Anath Shayari In Hindi : आज कल लोग नफरत को औलाद की तरह,और मोहब्बत को अनाथ की तरह पालते है. पानी का संग छूट गया, मछली हुई अनाथजीवन मेरा उतना ही जितना तेरा साथ।
यदि झूठ ”बोलने” से किसी की जान बचती है तो, झूठ_पाप नही पुण्य है
मनुष्य ”बिगड़ता” है या तो परिस्थितियों से अथवा पूर्व #संस्कारों से, परिस्थितियों से गिरने वाला मनुष्य उन #परिस्थितियों का त्याग करने से ही बच सकता है।
हिम्मत और हौसला #मुश्किल को आसान कर सकते हैं, आंधी और “तूफ़ान” से बचा सकते हैं, मगर चेहरे को खिला सकना उनके #सामर्थ्य से बाहर है।
#सौभाग्य उन्हीं को प्राप्त होता है, जो अपने कर्तव्य के #रास्ते पर डटे रहते हैं
क्या पता औलाद काम आये ना आयेबुढ़ापे के लिए कुछ पैसे बचाकर रखना।
#आकाश में उड़ने वाले पंछी को भी अपना घर_याद आता है।
जब हम कोई ”काम” करने की इच्छा करते हैं तो #शक्ति अपने आप ही आ जाती है।
डरपोक_प्राणियों में सत्य भी #गूंगा हो जाता है।
माँ के लिए अपने बच्चे की ख़ुशी से बढ़कर और कुछ नहीं होता, वो तो अपनी दुआ में भी अपने बच्चे के लिए खुशियां मांगती है।
आदमी का ‘सबसे’ बड़ा दुश्मन गरूर है।
तुम मुझसे_बड़ी हो। तुम हृदय से सचमुच #मुझसे बड़ी हो।
माँ को वृद्ध आश्रम छोड़ने वाले ये नहीं सोचते की अगर उनके पैदा होते ही उन्हें अनाथ आश्रम में छोड़ दिया होता तो वो आज जहाँ कहीं भी है वहां नहीं होते।
अच्छे कामों की #सिद्धि में बड़ी देर लगती है, पर बुरे कामों की ”सिद्धि” में यह बात नहीं।
माँ तेरा कर्ज़ा मैं उतरूंगा कैसे, मुझे पता है इस कर्ज़े का बूझ भी तू अपने सर ले लेगी।
उस माँ के दिल से कभी मत खेलना जिसने तुम्हारी परवरिश के लिए जान की बाजी लगा दी।
अनाथ मटमैले कपड़े पहने,आँखों में आंसू लिए…इंसानियत का इन्तजार कर रही थीमगर आज भी उसके नसीबमें भूख ही आया।
#न्याय और नीति सब लक्ष्मी के ही #खिलौने हैं। इन्हें वह जैसे चाहती है, ”नचाती” है।
जिस तरह सुखी लकड़ी_जल्दी से जल उठती है, उसी तरह भूख से बावला #मनुष्य जरा जरा सी बात पर तिनक जाता है।
छोड़ दिया उसे मैंने आजजो मुझे नहीं समझ सका।आज वो “अनाथ” हो गयामेरे प्यार और विश्वास से।
जो बात मेरे माँ के चेहरे पर मुस्कराहट ना सके, वो बात बिना बात की है मेरे लिए।
माँ तो बच्चे का दर्द बिन कहे समझ जाती है मगर बच्चे माँ का दर्द पूछते भी नहीं इस बात से माँ को दर्द होता है।
जो बीच में छोड़ देवो साथ कैसे,जिसने ईश्वर को अपना मान लियावो अनाथ कैसे।
सड़कों पर रात की भीड़ देखकरफुटपाथ पर बैठा अनाथ सोच रहा है,वो लोग घर क्यों नहीं जाते हैजिनके पास घर है।
अनाथ शब्द जैसे सूखी डाली के टूटे बिखरे पत्ते।ऐसे होते है मासूम अनाथ बच्चे।✍️
माँ-बाप का सायारहा न सर पेआँखें खोलते ही मैंनेअपनों को खो दिया,ग़मों का सैलाब़मेरा क्या बिगाड़ लेगा यारोंमैंने तो पैदा होते हीअपना बचपन खो दिया।
आज माँ के पैरों में दर्द था मगर फिर भी पूरी रात माँ ने अपने बच्चे को गोद में सुलाया।
सुनाे...जिन बतॆनाें के आवाज़ सुन आप बे-वज़ह ही परेशान हाे,रहें हाे साहब.!सच...इसी बतॆनाें कि खनक़ सुनमासूम चेहरें पर मुस्कान आ,जातें हैं साहब..!
माँ की आँख का तारा होना और माँ का तारा हो जाना,बस इतने से फ़र्क से बच्चों का आसमाँ बदल जाता है!
जिसने अपने पिता कोखो दिया हो उसे अनाथ कहेंगे,जिसने अपने पति को खोदिया हो उसे विधवा कहेंगे,पर जिसने अपने मित्र को खोदिया हो उसे क्या कहेंगे ?
