2283+ Bachpan Ki Dosti Shayari In Hindi | बचपन की दोस्ती स्टेटस

Bachpan Ki Dosti Shayari In Hindi , बचपन की दोस्ती स्टेटस
Author: Quotes And Status Post Published at: August 8, 2023 Post Updated at: March 21, 2025

Bachpan Ki Dosti Shayari In Hindi : कई सितारों को मैं जानता हूँ बचपन से, कहीं भी जाऊँ मेरे साथ-साथ चलते हैं चलो के आज बचपन का कोई खेल खेलें, बडी मुद्दत हुई बेवजाह हँसकर नही देखा

पता नहीं हम क्यों बड़े हो गये,वो बालपन ही अच्छा था।जहाँ से किसी से बैर से नहीं,सबसे यारी वो लाइफ अच्छी थी।

कोशिश करो कोई आपसे ना रूठे,ज़िन्दगी में अपनों का साथ ना छूटे,दोस्ती कोई भी हो उसे ऐसा निभाओ,की उस दोस्ती की डोर ज़िन्दगी भर न टूटे।।

आते जाते रहा कर ए दर्दतू तो मेरा बचपन का साथी है

दो रास्ते जींदगी के, दोस्ती और प्यार,एक जाम से भरा, दुसरा इल्जाम से..।

रोने की वजह भी न थी न हंसने का बहाना था क्यो हो गए हम इतने बडे इससे अच्छा तो वो बचपन था

दोस्त भी ऐसे मिले है मुझेयाद हम ना करे तो कोशिश वो भी नहीं करते

जिंदगी के तो अपने ही सफेद काले है किस्से,ए दोस्त तेरा साथ हो तो मैं सब कुछ हंसकर,जी लूं और बना लूं अपने ही अपने किस्से…

“ बचपन के दिन भी कितने अच्छे होते थे,तब दिल नहीं सिर्फ खिलौने टूटा करते थे,अब तो एक आंसू भी बर्दाश्त नहीं होता,और बचपन में जी भरकर रोया करते थे…..!!!

रिश्तों से बड़ी चाहत क्या होगी दोस्तीसे बड़ी इबादत क्या होगी जिससेदोस्त मिल जाये तुम जैसे उसे ज़िन्दगीसे शिकायत क्या होगी.!!

जी रहा हूं मैं तेरी यादों को आंखों में सजा कर,जब इंतहा हो जाती है गमों की मेरी जिंदगी में,तो ए दोस्त तेरी यादों के सहारे खुश रहता हूं।

कभी मिले मौका तो आजमा लेनाजान दे देंगेपर पीछे नहीं हटेंगे

दिखावा इसमें न ज़रा है जज्‍़बातों से भरा है,पल में समझ जाये हाल दिल का रिश्‍ता दोस्‍ती का कितना खरा है।

करता हूं इज्ज़त हर किसी कीदास्तां -ए- जिंदगी पढ़कर..इंसानियत, वतन और दोस्ती हैमेरे लिए सबसे बढ़कर…

मुस्कान का कोई मोल नही होता,कुछ रिश्तों का मोल नही होता।दुनिया में लोग हर जगह मिल जाते है,मगर कोई मेरे दोस्त सा अनमोल ना होता।

अक्सर बुरे वक्त में लोग कैसे हो आप से,कौन हो आप पर आ जाते हैबस एक सच्चा दोस्त ही काम आता है

काश किसी ने बचपन में हमें School के दिनों की अहमियत बताई होती,तो हमने बड़े होने में इतनी जल्दबाजी न दिखाई होती।

इतनी सारी  बातें मत किया करो मुझसेदोस्ती को प्यार में बदलते वक्त नहीं लगता है

उड़ने दो परिंदों को अभी शोख़ हवा मेंफिर लौट के बचपन के ज़माने नहीं आते

कैसे भूलू बचपन की यादों को मैं,कहाँ उठा कर रखूं किसको दिखलाऊँ?संजो रखी है कब से कहीं बिखर ना जाए,अतीत की गठरी कहीं ठिठर ना जाये।

क्या खूब था वह बचपन भी,जब 2 उँगलियाँ जोड़ने से दोस्ती हो जाती थी।

कुछ नहीं चाहिए तुझ से ऐ मेरी उम्र-ए-रवाँमेरा बचपन मेरे जुगनू मेरी गुड़िया ला दे.

