1722+ Barish Par Shayari In Hindi | बारिश पर ख़ूबसूरत शेर

Barish Par Shayari In Hindi , बारिश पर ख़ूबसूरत शेर
Author: Quotes And Status Post Published at: September 11, 2023 Post Updated at: October 7, 2023

Barish Par Shayari In Hindi : मुझे ऐसा ही जिन्दगी का हर एक पल चाहिए, प्यार से भरी बारिश और संग तुम चाहिए !! बारिश की बुंदे भी क्या वफा निभाती हैं ! दूर आसमा से निकल कर, जमी में मिल जाती हैं !

ए बारिश ज़रा थम के बरस,जब मेरा यार आ जाये तो जम के बरस,पहले न बरस की वो आ ना सके,फिर इतना बरस की वो जा ना सके।

कैसी बीती रात किसी से मत कहना, सपनो वाली बात किसी से मत कहना, कैसे उठे बादल और कहां जाकर टकराए, कैसी हुई बरसात किसी से मत कहना! ? ?

हर दफ़ा बारिश उसका पैग़ाम लेकर आती है,और मेरे बंजर से दिल को हरा भरा कर जाती है।

अब कोन से मौसम से कोई क्या आस लगाए बरसात मैं भी याद न जब उन को हम आये

बारिश का मौसम बहुत तड़पता है उनकी याद आती है जिन्हे दिल चाहता है

मजबूरियाँ ओढ़ के निकलता हूँ घर से आजकल,वरना शौक तो आज भी है बारिशो में भीगने का।

भला काग़ज़ की इतनी कश्तियाँ हम क्यों बनाते हैं,न वो गलियाँ कहीं हैं अब न वो बारिश का पानी है.

गरजते बादल याद दिलाते हैं तेरे साथ को ऐसा टुटा था मेरा दिल जब छोड़ा था तूने मुझको हर बारिश कसम खाते हैं हम तेरी सनम ना करेंगे याद अब वो पुराने गम

कितनी जल्दी यह मुलाकात गुज़र जाती है, प्यास बुझती भी नहीं बरसात गुज़र जाती है, अपनी यादों से कहो यु ना आया करे, नींद आती भी नहीं रात गुजर जाती है ।

कल उसकी याद पुरी रात आती रही।हम जागे पुरी दुनिया सोती रही।आसमान में बिजली पुरी रात होती रही।बस एक बारिश थी जो मेरे साथ रोती रही।

क्या तमाशा लगा रखा है, तूने ए-बारिश बरसना ही है, तो जम के बरस, वैसे भी इतनी रिमझिम तो मेरी आँखो से रोज हुआ करती है।

मौसम हे बारिश काऔर याद तुम्हारी आती हेबारिश के हर कतरे से सिर्फतुम्हारी आवाज़ आती हे।

इतना भी मत बरस ए बारिश की वो आ ना सके, और फिर उनके आने के बाद इतना बरस की वो यहां से जा ना सके ।।

बादलो से कह दो जरा सोच समझ के बरसे।अगर हमें उसकी याद आ गयी तो मुलाकात बराबरी का होगा

एक औरत क़ब्र पर बैठी थी। एक राहगीर ने पूछा, “डर नहीं लगता?” औरत: क्यों? इसमें डरने की क्या बात है। अंदर गर्मी लग रही थी तो बाहर आ गई। शुभ गर्मी।

बारिश के मौसम मेंकिसान खुश होता है,अगर उससे उसके खेतोंकी सिचाई होती है. भलेही घर की छत टपकती है.

जब भी कड़कती हैं बिजली मेरा रोम रोम याद करता हैं तुझे, कैसे लिपट जाती थी तू मुझसे जब बादल फटता था जोरो से।

कहा पूरी होती है दिल की सारीहसरते की , बारिश भी हो यार भी हो और पास भी हो.

गुनगुनाती हुई आती है फ़लक सेबूँदे, कोई बदली तेरे पाजेब से टकराई है.

ज़रा ठहरो !!बारिश थम जाए तो फिर चले जाना !!किसी का तुझ को छू लेना मुझे अच्छा नहीं लगता !!

