Bachpan Ki Dosti Shayari In Hindi : कई सितारों को मैं जानता हूँ बचपन से, कहीं भी जाऊँ मेरे साथ-साथ चलते हैं चलो के आज बचपन का कोई खेल खेलें, बडी मुद्दत हुई बेवजाह हँसकर नही देखा
कुछ एहसानो का कर्जदार हूँकुछ उधार मुझे चुकाना हैमिल जाए अगर कहीं पुराने यारतो उनका हिसाब पूरा करू।
“ बेहद मजबूत होते हैंये खास रिश्ते,तभी तो बचपन केदोस्त कभी नहीं छूटते..!!
माना बचपन में, इरादे थोड़े कच्चे थे। पर देखे जो सपने, सिर्फ वहीं तो सच्चे थे।
◆ अपने दर्द किसी से बयां नहीं हो पता है, एक दोस्त ही है, जो खामोशियो से तकलीफ समझ जाता है।
कैसे भूलू बचपन की यादों को मैं,कहाँ उठा कर रखूं किसको दिखलाऊँ?संजो रखी है कब से कहीं बिखर ना जाए,अतीत की गठरी कहीं ठिठर ना जाये.!
समंदर ना हो तो कश्ती किस काम की,मजाक ना हो तो मस्ती किस काम की,ये जिंदगी कुर्बान है दोस्तों के लिए,दोस्त ना हो तो ये जिंदगी किस काम की..
बचपन को कैद कियाउम्मीदों के पिंजरों में,एक दिन उड़ने लायक कोई परिंदा नही बचेगा।
दोस्तों की बात ही निराली है,सुरूर इक दफा उतरने लगता है।पर दोस्ती का फितूर बढ़ता चला जाता है।
“ बहुत ही संगीन ज़ुर्म को,हम अंज़ाम देकर आए हैं,बढ़ती उम्र के साए से,कल बचपन चुरा लाए हैं….!!
हर दुआ कबूल नहीं होती, हर आरजू पूरी नहीं होती,जिनके दिल में आप जैसे दोस्त रहते हो,उनके लिए धड़कन भी जरूरी नहीं..
देखो ✒ बचपन में तो बस शैतान थामगर अब खूंखार बन गया हूँ .
किसीने पूछा मुझसे मेरा पसंदीदा त्यौहार, मैंने मुस्कुरा के कहा, वो हर लम्हा जिसमे साथ हो मेरा यार।
मैं मजबूर, तन्हा अकेला था,जिंदगी के हर पल में अंधेरा था,ए दोस्त जब से तुम आए हो मेरी जिंदगी में,अमावस की रात में भी चांद खिला है।
“ बड़ी चोट खायी जमाने से पहले,जरा सोचिये दिल लगाने से पहले,मुहब्बत हमारी नहीं रास आई,लगी आग घर को बसाने से पहले….!!
हर किसी की गोद में बैठता है हर कोई सर पर चढ़ाता है, गम तो बार बार आते हैं ज़िन्दगी में पर बचपन ज़िन्दगी में बस एक बार आता है।
मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन,वो कागज़ की कश्ती, वो बारिश का पानी.
ए सुदामामुझे भी सिखा दें,कोई हुनर तेरे जैसा।मुझे भी मिल जायेगा,फिर कोई दोस्त कृष्ण जैसा।
◆ एक दोस्त ही है जो सब कुछ बोल देते है बाकि जमाना तो अपनी तारीफ सुनना ही पसंद करता है।
जिसे तू चाहे वो तेरा हो जाए रोशन राते और हसी सवेरा हो जाएचलता रहे अपनी दोस्ती का सिलसिलाकामयाब हर मंजिल पर मेरा दोस्त हो जाए।
बचपन में शौक़ से जो घरौंदे बनाए थे,इक हूक सी उठी उन्हें मिस्मार देख कर.
ची ल उड़ी, कौआ उड़ा,बचपन भी कहीं उड़ ही गया.
