Bachpan Ki Dosti Shayari In Hindi : कई सितारों को मैं जानता हूँ बचपन से, कहीं भी जाऊँ मेरे साथ-साथ चलते हैं चलो के आज बचपन का कोई खेल खेलें, बडी मुद्दत हुई बेवजाह हँसकर नही देखा
आप दूसरे लोगो में रूचि लेकर दो महीने में ही बहोत से दोस्त बना सकते हो,लेकिन ऐसे लोग जिन्हें आपमें रूचि हो शायद उन्हें दोस्त बनाने में साल लग जाते है।
ये दौलत भी ले लो ये शोहरत भी ले लोभले छीन लो मुझ से मेरी जवानीमगर मुझ को लौटा दो बचपन का सावनवो काग़ज़ की कश्ती वो बारिश का पानी।
दोस्ती के लिए दिल तोड़ सकता हूँ, लेकिन दिल के लिए दोस्ती बिलकुल नहीं !!
अब तक हमारी उम्र का बचपन नहीं गया घर से चले थे जेब के पैसे गिरा दिए
झूठ बोलते थे फिर भी कितने सच्चे थे,हम, ये उन दिनों की बात है जब बच्चे थे हम।
आसमान में जब उड़ती पतंग दिखाई दी!!ऐसा लगा मानो किसी ने बचपन की झलक दिख दी!!
“ बचपन में हम बुद्धू हुआ करते थे,खिलौनों से भी दोस्ती कर लिया करते थे,खेल-खेल में ही कई बार,उन खिलौनों से लड़ लिया करते थे….!!
कि दोस्ती के लिए मै दिल तोड़ सकता हु,पर दिल के लिए दोस्ती नहीं छोड़ सकता!
हाँ कुछ पागलो से दोस्ती है मेरी क्यूंकि समझदार की तरह ये बीच रास्ते में छोड़ नहीं जाते।
“ याद है हमें आज भी वोबचपन का जमाना,जब हम स्कूल न जानेका बनाते थे बहाना….!!!
चुभ गई अगर कोई बात तुम्हारी,तो मेरा किरदार खराब भी हो सकता है।किसी की बात पर फिसला नही करते दोस्त,तारीफ की शक्ल में तेजाब भी हो सकता है।
ये वक़्त उम्र छीन सकता है मेरी मुझसेपर मेरा बचपना😋कभी कोई नही छीन सकता है🥳
अनुभव कहता है कि एकवफादार दोस्त हज़ार रिश्तेदारों सेबेहतर होता है….
बिना समझ के भी, हम कितने सच्चे थे,वो भी क्या दिन थे, जब हम बच्चे थे।
“ चलो चलते हैं उस बचपन में यार,जहां मिलती थी पापा कीडांट और मां का प्यार…!!!
◆दोस्ती बराबरी में नहीं बल्कि दोस्ती में सब बराबर होता है।
लगता है माँ बाप ने बचपन में खिलौने नहीं दिए,तभी तो पगली हमारे दिल से खेल गयी.
दोस्त वफादार हो तो अलग ही किस्सा होता है !!सच्चा दोस्त ही तो जिंदगी का अहम हिस्सा होता है !!
जहाँ पर मोहब्बत साथ छोड़ पीछे हो जाती हैदोस्तो ने वहाँ भी खड़े होकर साथ दिया।👬❤️
◆ सच्चे दोस्त हर तकलीफ़ को मुस्कुरा कर हल कर दिया करते है, इसलिए तो दोस्ती को सबसे अच्छे रिस्तो में दर्ज किया करते है।
रूठे को मनाना कोई आपसे सीखे,रोते हुए को कोई हंसना आपसे सीखे,दोस्त बनाना तो हर कोई जानता है।दोस्ती निभाना कोई आपसे सीखे।
तुझपे कुर्बान मेरी यारी है,हंस के मर जाऊं इस की तैयारी है,सिलसिला ना ख़तम हो अपने प्यार का,क्यूंकि हमने तुम्हे याद किया आब तुम्हारी बारी है.।
ये दौलत भी ले लो ये शोहरत भी ले लोभले छीन लो मुझ से मेरी जवानीमगर मुझ को लौटा दो बचपन का सावनवो काग़ज़ की कश्ती वो बारिश का पानी.
