी है
बारिश के हर कतरे से !!आवाज़ तुम्हारी आती है !!
जिसको आने से मेरे जख़्म भरा करते थे।अब वो मौसम मेरे जख़्मो को हरा करता हैं।
ज़रा ठहरो ये बारिश थम जाये तो फिर चले जानाकिसी का तुझे यूँ छू लेना मुझे अच्छा नहीं लगता
सावन का मौसम जब भी धरती सेमिलने आता है तब तब अपनी तड़पका दास्ताँ बरस कर सुनाता हैक्यों होती है अक्सर जुदाई उनसेजिसको दिल चाहे क्यों।
बारिश की बूंदें गीत गाती है, मेरे दिल की तन्हाई को भुलाती है।
मुद्दतें हुई तुझे देखे जान-ए-गज़लपर्दा हटा… मुझे फैज़याब कर दें..
मेरे हिस्से की ज़मीन बंजर थी, मैं वाकिफ ना था बे-सबब इलज़ाम मैं देता रहा बरसात को
मजबूरियाँ ओढ़ के निकलता हूँ घर से आजकल,वरना शौक तो आज भी है बारिशो में भीगने का।
“फ़ुर्क़त-ए-यार में इंसान हूं मैं या कि सहाब हर बरस आ के रुला जाती है बरसात मुझे” -इमाम बख़्श नासिख़
बेशुमार मोहब्बत होगी उस बारिश कि!!बूंदे जो इस जमीन से!!यूं ही नहीं कोई मोहब्बत में इतना गिर जाता है!!
मासूम मोहब्बत का बस इतना फसाना है, कागज़ की हवेली है बारिश का ज़माना है
दिल की धड़कन रुक सी गई है; सांसे मेरी थम सी गई हैं; पूछा हमने दिल के डॉक्टर से तो पता चला; सर्दी के कारण आपकी यादें दिल में जम सी गई हैं।
अभी तो खुश्क़ है मौसम बारिश हो !!तो सोचेंगे हमें अपने अरमानों को !!किस मिट्टी में बोना है !!
हम भीगते है जिस तरह से तेरी यादों में डूब करइस बारिश में कहाँ वो कशिश तेरे खयालों जैसी
एक तो ये रात, उफ़ ये बरसात,इक तो साथ नही तेरा, उफ़ ये दर्द बेहिसाबकितनी अजीब सी हैं बात, मेरे ही बस में नही मेरे हालात
बरसात का मज़ा तेरी गेसू दिखा गए।अक्स आसमान पड़ जो परा अब्र जा गए।
मत पूछ कितनी “मोहब्बत ” है मुझे उस से , बारिश की बूँद भी अगर उसे छु ले तो दिल में आग लग जाती है
बारिश की बूंदें जब झूम कर गिरती है, हमारे दिल को नयी खुशियाँ मिलती है।
कितनी जल्दी ज़िन्दगी गुज़र जाती है,प्यास भुझ्ती नहीं बरसात चली जाती है.तेरी याद कुछ इस तरह आती है.नींद आती नहीं मगर रात गुज़र जाती है।
सुना है बाजार में गिर गए हैं दाम इत्र केबरसात की पहली बूंदों नेआज मिटटी को जो छुआ है
उस प्यार को हम सच्चा नहीं कहते है,जिसे बारिश में अपने महबूब की याद ना आये.
क्या किसी के पास उधार स्वरूप् थोड़ी धूप सप्लाई करने की व्य्वस्था है? मई जून तक दोगुने भाव से लौटा दूंगा।
दुआ बारिश की करते हो मगर छतरी नहींरखते, भरोसा है, नहीं तुमको खुदा पर क्या जरा सा भी ।
कबसे इस प्यासी ज़मीन पे बारिश की एक बूँद तक नहीं गिरी पर आज यहाँ तूफ़ान आएगा
कोई तो बारिश ऐसीहो जो तेरे साथ बरसेतन्हा तो मेरीऑंखें हर रोज़ बरसाती है।
छम छम बारिश की बूंदे गिरने लगी,ऐ महबूब तेरी यादों ने अश्को को भर दिया…
ख्यालों में वही, सपनो में वही,लेकिन उनकी यादों में हम थे ही नहीं,हम जागते रहे दुनिया सोती रही,एक बारिश ही थी, जो हमारे साथ रोती रही.
रिमझिम तो है मगर सावन गायब है,बच्चे तो हैं मगर बचपन गायब है..!!क्या हो गयी है तासीर ज़माने की यारोंअपने तो हैं मगर अपनापन गायब है !
खुद को इतना भी ना बचाया करए दोस्त ,बारिश हुए तो भीग जाए कर।
ये इश्क़ का मौसम अजीब है जनाब, इस बारिश में कई रिश्ते धुल जाते है, बेगानों से करते है मोहब्बत कुछ लोग, और अपनों के ही आंसू भूल जाते है।
क्या मस्त मौसम आया हैहर तरफ पानी ही पानी लाया हैतुम घर से बाहर मत निकलनावरना लोग कहेंगे बरसात हुई नहींऔर मेढक निकल आया है
बरसात के मौसम तुम को याद करना आदत पुरानी है अब की बरसात यह आदत बदल डालें ऐसा ख्याल आया है फिर ख्याल आया के आदतें बदलने से बारिशें कहाँ रूकती है
बारिशों के मौसम में, तुम को याद करने की.आदतें पुरानी हैं,अब की बार सोचा है.आदतें बदल डालें, फिर ख्याल आया के.आदतें बदलने से, बारिशें नहीं रूकती.
जब-जब बादल बरसता है,सनम से मिलने को दिल तरसता हैं.
बारिशों से अदब-ए-मोहब्बतसीखो फ़राज़,अगर ये रूठ भी जाएँ,तो बरसती बहुत हैं।
कितनी जल्दी यह मुलाकात गुज़र जाती है, प्यास बुझती भी नहीं बरसात गुज़र जाती है, अपनी यादों से कहो यु ना आया करे नींद आती भी नहीं रात गुजर जाती है
बारिश की बूंदों में झलकती है उसकी तसवीर आज फिर भीग बैठे उससे पाने की चाहत में
सावन की आज पहली बारिश हैं!!वो मिल जाए बस यही गुजारिश हैं!!दोनों मिलकर भीगें इस मौसम में!!लगाई मैंने खुदा से सिफारिश हैं!!
आज मेरी पूरी हुई ख्वाहिश,दिल खुश करने वाली हुई बारिश।
याद आई वो पहली बारिशजब तुझे एक नज़र देखा था
एक ख्वाब में आँखे खोली हैं क्या मोड़ आया हैं कहानी में।वो भीग रही थी बारिश में और आग लगी हैं पानी में।
मौसम हे बारिश का औरयाद तुम्हारी आती हेबारिश के हर कतरे से सिर्फतुम्हारी आवाज़ आती हे।
रहने दो कि अब तुम भी मुझे पढ़ न सकोगे,बरसात में काग़ज़ की तरह भीग गया हूँ मैं।
आज मौसम कितना खुश गवार हो गया,खत्म सभी का इंतज़ार हो गया,बारिश की बूंदे गिरी कुछ इस तरह से,लगा जैसे आसमान को ज़मीन से प्यार हो गया।