Bachpan Ki Dosti Shayari In Hindi : कई सितारों को मैं जानता हूँ बचपन से, कहीं भी जाऊँ मेरे साथ-साथ चलते हैं चलो के आज बचपन का कोई खेल खेलें, बडी मुद्दत हुई बेवजाह हँसकर नही देखा
आज हर एक ऊँगली उठाने वाला खामोश हैं क्योकि सूरज सा चमकता मेरा दोस्त मेरे साथ हैं
सर पर ज़िम्मेदारियों का बोझ नहीं शरारतें सवार हुआ करती थी, वो दौर-ऐ बचपन भी कितना हसीं था।
“ वो दिन भी थे कितने अच्छेजब होते थे हम छोटे बच्चे….!!
मेरे दोस्तों की पहचान इतनी मुश्किल नहीं,वो हंसना भूल जाते है मुझे रोता देखकर।
आजकल आम भी पेड़ से खुद गिरके टूट जाया करते हैं, छुप छुप के इन्हें तोड़ने वाला अब बचपन नहीं रहा।
बुरे वक्त में रिश्तेदार नहीं,एक सच्चा दोस्त ही काम आता हैं..Bure waqt mein rishteydar nahi,Ek saccha dost hi kaam aata hain..
आज बचपन का टूटा हुआ खिलौना मिला…उसने मुझे तब भी रुलाया था,उसने मुझे आज भी रुलाया है
खूबिया मिलती है तो शादी होती है,मगर कमिया मिलती है तो दोस्तीहोती है..!!
कही धूप है तो कही छाय भी होगी,मेरी हर ख़ुशी यार तुम्हारें नाम होगी।कबही माग कर तो देख मुझसें ऐ दोस्त,होठो पे हसी हथेली पे मेरी जान हाजिर होगी।
जिंदगी रही तो दोस्ती निभाएंगेदिल की बात तुम्हें ही बताएंगेसाथ रहेंगे हर सुख दुख मेंलेकिन अगर कभी भूले हमेंतो कान के नीचे दो लगाएंगे 🕺
बचपन के दिन भी कितने अच्छे होते थेतब दिल नहीं सिर्फ खिलौने टूटा करते थेअब तो एक आंसू भी बर्दाश्त नहीं होताऔर बचपन में जी भरकर रोया करते थे
देखकर रेल के डिब्बे बुहारता बचपनलोग कह देते हैं– “ पाँवों पे खड़ा है तो सही”
इक खिलौना जोगी से खो गया था बचपन में, ढूँडता फिरा उस को वो नगर नगर तन्हा ~जावेद अख़्तर
वक्त की यारी तो हर कोई कर लेता है दोस्त,मजा तो तब है, जब वक्त बदले पर यार ना बदले।
जिम्मेदारियों ने वक्त से पहलेबड़ा कर दिया साहब,वरना बचपन हमको भी बहुत पसंद था।
जरूरत लिखनी थीमैं दोस्त लिखकर आ गया
“ जिसमें न थी रोने की वजहऔर हंसने का बहाना,न जाने कहां चला गया वोबचपन का जमाना….!!
“ वो पूरी ज़िन्दगी रोटी,कपड़ा,मकान जुटाने में फस जाता है,अक्सर गरीबी के दलदल मेंबचपन का ख़्वाब धस जाता है….!!
बचपन में भरी दुपहरी में नाप आते थे पूरा मोहल्ला,जब डिग्रियां समझ में आई तो पांव जलने लगे।
“ बचपन के दोस्त होते थेबहुत प्यारे,एक ही चॉकलेट परदौड़े चले आते थे सारे….!!
उम्र की सिढ़ी चढ़ थकने लगे है,कदम जो कई छतें लाँघ जाते थे।
हंसने की भी, वजह ढूँढनी पड़ती है अब; शायद मेरा बचपन, खत्म होने को है!
हमारे लिए वही #दोस्त सबसे खास होता है…जिसके बारे में घर वाले बोलते है,इसके साथ दोबारा दिखा तो तेरी #टांगे तोड़ देंगे
बचपन में तो शामें भी हुआ करती थी,अब तो बस सुबह के बाद रात हो जाती है.