इस बात का ध्यान रखनामिलते वही है जो खो गए हैंवो आपको कभी भी नहीं मिलेंगेजो दोस्त होकर भी बदल चुके हैं।

मैं ने बचपन में अधूरा ख़्वाब देखा था कोईआज तक मसरूफ़ हूँ उस ख़्वाब की तकमील में

दुनिया का सबसे खुबसूरत पौधा दोस्ती का होता है, जो जमीन पर नहीं बल्कि दिलों में उगता है !!

कौन किस से चाहकर दूर होता है,हर कोई अपने हालातों से मजबूर होता है,हम तो बस इतना जानते हैं,हर रिश्ता मोती और हर दोस्त कोहिनूर होता है।

“ सुबह उठकर नहाना नहीं चाहता था,हर दिन स्कूल जाना नहीं चाहता था,इसलिए स्कूल बंद हो जाए,ऐसी रोज भगवान से प्रार्थना करता था…!!!

प्यार को जो तूने मतलब का नाम दिया,हमने भी तेरे साथ के सपने सजाएं है।

रिश्तों से बड़ी चाहत और क्या होगी,दोस्ती से बड़ी इबादत और क्या होगी,जिसे दोस्त मिल सके कोई आप जैसा,उसे ज़िन्दगी से शिकायत क्या होगी।

कोई मुझको ? लौटा दे वो बचपन का सावन, ? वो कागज की कश्ती वो बारिश ? का पानी।

तेरे बिना तो जीना,इक पल न हमें गवारा है।अब तो बस तेरी यादें ही,मेरे जीने का सहारा हैं।

एक चाहत होती है दोस्त के साथ जीने की ज़नाबवरना पता तो हमे भी है की मरना अकेले ही है

दिल खोल कर इन लम्हों को जी लोदोस्तो जिन्दगी ये लम्हे फिर नहींदोहरायेगी.. !

काग़ज़ की कश्ती थी पानी का किनारा था,खेलने की मस्ती थी ये दिल अवारा था।कहाँ आ गए इस समझदारी के दलदल में,वो नादान बचपन भी कितना प्यारा था।

ये दोस्ती तेरे दम से है,ये बंदगी तेरे दम से है,जिंदगी के ये चार दिन,बस तेरी दोस्ती से रोशन है।

जन्मदिन की ख़ुशी तो बचपन में होती होती थी जब जन्मदिन पर पैसे कम और दोस्त ज्यादा हुआ करते थे।

खुश्बू में भी एहसास होता है,lप्यार का रिश्ता ख़ास होता हैहर बात जुबां से कहना मुम्किन नहीइस लिए दोस्ती का दूसरा नाम विशवास होता है

फ़रिश्ते आ कर उन के जिस्म पर ख़ुश्बू लगाते हैंवो बच्चे रेल के डिब्बों में जो झाड़ू लगाते हैंमुनव्वर राना

कुछ यूं कमाल दिखा दे ऐ जिंदगी,वो बचपन ओर बचपन के दोस्तोसे मिला दे ऐ जिंदगी।

माँ, पिता, शरारतें, आँसू का जिसमें किस्सा है, बचपन ही मेरी जिन्दगी का बेहतरीन हिस्सा है.

तब तो यही हमे भाते थे,आज भी याद हैं छुटपन की हर कविता,अब हजारों गाने हैं पर याद नहीं,इनमे शब्द हैं पर मीठा संगीत कहाँ.

बचपना अब भी वही है हममें ….बस ज़रूरतें बड़ी हो गयीं हैं …।

कयामत ने आज हमारी दोस्ती काएक नया अफसाना है लिखा..तेरे जैसा दोस्त मुझे बड़ीमिन्नतों के बाद है मिला..

मेरी धड़कनो में आप का ही राज होगा,मेरी बात का बस यही अंदाज होगा।कभी बेवफाई नहीं करते हम दोस्ती में,मेरी दोस्ती पर आप को हमा नाज़ होगा।

अँधेरों में वो चमकती रौशनी हैंलबों पर खिलती एक हँसी हैं..दुनिया मिलें भी तो खलती हैंदोस्त ज़िंदगी की ऐसी कमी हैं..