असीर-ए-पंजा-ए-अहद-ए-शबाब कर के मुझेकहाँ गया मेरा बचपन ख़राब कर के मुझे
हमारे रोने के बहाने से माँ अपने सारे काम छोड़ देती है, लेकिन हम अपने काम के बहाने से माँ को रोता हुआ छोड़ देते हैं.
जिसकी शाम अच्छी उसकी रात अच्छी,जिसके दोस्त अच्छे उसकी ज़िंदगी अच्छी।
शायद बचपन सबका इसलिए ज़बरदस्त होता है क्यूंकि, बचपन में ज़िम्मेदारी निभाने की कोई ज़बरदस्ती नहीं होती।
◆ दोस्त के दिलों मे रहने की इजाजत नहीं मांगी जाती यहाँ तो कब्ज़ा खुद ब खुद है।
“ बीत गया बचपन आ गई जवानी,लाइफ की है बस इतनी ही कहानी….!!
कभी कंचे तो कभी लट्टू बचपन में खिलौने कम नहीं थे, पर बचपन के दिन काफी कम थे।
बचपन में जहाँ चाहा हँस लेते थेजहाँ चाहा रो लेते थे और अबमुस्कान को तमीज चाहिएऔर आंसुओं को तन्हाई!!
बचपन में मेरे दोस्तों के पास घड़ी नहीं थी…पर समय सबके पास था!आज सबके पास घड़ी हैपर समय किसी के पास नहीं!
वो भी क्या दिन थे….????जब बच्चपन में कोई रिश्तेदार जाते समय 10 Rs. दे जाता था..और माँ 8Rs. टीडीएस काटकर 2 Rs. थमा देती थी….!!!
आसमान में उड़ती एक पतंग दिखाई दी, आज फिर से मुझ को मेरी बचपन दिखाई दी.
पुराने यार भी आपस में अब नहीं मिलतेना जाने कौन कहा दिल लगा के बैठ गया है।
अगर मैं दिल हूं तो तुम धड़कन हो,मैं चांद हूं तो तुम सितारे हो,मैं धरती हूं तो तुम आसमान हो,ए दोस्त तुम मेरे लिए खुदा की दुआ हो।
मिलने के तो बहुत मिल जाएंगे,लेकिन तेरे जैसा दोस्त नहीं मिलेगा..Milne ke toh bahut mil jaenge,Lekin tere jaisa dost nahi milega…
बचपन भी कमाल का था खेलते खेलते चाहें छत पर सोयें या ज़मीन पर आँख बिस्तर पर ही खुलती थी
कैमरे जरा कम थे मेरे गांव में,जब बचपन देखना होता है,तो मां की आंखों में झांक लेता हूं।
अजीब सौदागर है ये वक़्त भी जवानी का लालच दे के बचपन ले गया
दोस्ती के लिए दिल तोड़ सकता हूँ,लेकिन दिल के लिए दोस्ती बिलकुल नहीं।
यदि तुम बेचो अपनी दोस्ती,तो पहले ग्राहक हम होंगे।तुम्हे अपनी कीमत पता नहीं होगी,पर तुम्हे पाकर सबसे खुशनसीब हम होंगे।
“ कुछ नहीं चाहिए तुझसे ऐ मेरी उम्र-ए-रवाँमेरा बचपन, मेरे जुगनू,मेरी गुड़िया ला दे…!!
दोस्ती की कोई वजह नहीं होती दोस्ती में कोई बात बेवजह नहीं होती दोस्ती की नीव जरुरत नहीं होती इसलिए मोहब्बत दोस्ती से जादा प्यारी नहीं होती
स्कूल का वो बैग,फिर से थमा दे माँ…यह जिन्दगी का बोझउठाना मुश्किल हैं…
तू दूर है मुझसे और पास भी हैतेरी कमी का एहसास भी हैदोस्त तो हमारे लाखों है इस जहाँ मेंपर तू प्यारा भी और खास भी है
आपकी फ्रेडशिप हमारी सुरूर का नाज है,आप सरीके दोस्त पे हमे यकीन है।चाहे कुछ भी हो जाए फ्रेडशिप,वैसी ही रहेगी जैसी आज है।
वो बचपन भी क्या दिन थे मेरे,न फ़िक्र कोई न दर्द कोई,बस खेलो, खाओ, सो जाओ,बस इसके सिवा कुछ याद नही।
कौन कहे मासूम हमारा बचपन था खेल में भी तो आधा आधा आँगन था।
कौन कहता है कि…बचपन वापस नही आतादो घड़ी अपनी माँ के पासबैठ कर तो देखोखुद को बच्चा महसूस ना करोतो फिर कहना..