बिगड़ी हुई ज़िंदगी की बस इतनी सी कहानी है,कुछ तो था में पहले से ही कमीना,बाकी मेरे दोस्तों की मेहरबानी है।
दोस्ती निभाते गुज़रा हैं ज़माना अपनाचोट देने वाला हैं यार पुराना अपना..उसे नज़र से गिराना बहोत ज़रूरी हैंकातील से अपने था गहरा याराना अपना..
तेरी यादों में खोए रहते हैं,इस दुनिया से एक दूरी सी लगती है।हो सके तो लौट आ ए दोस्त,तेरे बिना जिंदगी अधूरी सी लगती है।
◆ हम फालतू के इश्क में दिमाग नहीं लगते,
दोस्ती व्यापार से नहीं दिल से करो,आप का नाम चाहे कितना भी ऊँचा हो,लेकिन कदम हमेशा दोस्तों के साथ मिला के चलो।
तेरी यादें भी मेरे बचपन के खिलौने जैसी हैं,तन्हा होता हूँ तो इन्हें लेकर बैठ जाता हूँ।
हम भी मुस्कराते थे कभी बेपरवाह अन्दाज़ से देखा है आज खुद को कुछ पुरानी तस्वीरों में
काश मैं लौट जाऊं…बचपन की उन हसीं वादियों में ऐ जिंदगीजब न तो कोई जरूरत थी और न ही कोई जरूरी था!
याद के भवर में एकपल हमारा होखिलते चमन में एकगुल हमारा होजब याद करे आप अपनेदोस्तों को तोउनके नामों में से एकनाम हमारा हो।
झूठ बोलते थे फिर भी कितने सच्चे थे हम,यह उन दिनों की बात है जब बच्चे थे हम।
खुदा ने मुझे बहुत वफ़ादारदोस्तों से नवाज़ा हैयाद मै ना करू तोकोशिश वो भी नहीं करते 🤣🤣
खुदा अगर DOSTI का रिश्ता ना बनाता तोइंसान कभी यकीन ना करता कि अजनबी लोगअपनो से भी प्यारे हो सकते है।❤️💯
✒ बचपन में तो शामें भी हुआ करती थी,अब तो बस सुबह के बाद रात हो जाती है.
पैसा कम था लेकिन बचपन की दोस्ती में दम था
दोस्ती पर शायरीतुम सदा हसंते रहो ये दुआ है मेरीहर पल में माँगी है बस खुशी तुम्हारी,तुम भले ही कितने भी दोस्त बना कर देख लो,फ़िर भी महसूस करोगे कमी मेरी
दोस्त तेरी दोस्ती खुशियों की सौगात है,तेरा मेरा जिंदगी भर का साथ है,ये दिलों का वो खूबसूरत एहसास है,जिसके दम से रोशन ये सारी कायनात है।
हे भाग्य विधाता एक एहसान करदे,मेरे यार की तकदीर में खुशियाँ लिख दे।कभी गम का छाया न हो उसपे,भले ही उसकी खातिर मेरी जान लिख दे।
“दोस्ती लाइफ में उजाला कर देती हैं,हर पल में ख़ुशी भर देती हैं…..,कभी जगमगा के बरसती हैं कोमल दिल पे,कभी उदासी में भी मनोरजन भर देती हैं.”
पुरानी अलमारी से देख मुझे खूब मुस्कुराता है, ये बचपन वाला खिलौना मुझें बहुत सताता है।
आज भी याद आता हैबचपन का वो खिलखिलानादोस्तों से लड़ना, रूठना, मनाना
हम ना बदलेंगे वक्त की रफ़्तार के साथ, हम जब भी मिलेंगे अंदाज पुराना होगा !!
अब भी तो है बचपना,प्रेम करते हैं, पर मिल कर नहीं।
उम्र के साथ ज्यादा कुछ नहीं बदलता,बस बचपन की ज़िद्दसमझौतों में बदल जाती है।
जिंदगी में कई दोस्त बनाना एक आम बात हैं लेकिन, एक ही दोस्त से जिंदगी दोस्ती निभाना खास बात हैं
खुदा अबके जो मेरी कहानी लिखनाबचपन में ही मर जाऊ ऐसी जिंदगानी लिखना!!