दोस्तो से दोस्ती रखा करो तबियत मस्त रहेगी,ये वो हक़ीम हैं जो अल्फ़ाज़ सेदुरुस्त किया करते हैं।

◆ ये दोस्ती का रिस्ता हम दिल से निभाते है हम दोस्तों को दिल में बसते है।

गम को बेचकर खुशी खरीद लेंगे,ख्वाबो को बेचकर जिन्दगी खरीद लेंगे ,होगा इम्तहान तो देखेगी दुनिया,खुद को बेचकर आपकी दोस्ती खरीद लेंगे।

कोई यार कभी पूराना नही होता,चंद दिन बात न हो तो बेगाना ना होता।दोस्ती में दूरिया तो आती ही है,मगर इसका मतलब दोस्त को भुलाना नहीं होता।

ऐ दोस्त जरा सभल कर चलना यहा ऐसे बहुत लोग मिलेंगे जो सिर्फ वक़्त गुजारने की लिए मिलेंगे

खोना नही चाहते हैतुम्हें इसलिए रिश्तेका नाम दोस्ती रखा है…!!

गलियां सुनी थी औरआंगन भी थे सुनेदोस्तो की याद आई औरमेरी आँखे नम हो गई।

कोई तो रूबरू करवाए बेखौफ बीते हुए बचपन से..मेरा फिर से बेवजह मुस्कुराने का मन है..!!

क्या खूब बीता वो दौर बचपन का, बस पता न लग सका की कब बीता दौर बचपन का।

बचपन की दोस्ती सभी निभाते हैं, जरूरत पड़े तो पर बिन बुलाये आते हैं.

“ काग़ज़ की नाव भी है,खिलौने भी हैं बहुत,बचपन से फिर भीहाथ मिलाना मुहाल है…!!

हर मोड़ पर मुकाम नहीं होतादिल के रिश्ते का कोई नाम नहीं होताचिराग की रौशनी से ढूँढा है आपकोआप जैसा दोस्त मिलना आसान नहीं होता

काग़ज़ की कश्ती थी पानी का किनारा थाखेलने की मस्ती थी ये दिल अवारा थाकहाँ आ गए इस समझदारी के दलदल मेंवो नादान बचपन भी कितना प्यारा था

मुमकिन है हमें गाँव भी पहचान न पाए,बचपन में ही हम घर से कमाने निकल आए।

फ़िक्र से आज़ाद थे और, ख़ुशियाँ इकठी होती थीवो भी क्या दिन थे जब गर्मियों की छुट्टियाँ हुआ करती थी

वक़्त यूँ ही गुज़रता है पर यारो का प्यार कहाँ कम होता है

खुदा की 🏢 महफिल से फिर से,, कुछ 🐐 गधे फरार हो गए, कुछ 😊 पकड़े गए,, और कुछ 😁 मेरे यार बन गए ।

खेलना है मुझे मेरी माँ की गोद में,के फिर लौट के आजा मेरे बचपन।

सुकून की बात मत कर ऐ दोस्त बचपन वाला इतवार अब नहीं आता.

कितना भी परेशान करूँवो गिला नहीं करते वो बचपन वाले दोस्त अब मिला नहीं करते

नहीं है अब कोई जुस्तजू इस दिल में ए मेरे दोस्त, मेरी पहली और आखिरी आरज़ू बस बचपन में लोट जाने की हैं।

एक इच्छा है भगवन मुझे सच्चा बना दो,लौटा दो मेरा बचपन मुझे बच्चा बना दो।

मुस्कुरा कर रह जाता हूँजब भी याद आती है वो मस्ती,और जब भी याद आती हैSchool की वो पुरानी बस्ती।

कोई तो रूबरू करवाए बेखौफ बीते हुए बचपन से..मेरा फिर से बेवजह मुस्कुराने का मन है..!!

हम अपने पर गुरुर नहीं करते,याद करने के लिए किसी को मजबूर नहीं करते।मगर जब एक बार किसी को दोस्त बना ले,तो उससे अपने दिल से दूर नहीं करते।

कितने खुबसूरत हुआ करते थे बचपन के वो दिन ..!!सिर्फ दो उंगलिया जुड़ने से दोस्ती फिर से शुरु हो जाया करती थी ..!!

दुआएँ याद करा दी गई थीं बचपन में सो

मेरे शब्दों को इतने ध्यान से ना पढ़ा करो दोस्तों, कुछ याद रह गया तो मुझे भूल नहीं पाओगे!🤣

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