429+ Banaras Shayari In Hindi | वाराणसी पर शायरी स्टेटस

Banaras Shayari In Hindi , वाराणसी पर शायरी स्टेटस
Author: Quotes And Status Post Published at: October 4, 2023 Post Updated at: September 20, 2024

Banaras Shayari In Hindi : बनारस से आस्था है बनारस से दिल का लगाव है, हम बनारसी है गुरु हमपर बाबा का आशीर्वाद है। मोहब्बत ढूढने निकले थे जनाब कुछ लम्हे याद आ गए वो लम्हे फिर से बिताने हम अस्सी घाट आ गए।

आग लगे उस जवानी कों ज़िसमेमहाकाल नाम की दिवानगी न हो

“एक बार जब आप बनारस को महसूस करते हैं, तो इसे पैदल ही चलना चाहिए”

में उनके सामने सर झुकता हूँऔर वो मेरा सर सबके सामने उठाते हैऐसे है मेरे देवो के देव Mahadevहर हर Mahadev

ना शिकवा तकदीर सेना शिकायत अच्छी😊Mahadev से जिस हाल मे रखेवही जिंदगी अच्छीJai Shree Mahakal

हे कैलाश के राजा दम लगाने आजाचिलम बनाई ताज़ा ऐ मेरे भोले बाबा अब तो आजा

जहाँ राख भी रख दो तो पारस बन जाता हैंऐसे ही नहीं कोई शहर बनारस बन जाता हैं

मचलती तितलियों को,उड़ती चिड़ियों को,गंगा की मछलियो को,कुदरती कलाकृतियों को कहती है,बनारस चले आओ।

हे महाकाल बस आज इतनी सी Wish मेरी पूरी करनाजब भी में तेरी पूजा करू तो मेरे बगल में सिर्फ वो खड़ी रहे

ना जीने की खुशी ना मौत का गमजब तक हैदम महादेव के भक्त रहेंगे हम

किसी ने मुझसे कहा इतनेख़ूबसूरत नही हो तुममैने कहा महाकाल के भक्तखूंखार ही अच्छे लगते है

जिस समस्या का ना कोई उपायउसका हल सिर्फ ॐ नामय सिवाय

दुनिया की हर मोहब्बत मैंने स्वार्थ से भरी पायी हैंप्यार की खुशबु सिर्फ मेरे महादेव के चरणों से आयी हैं

दुनियां की खबर से अनजान हो चाय की दुकान पर चले जाना राजनीती का लाइव शो मिलेगा।

बनारस की शाम सबसे सुंदर होती है,जब माँ गंगा की आरती शुरू होती हैतो मन मन्त्र मुग्ध हो जाता है औरहृदय में अध्यात्म जागृत हो जाता है.

सुकून मिल जाता है बस एक ही दीदार मेंआनंद ही आनंद है मेरे काशी विश्वनाथ के दरबार में

लिख दे किस्मत में मेरी महाकाल का प्यारकुछ ऐसा करिश्मा कर देमुझको मिल जाएमहाकाल का दीदार

खौफ फैला देना नाम काकोई पुछे तो कह देना भक्त लौट आया है महाकाल का

काल का भी उस पर क्या आघात होजिस बंदे पर महाकाल का हाथ हो

नही पता कौन हूँ मैंऔर कहा मुझे जाना हैंमहादेव ही मेरी मँजिल हैंऔर महाकाल का दर ही मेरा ठिकाना हैं

मौत का डर उनको लगता हैंजिनके कर्मों मे दाग हैंहम तो महाकाल के भक्त हैंहमारे तो खून में ही आग हैं

हर ठाट – बाट बना_रसिया सुकून की हर घाट बना_रसिया मन में विस्वाश बना_रसिया दिल के जज्बात बना_रसिया।

ना शिकवा तकदीर से ना शिकायत अच्छीमहादेव जिस हाल मे रखे वही जिंदगी अच्छी

1 ही शौक रखते है पर बैमिसाल रखते हैहालात कैसे भी होफिर भी जुबां पर हमेशा जय महाकाल रखते है

ठंड से ठिठुर कर मर गया वो मासूम उस गली मे जहा अमीर अपनी गर्मियो के किस्से सुनाते हैं.…

यहां की खूबसूरती में सब भूल गए बस महादेव का नाम जपते हम गंगा के सारे घाट घूम गए।

सारी ख्वाहिशे मेरी ज़मीन माँगने लगी, कल बारिश मे बच्चो को नाव चलाते देखा हैं…

दाने तपसि शौर्ये च विज्ञाने विनये नये।विस्मयो न हि कर्त्तव्यो बहुरत्ना वसुन्धरा॥

चलो नाराजगी को भूलते है साम को मिलो घाटों पर हाथ पकड़ कर घूमते है।

संस्कृत के मन्त्र जब कानों में पड़ते है,बनारस में गंगा की आरती सभी लोग करते है,हृदय में खुशियों का अम्बार होता है,इंसान को जीवन से फिर प्यार होता है.

तन की जाने मन की जाने जाने चित की चोरीउस महाकाल से क्या छिपावेजिसके हाथ है सब की डोरी जय श्री महाकाल

काबा काशी ढूँढ़ता, अल्लाह राम शिवायमहतारी घर में पड़ी, खांस-खांस मर जाय.