सच्चा यार आपकों कभी गिरते हुए नही देखेगा,चाहे वों किन्ही के कदमों में या फिर किन्ही कि नजरों में।
बचपन की बरसात में हर कोई भीगा होगा पर कोई उस बरसात से बीमार नहीं हुआ।
बचपन के दिन भी कितने अच्छे होते थेतब दिल नहीं सिर्फ खिलौने टूटा करते थेअब तो एक आंसू भी बर्दाश्त नहीं होताऔर बचपन में जी भरकर रोया करते थे
जिंदगी में कुछ दोस्त बन गये,कोई दिल में तो कोई आँखों में बस गये।कुछ दोस्त अहिस्ता से बिछड़ते चले गये,पर जो दिल से ना गये वो आप बन गये।
उन फूलों से दोस्ती क्या करोगेजो एक दिन मुरझा जायेंगेकरना है दोस्ती तो हम जैसे काँटों से करोजो एक बार चुभे तो बार-बार याद आएंगे
एक ताबीज़ हमारी गहरी दोस्ती को चाहिए,जरा सी दिखी नहीं कि नज़र लगने लगती हैं।
यकीन पे यकीन दिलाते हैं दोस्त, राह चलते को बेवकूफ़ बनाते हैं दोस्त, शरबत बोल के दारू पिलाते हैं दोस्त, पर कुछ भी कहे साले बहुत याद आते हैं दोस्त
बचपन भी कमाल का था खेलते खेलते चाहें छत पर सोयें या ज़मीन पर आँख बिस्तर पर ही खुलती थी
दिन बचपन के किसी को ठीक से याद नहीं रहते, पर याद बचपन के दिनों को सब बहुत ठीक से करते हैं।
दिल लगी दोस्तो के नाम होती है,दिल दारी दोस्तों की शान होती है।रहोगे दिल में जो मेरे हमसा तुम,यही सच्ची दोस्ती की पहचान होती है।
छोटी -नन्हीं यादों सा था बचपन…न जाने कब बढ़ा हो गया
मुस्कुराने का मन करता है तो बचपन को याद कर लेता हूँ और रोने का मन करता है तो अपनों को याद कर लिया करता हूँ।
असली ज़िंदगी वही जीते है,जो दोस्त के साथ अदरक वाली चाय पीते है
दोस्त ऐसा बनाओ,जो सलाह नहीं साथ दें…Dost aisa banao,Jo salah nhi sath de..
◆ ये दोस्ती का रिस्ता भी अजीब होता है मिल जाये तो बातें लम्बी, और बिछड़ जाये तो यादें लम्बी।
“ रिक्शेवाले का घर के बाहर आवाज लगाना,रोज नया बहाना कर के स्कूल न जाना,कुछ ऐसा ही होता थाबचपन में हमारा कारनामा…!!
दोस्त जिसके साथ आप हॅसते हो, रोते हो, पर ज़िंदगी जीना सीखते हो
“ बचपन में जब लगती थी पिटाई,इसके बदले खाता था मिठाई,आज वही कहानी याद आई,यही तो है जिंदगी की सच्चाई….!!!
दोस्त तू है मेरा सबसे न्यारा, जन्मदिन हो मुबारक तुझे तेरा, किसी की कभी नजर ना लगे तुझे, कभी उदास ना हो ये चहेरा प्यारा-प्यारा, जन्मदिन की शुभकामनाएं !
दिन हुआ है तो रात भी होगी,हो मत उदास, कभी बात भी होगी।इतने प्यार से दोस्ती की है,जिन्दगी रही तो मुलाकात भी होगी।
इस जन्मदिन आप अपने सपने बताओ नहीं, बल्कि सबको दिखाओ !! Happy Birthday
“ कितने खुबसूरत हुआ करते थेबचपन के वो दिन सिर्फ दोउंगलिया जुड़ने से दोस्तीफिर से शुरु हो जाया करती थी….!!
में बहुत लक्की हु कियू कि येमतलबी दुनिया मे तेरे जैसादोस्त मिला.!!