दुश्मनों ने जो दुश्मनी की है,दोस्तों ने भी क्या कमी की है।
“ किस किसको सुनाऊंबचपन की शैतानियांअनगिनत हैं किस्से,अनगिनत हैं कहानियां….!!!
लोग दौलत देखते हैं,हम इज़्ज़त देखते हैं।लोग मंज़िल देखते हैं,हम सफ़र देखते हैं।लोग दोस्ती बनाते हैं,हम उसे निभाते हैं।
कॉलेज के होस्टल में खूब मस्ती की,होस्टल लाइफ को भी काफी अच्छे से जिया,कॉलेज खत्म होने के बाद,हर वक्त उन ”दिनों” को याद किया।
गम को बेचकर ख़ुशी खरीद लूँगा,ख्वाबों को बेचकर जिंदगी खरीद लूँगा,अगर होगा इम्तिहान तो देखेगी दुनिया,खुद को बेचकर दोस्ती खरीद लूँगा…
“ माँ का आलिंगन, पापा की डाँट,भाई बहन के साथ नटखट सा व्यव्हार…!!
“ बचपन में जब करते थे मनमानी,दिल में छिपी होती थी नादानी,जब खाते थे मम्मी से मार,तो याद आती थी दादी-नानी….!!
◆ दोस्ती से ही तो रिस्तो में मिसाल होती है, क्या कहें… सच्ची दोस्ती सच मे लाज़बाब होती है
कैसे भूलू बचपन की यादों को मैं,कहाँ उठा कर रखूं किसको दिखलाऊँ?संजो रखी है कब से कहीं बिखर ना जाए,अतीत की गठरी कहीं ठिठर ना जाये।
कई सितारों को मैं जानता हूँ बचपन से, कहीं भी जाऊँ मेरे साथ-साथ चलते हैं
शहर भर में मजदूर जैसे दर-बदर कोई न था,जिसने सबका घर बनाया उसका घर कोई न था।
दर्द दोस्ती शायरीदम नहीं किसी में जो मिटा सके हमारी हस्ती कोजंग तलवारो को लगती है दोस्त मजबूत इरादे को नहीं
एक इच्छा है भगवन मुझे सच्चा बना दो,लौटा दो मेरा बचपन मुझे बच्चा बना दो.
मेरे रोने का जिस में क़िस्सा है उम्र का बेहतरीन हिस्सा है
में उस रिश्ते से कोई रिश्ता नहींरखता.. जो मेरे दोस्त को मुझसेअलग करे..।😍💯❤️
ज़िन्दगी नहीं हमें दोस्तों से प्यारी,दोस्तों पे हाज़िर है जान हमारी,आँखों में हमारी आंसू है तो क्या,जान से भी प्यारी है मुस्कान तुम्हारी.।
दोस्त वह नहीं जो मिट जाए,रास्तों की तरह कट जाए,दोस्तों वह प्यारा एहसास है,जिसमें सब कुछ पल भर में ही सिमट जाए।
दोस्त तो बहुत होंगे पर कभी आजमा कर देख लेना क्योकि सभी दोस्त सच्चे नहीं होते
लगता है माँ बाप ने ✒ बचपन में खिलौने नहीं दिए,तभी तो पगली हमारे दिल से खेल गयी.
ज़िन्दगी वक्त से पहले उम्र के तजुर्बे दे जाती है, बालों की रंगत ना देखिए जिम्मेदारी बचपन ले जाती है।
वो बचपन क्या था, जब हम दो रुपए में जेब भर लिया करते थे।वो वक़्त ही क्या था, जब हम रोकर दर्द भूल जाया करते थे।।
उड़ने दो परिंदों को अभी शोख़ हवा में…फिर लौट के ✒ बचपन के ज़माने नहीं आते.इन्हें भी पढ़े : आवाज़ पर शायरी – Aawaz Par Shayari
“ बचपन में बहुत की मस्ती,दोस्तों ने भी साथ खूब दिया,एक पल आया ऐसा जब दोस्तों को छोड़मां बाप ने मुझे ही कूट दिया….!!