दोस्त के बिना ज़िंदगी वीरान होती हैअकेले हो तो राहे भी सुनसान होती हैएक प्यारे से दोस्त की जरुरत होती हैक्यूंकि उसकी दुआओं से हर मुश्किल आसान होती है
ज़िन्दगी बीत जाती है कहानी बनकर,सपने रह जाते है यादे बनकर,पर अच्छे दोस्त तो हमेशा धडकनों के करीब रहते है,कभी मुस्कराहट तो कभी,आँखों का पानी बनकर।
फिर से ✒बचपन लौट रहा है शायद,जब भी नाराज होता हूँ खाना छोड़ देता हूँ.
दुश्मनों से प्यार होता जाएगा,दोस्तों को आज़माते जाइए।
वो पूरी ज़िन्दगी रोटी,कपड़ा,मकान जुटाने में फस जाता है, अक्सर गरीबी के दलदल में बचपन का ख़्वाब धस जाता है।
जब से डिग्रियां समझ में आयी पांव जलने लगे…
बचपन नादान थापर बड़ा ही शानदार था .
बेशक थोड़ा इंतजार मिला हमको,पर दुनिया का सबसे हसीं यार मिला हमको,न रही तमन्ना अब किसी जन्नत की,तेरी दोस्ती में वो प्यार मिला हमको।
ए ज़िंदगी! तू मेरी बचपन की गुड़िया जैसी बन जा, ताकि जब भी मैं जगाऊँ तू जग जा।
किसने कहा नहीं आती वो बचपन वाली बारिश,तुम भूल गए हो शायद अब नाव बनानी कागज़ की।
आज अभी हम आपके दोस्त हैं और कल भी रहेंगे वक़्त बदलेगा पर हम कभी नहीं
हमें भी आ पड़ा है दोस्तों से काम कुछ यानी,हमारे दोस्तों के बेवफ़ा होने का वक़्त आया।
तुझे बार-बार इसलिए समझाता हूं मेरे दोस्त तुझे टूटा हुआ देखकर मैं खुद भी टूट जाता हुं
उड़ने दो परिंदों को अभी शोख़ हवा में, फिर लौट के बचपन के ज़माने नहीं आते।
उम्र भर मेरा साथ निभाने वालामुश्किल वक्त में काम आने वाला..भँवर में अगर फँसी हो कश्ती मेरीमेरा दोस्त हैं पार लगाने वाला..
वक़्त यूँ ही गुज़रता हैपर यारो का प्यारकहाँ कम होता है
तुम जो कहती हो छोड़दो अपने आवारा दोस्त कोक्या तुम मेरा जनाज़ा उठा सकती हो
मेरा दिल अब मेरा ही नहीं सुनता हैकहता है ये दोस्त तेरे लिए ही जीता हैतेरे लिए ही मरता है
दोस्त भी कितने कमाल की होते है,कोई दूर हो तो भी पास लगता है,मन की हर एक बात को राज रखता है,इसीलिए दोस्तों का साथ अच्छा लगता है।
दोस्ती इतना मजबूत रखिए जनाब,जमाना जड़े भी काट दे तो दोस्त गिरनेनहीं देता…..
किसने कहा नहीं आती वो बचपन वाली बारिश,तुम भूल गए हो शायद अब नाव बनानी कागज़ की।
” खुशिया मिलती है ढेर सारी जब बचपनके दिनों को याद किया जाता है,दिन भर की थकान टेंशन सबकुछ उतर जाता हैजब बचपन दिमाग पर चढ़ती है….!!!