होंठों पे हंसी तो हो मगर।आँखो में बरसात ना आए।

कभी जी भर के बरसना, कभी बूँद-बूँद के लिए तड़पना, अये बारिश तेरी आदतें भी मेरे यार जैसी हैं।

उनकी यादों की बूँदें बरसी जो फिर से,जिन्दगी की मिट्टी महकने लगी है।

चाहा था कि भीगें तेरी बारिश में हम मगर अपने ही सुलगते हुए ख्वाबों में जले हैं

कुछ नशा तेरी बात का है कुछ नशा धीमी बरसात का है हमे तुम यूँही पागल मत समझो यह दिल पर असर पहली मुलाकात का है।

वो बारिश की बूंदों को बाहें फैला कर समेट लेता है,वो जानता है कि हर बूंद उसकी ही तरह तन्हा है।

“धूप ने गुज़ारिश की एक बूंद बारिश की” -मोहम्मद अल्वी

बारिश हुई और भीग गये हम,रजनीकांत ने फूँक मारी सूख गये हम.

किसको सुनाता फिरूं मैं काबिलियत अपनी,मैं बरसने वाला बादल हूँ गरजने वाला नहीं..!!

कभी बेपहां बरसी कभी ग़ुम सी हैये बारिश भी कुछ -कुछ  तुम सी है

इस भीगे भीगे मौसम में थी आस तुम्हारे आने कीतुमको अगर फुर्सत ही नहीं तो आग लगे बरसातों को

मैंने उससे एक बार पूछा किया धुप में बारिश होती है और वो तो हसने लगी हस्ते हस्ते रोने लगी और धुप में बारिश होने लगी

बारिश की बूंदो में झलकती हे उसकी तस्वीरआज फिर भीग बैठे उसे पाने की चाहत में

कहीं फिसल न जाऊं तेरे ख्यालों में चलते चलते अपनी यादों को रोको मेरे शहर में बारिश हो रही है!!

बारिश की बूंदो में झलकती हेउसकी तस्वीरआज फिर भीग बैठे उसेपाने की चाहत में

जब जब घिरे बादल तेरी याद आयीजब झूम के बरसा सावन तेरी याद आयीजब जब मैं भीगा मुझे तेरी याद आयीमेरे भाई तू ने मेरी छतरी क्यों नहीं लौटायी

कभी बेपनाह बरस पड़ीकभी गुम सी हे , ये बारिश भी कुछ – कुछ तुम्हारी जैसी हे।

हम जागते रहे दुनिया सोती रही,  इक बारिश ही थी, जो मेरे साथ रोती रही. Ham jagte rahe duniyan soti rahi ik barish he thi jo mere sath roti rahi.

तुझसे अब बात तक करने को तरस गए है हम, बिन मौसम हुई बारिश की तरह बरस गए है हम।

पूछते थे ना कितना प्यार है तुम्हे हमसे,लो अब गिन लो… बारिश की ये बूँदें।

बरिश हो अगर उसमे तुम ना होतो फिर बरिश का मजा नहीं आता।

बारिश के मौसम में तेरी यादें सब कुछभुला देती हैं फिर भी मेरी आँखोंसे बहते हुए आँसू नहीं रुकते…

सुबह का मौसम बारिश का साथ है, हवा ठंडी जिससे ताजगी का एहसास है, बना के रखिए चाय और पकौड़े बस हम आपके घर के थोड़े से पास हैं !

ये हुस्न ए मौसम , ये बारिश , ये हवाएं, लगता है मोहब्बत ने आज किसी का साथ दिया है

काश कोई इस तरह भी वाकिफ हो मेरी जिंदगी से, कि मैं बारिश में भी रोऊँ और वो मेरे आँसू पढ़ ले।

मेरे दिल की जमीन बरसों से बंजर पडी है मै तो आज भी बारिश का इन्तेजार कर रहा हूँ

तुम आये जिंदगी में तो बरसात की तरह और चल भी दिए तो सुहानी रात की तरह बाते रहीं अधूरी और बिछड़ना पड़ा हमें था यह भी एक इत्तेफाक मुलाकात की तरह…

ये बारिश ये हसीन मौसम और ये हवाये।लगता हैं आज मुहब्बत ने किसी का साथ दिया हैं।

ये बारिश की बूंदे नहीं, ये तो मेरे आंसू है.जो बह रहे है तुम्हारी याद में.