लोग तो ऐसे ही कुछ भी बोलकर चले जाएंगे, तुझ जैसा साथ देने वाला दोस्त कहां।
याद करते हैं हम यारो की दोस्ती,यादों से दिल भर जाता है,कल साथ जिया करते थे मिलकरआज मिलने को दिल तरस जाता है।❤️
वह मौत भी कितनी सुहानी होगी,जो यारो की यारी में आनी होगी,खुदा करे हम पहले मर जाएं,क्योंकि यारो के लिए जन्नत भी तो सजा नहीं होगी।
दोस्त अगर रोना आये तो आ जाना मेरे पासहसने का वादा तो नहीं करतेपर रोऊँगा ज़रूर तेरे साथ
फिर से नज़र आएंगे किसी और में हमारे ये पल सारे, बचपन के सुनहरे दिन सारे।
बचपन की दोस्ती थी बचपन का प्यार थातू भूल गया तो क्या तू मेरे बचपन का यार था
कोशिश करो कोई आपसे ना रूठे,जिंदगी में अपनों का साथ ना छूटे,दोस्ती कोई भी हो उसे ऐसा निभाओ,कि उस दोस्ती की डोर जिंदगी भर ना टूटे।
दोस्ती वो नहीं होती जो जान देती है,दोस्ती वह नहीं होती जो मुस्कान देती है,असली दोस्ती वह होती है,जो पानी में गिरे आंसू को भी पहचान लेती है।
मुझे दोस्त कहने वाले ज़रा दोस्ती निभा देये मुतालबा है हक़ का कोई इल्तिजा नहीं है।
जिंदगी में अब कोई बात नहीं होगी,अगर होगी तो वो तेरे साथ होगी,हर हाल में मुस्कुराते रहेंगे,अगर दोस्त तेरी दोस्ती साथ रहेगी।
“ बचपन के दिन सबसे खास होते हैं,इस समय सभी अपने पास होते हैं,जब पढ़ाई के लिए कोई घर से दूर जाता है,तब घर वालों को याद करके रोता है….!!
तुम जो कहती हो कि छोड़ दो,अपने आवारा दोस्त को,क्या तुम मेरे जनाजा उठा सकती हो?
कुछ नहीं चाहिए तुझ से ऐ मेरी उम्र-ए-रवाँमेरा बचपन मेरे जुगनू मेरी गुड़िया ला दे
जो सोचता था बोल देता था,बचपन की आदतें कुछ ठीक ही थी
मेरा बचपन भी साथ ले आयागाँव से जब भी आ गया कोईकैफ़ी आज़मी
बचपन के खिलौने सा कहीं छुपा लूँ तुम्हें,आँसू बहाऊँ, पाँव पटकूँ और पा लूँ तुम्हें।
लकीरें तो हमारी भी बहुत ख़ास है…तभी तो तुम जैसा दोस्त हमारे पास है…!!
वो लड़कीया भी किसी आतंकवादी से कम नही हुआ करती थी…जो टिचर के क्लास मे आते ही याददिला देती है ..सर आपने टेस्ट का बोलाथा..आजकल के बच्चे क्या समझेंगे
तुम आये जिन्दगी में तो बहार छा गयी,पतझड़ में भी फुल खिल गए,ऐ दोस्त तेरे साथ से हर मंजिल मिल गयी।
“सजा है मोहब्बत की दिल तोड़ना !अदा है दोस्ती की दिल जोड़ना !कुर्बानियां जो मांगे वो है मोहब्बत!और दोस्ती वो होता हैं जो बिना मांगेकुर्बान हो जाये.”
इतनी चाहत तो लाखो रुपए पाने की भी नहीं होती,
दोस्ती एक वो एहसास होता हैजो अनजाने में लोगो के पास लाता हैजो हर पल साथ दे वही दोस्त कहलाता हैवरना अपने भी साथ छोड़ जाते है
तुझसे दोस्ती अब हमइस तरह निभाएंगेतु रोज खाफा होना हमहर रोज़ मनायेंगेपर तू मान जाना मेरे एकबार मनाने सेनहीं तो ये नम आँखे लेकेतू कहा जाएगा।
बहुत शौक था बचपन मेंदूसरों को खुश रखने का,बढ़ती उम्र के साथवो महँगा शौक भी छूट गया।
बचपन की मीठी-मीठी सी एक याद चॉकलेट,है मेरी इस ग़ज़ल की भी बुनियाद चॉकलेट ।
बचपन से हर शख्स याद करना सिखाता रहा,भूलते कैसे है ? बताया नही किसी ने…..
बचपन वो था जब खिलोने टूटने पर रोना आता था और जवानी वो है जब दिल टूटने पर भी रो नहीं पाते।
बड़ी मिन्त्तो से मिलता है तेरा जैसा दोस्त,जो हर सुख दुःख में साथ रहता है,हर राह में साथ खड़ा होता है,सलाम है तेरी दोस्ती को।