किसी को अतीत पर पछतावा नहीं करना चाहिए, किसी को भविष्य की चिंता नहीं करनी चाहिए, वर्तमान समय में समझदार पुरुष कार्य करते हैं।

भुत-पिचाश हैं जिनके दरबारीनंदी बाबा हैं जिनके सवारीचलता हैं जिनका पावर हर बारीमैं हूँ उस महाकाल का पुजारी

शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम् धनसंपदा।शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपकाय नमोऽस्तु ते।।

भोले तूने तो सारी दुनिया तारी हैं कभी मेरे सर पे भी धर के हाथकह दे चल बेटा आज तेरी बारी हैं जय श्री महाकाल

निकलते सोचता हूँ अब सोचुगा तुझे पहुँच कर ही, और फिर मै तुझे ही उस पूरे सफ़र मे सोचता हूँ।

ना मै उच नीच मे रहूँना ही जात पात मे रहूँमहाकाल आप मेरे दिल मेरहे और मै औक़ात मे रहूँ

तांडव उनका जैसे स्वर्ग का नजारा होरज भी सोना बन जाए जब महाकाल तेरा सहारा हो

लोगों का अकड़ और रौब धरा रह जाता है, जब किसी बनारसी से पाला पड़ जाता है।

ना महीनों की गिनती ना सालों का हिसाब हैंमोहब्बत आज भी महाकाल से बेइंतहा बेहिसाब हैंJai Shree Mahakal

इतना ना सजा करो मेरे महाकाल आपको नज़र लग जायेगीऔर उस मिर्ची की क्या औकात जो आपकी नज़र उतार पाएगी

काल का भी उस पर क्या आघात होजिस बंदे पर महाकाल का हाथ हो

हमेशा से बापर्दा रही हु मैं, जाने कैसे निकल गया वो मेरा अंग छूकर…

“बनारस की गलियों का महकता अम्बर, इतनी खूबसूरती को देख वाह-वाह”

ना गिनकर देता हैं ना तोलकर देता हैंजब भी मेरा महाकाल देता हैं दिल खोल कर देता हैं

बनारस की साम में मैं अपने दिल को बहला लूंगा धीरे-धीरे ही सही पर तेरी यादों को भुला दूंगा।

यहाँ बाबा विश्वनाथ का दरबार हैयहाँ माँ गंगा की जय जयकार हैअध्यात्म की नगरी बनारस को देखा तो लगा यही तो जीवन का सार है

इक पल जो ठहर जाती तुम , हम बस ये किस्सा शुरू करते…

उलझ कर तुम्हारी मुस्कराहट के समंदर में,मैं भी एक दरिया-ए-नाव हो जाऊं,तुम मिलो अगर गंगा की तरहतो मैं भी बनारस का एक घाट हो जाऊं।

तेरी गंगा सी पाक प्रीत से सुबह मेरी पारस हो गई,डुबकी जो ली रूह ने सुबह ये जिंदगी बनारस हो गई !

सत्येन धार्यते पृथ्वी सत्येन तपते रविः।सत्येन वाति वायुश्च सर्वं सत्ये प्रतिष्ठितम्॥

तू बन घाट बनारस का,मैं शाम तलक भटकूँ तुझमें।

गाँव छुटा यार छुटे और छूटी वो जिन्दगी, यार हद हैं मैं तुझे अब इस नये शहर मे सोचता हूँ।

भोलेनाथ मेरे जिगरी यारों को खुश रखियो

आपस्तु मित्रं जानीयाद्युद्धे शूरं धने शुचिम्।भार्या क्षिणेषु वित्तेषु व्यसनेषु च बान्धवान्॥

कण-कण में व्याप्त सदाशिव, हर – हर महादेव बनारस। यम की त्रास मिटानेवाला, मुक्ति का वो धाम बनारस।

सबको जानें दो तारों के शहर में।हम तुम्हारे साथ बनारस चलेंगे।।

कल शाम मैं उसके पास बैठा था, ऐसा लगा जैसे कोई खास बैठा था…

कृपा जिनकी मेरे ऊपर तेवर भी उन्हीं का वरदान हैशान से जीना सिखाया जिसने महाकाल उनका नाम है

कोई दौलत का दीवाना कोई शोहरत का दीवाना शीशे सा दिल हैंमेरा में तो सिर्फ महाकाल का दीवाना हर हर महादेव

प्रेम देखना हो तो देखें सारस में,और सुबह देखनी हो तो देखें बनारस में !

मन के भाव को,मेरे अभाव को,अपने स्वभाव को,सबसे लड़ती के कहती है,बनारस चले आओ।

आपसे छुप जाए कोई बातऐसी कोई बात नहींआपके भक्ति से हैं मेरी पहचानवरना मेरी कोई अवकात नहीं

अनजान हु अभी धीरे धीरे सीख़ जाऊंगा परकिसी के सामने झुक कर पहचान नहीं बनाऊंगा

“यहाँ वाराणसी का ही पान लेने से आत्मा को मुक्ति मिलती है”

घुमने दो सबको इश्क के बदनाम शहर मुंबई में, हम तुम्हे एयर बलून से बनारस के घाट घुमाएंगे |

नासमझी में पत्थर समझा,समझ आया तो पारस हो गया,उसने गंगा-सा ऐसे छुआ मुझकोकि मेरा रोम-रोम बनारस हो गया.

अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः।चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्धर्मो यशो बलम्॥

हिन्दूगिरी के बादशाह हैं हम तलवार हमारी रानी हैदादागिरी तो करते ही हैं बाकी महाकाल की मेहरबानी हैं

जो बाबा विश्वनाथ के द्वार आता है,आध्यात्म का आत्म सुख पाता है,माँ गंगा की आरती को जिसने देखाउसके दिल में इक बनारस बस जाता है.

मैं बनू बनारस का घाट,तुम गंगा आरती बन जाओ,मैं बनूँ महादेव तुम्हारा,तुम मेरी पार्वती बन जाओ.

नरस्याभरणं रूपं, रूपस्याभरणं गुणः।गुणस्याभरणं ज्ञानं, ज्ञानस्याभरणं क्षमा॥

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