हवा भी रुक जाती है कहने को कुछ तराने, बारिश की बूंदे भी उसे छूने को करती है बहाने

पहले बारिश होती थी तो ✧ याद आते थे ,अब याद आते हो तो बारिश होती है

हर दफ़ा ये बारिश उसका पैग़ाम लेकर आती है!!और मेरे बंजर से दिल को पूरा हरा भरा कर जाती है!!

बारिश में चलने से एक बात याद आती है,फिसलने के डर से वो मेरा हाथ थाम लेता था।

“अब भी बरसात की रातों में बदन टूटता है जाग उठती हैं अजब ख़्वाहिशें अंगड़ाई की” -परवीन शाकिर

बारिश का मतलब है सूरज की छुट्टी, पसंदीदा गाने की धुन। बारिश का मतलब खुली खिड़की, पुरानी यादें बारिश का मतलब है मीठा आनंद, छूना नहीं

बरिश का यह मौसम कुछ याद दिलाता है, किसी के साथ होने का एहसास दिलाता है, फिजा भी सर्द है यादें भी ताज़ा हैं, यह मौसम किसी का प्यार दिल में जगाता है

इस बारिश में यह दुआ है हमारी कि..बारिश की जितने बूंदेधरती में गिरे उतनी ही खुशियांआपकी झोली में गिरे….

जब जब आता है यह बरसात का मौसमतेरी याद होती है साथ हरदमइस मौसम में नहीं करेंगे याद तुझे यह सोचा है हमनेपर फिर सोचा की बारिश को कैसे रोक पाएंगे हम.

कुछ तो चाहत होगी इन बूंदों की भी!!वरना कौन छूता है!!इस जमीं को उस आसमान से टूटकर!!

ए बादल इतना बरस की नफ़रतें धुल जायें,इंसानियत तरस गयी है प्यार पाने के लिये..!!

मुझे ऐसा ही ज़िन्दगी का एक पल चाहिए,प्यार से भरी बारिश और संग तू चाहिए।

इस ठण्ड में ग़ालिब का नया शेर: खुद को कर बुलंद इतना कि, हर सुबह घूमने निकले; वहाँ खुदा खुद आकर पूछे, बता तेरी रजाई कहाँ है?

ये बारिश भी बिल्कुल तुम्हारी तरह है,फर्क सिर्फ इतना है,तुम मन को भीगा देते हो,वो पूरे तन को भीगा देती है।

जो वो बरसा तोइश्क़ होगा और मैं बरसा तोबस अश्क होगा।

बारिश की तरह आती है तुम्हारी याद,जो मेरे दिल को छू कर दुखा देती हैं..!

बारिश की बूंदों को छातों से रोका न करो!!बेचारी बहुत दूर से तुमसे मिलने आती हैं!!

भीगे हैं खिड़की के शीशे, भीगा है मन भी मेरा, लगता है बारिश हुई थी कल रात, बाहर भी और अंदर भी।

मेरा शहर तो बारिशों का घर ठहरा, यहां की आँखे हो या दिल बहुत बरसती है।

बारिश की बूंदों में झलकती है उसकी तस्वीर,आज फिर भीग बैठे है उसे पाने की चाहत में।

बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने,किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है।

सुना है बहुत बारिश है तुम्हारे शहर में,ज्यादा भीगना मत..अगर धूल गई सारी ग़लतफहमियां,तो फिर बहुत याद आएंगे हम!!

आज दिन भर बारिश होने की संभावना हैं।कृपया अपने दिमाग वाली जगह को प्लास्टिक से ढक लो।कयोंकि खाली जगहो में पानी जल्दी भरता हैं।

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