जिस माँ ने ज़िन्दगी दी है उसे कभी ज़िन्दगी में तंग मत करना।
खुद टूट चुकी माँ आज भी अपने बच्चे की सलामती की दुआ मांगती है।
मैं वो मेले में भटकता हुआ इक बच्चा हूँ जिस के माँ बाप को रोते हुए मर जाना है !! मुनव्वर राना
चोर केवल ‘दंड’ से नहीं बचना चाहता, वह अपमान से भी #बचना चाहता है। वह दंड से उतना नही डरता है ,जितना कि #अपमान से।
मुझे लोगों के लिए अवसर पैदा करना पसंद है।मुझे लगता है कि यह मेरी अनाथ मानसिकता है।केविन मैक्कलम
जवानी “आवेशमय” होती है, वह क्रोध से आग_बन जाती है तो करुणा से पानी भी।
जब भी माँ-बाप के साथ बैठोतो परमात्मा का धन्यवाद करो,क्योंकि कुछ अनाथ लोग इनलम्हों को तरसते हैं।
जीत के सौ बाप होते हैंऔर हार अनाथ होती है।जॉन एफ कैनेडी
मनुष्य #बराबर वालों की हंसी नहीं सह सकता, क्योंकि उनकी हंसी में ईर्ष्या, #व्यंग्य और जलन होती है।
मेरी माँ सोचती बहुत थी, मगर हमेशा मेरे ही भले की सोचती थी।
मैंने सिर्फ ख्वाहिश की पूरा उसे मेरी माँ ने किया है, वही मेरे लिए खुदा है तो ये भी कह सकते हैं की ये सब खुदा ने किया है।
अनाथ आश्रम में बच्चे मिलते है गरीबों के,वृद्धाश्रम में माँ-बाप मिलते है अमीरों के।
जिस माँ ने बोलना सिखाया उसकी ख़ुशी का लिहाज़ करना उससे कभी बोलना बंद मत करना।
तुम उलझे रहो मेहबूबा के वफ़ा के नग्मों में, मुझे रहने दो मेरे माँ के क़दमों में।
#लिखते तो वह लोग हैं, जिनके अंदर कुछ ”दर्द” है, अनुराग है, लगन है, विचार है। जिन्होंने #धन और भोग विलास को जीवन का “लक्ष्य” बना लिया, वो क्या लिखेंगे?
तारीखों में धीरे-धीरे व्यतीत हो रहे है हम,आज है लेकिन हर पल अतीत हो रहे हम.
प्रेम एक ऐसा #बीज है, इसे एक बार ज़माने के बाद फिर बड़ी “मुश्किल” से उखड़ता है।
#आत्मसम्मान की रक्षा हमारा सबसे पहला_धर्म है।
जीवन में महत्वपूर्ण यह नहीं हैकि आपकी उम्र क्या है बल्किमहत्वपूर्ण यह है कि“सोच” आप किस “उम्र” की रखते है.
वो घर अनाथ आश्रमसे कम नहीं हैं,जिस घर के बुजुर्गवृद्धाश्रम में रह रहे है.
पानी का संग छूट गया, मछली हुई अनाथजीवन मेरा उतना ही जितना तेरा साथ।
कार्यकुशल_व्यक्ति की सभी जगह #जरुरत पड़ती है |
केवल #बुद्धि के द्वारा ही मनुष्य का #मनुष्यत्व प्रकट होता है।
खुदा पूछे जो आखिरी ख्वाहिश मेरी, मैं तुझे खुश देखने की दुआ करूंगा।
यश_त्याग से मिलता है, #धोखाधड़ी से नहीं।
लफ्ज़ अलग है बात वही है, माँ कहूँ या दुनिया बात वही है।
दूसरो को लूटने में नहीं #बल्कि दूसरो को सुख देने में जीवन का ”असली” सुख है।
विलासियों #द्वारा देश का उद्धार नहीं हो सकता। उसके लिए सच्चा_त्यागी होना पड़ेगा।
किसी किश्ती पर अगर फर्ज का #मल्लाह न हो तो फिर उसके लिए दरिया में डूब जाने के #सिवाय और कोई चारा नहीं।
माँ क्या होती है ये उनसे पूछो जो बिन माँ के बड़े हुए हैं।
तुम्हारी उस अमीरी का क्या फायदाजब तुम अपने माँ-बाप को अपने साथनहीं रख सकते… दुनिया के नजर में तुमअमीरो लेकिन खुद की नजरों में बहुतबड़े गरीब हो.
एक वृद्धाश्रम के गेटपर लिखा हाउएक अप्रतिम सुविचार –नीचे गिरे सूखे पत्तों पर अदब से चलना जरा,कभी कड़ी धूप में तुमने इनसे ही पनाह माँगी थी.
इंसानियत की बातें तो सभी करते है,लेकिन किसी अनाथ को अपने घर लेजाने वाला और अपने बच्चे की तरहपालने वाला भगवान से कम नहीं होता है.
एक विडंबना ये भी है की माँ आजकल चार बच्चों को संभल लेती है मगर चार बच्चे एक माँ को नहीं संभल पाते।
तिनके को सहारा मिले,कश्ती को किनारा मिले,एक उम्मीद की किरणअभी जिन्दा है दिलों मेंकि हर अनाथ बच्चे कोघर एक प्यारा मिले।
मुहब्बत_अमृत की बूंद के समान है जो मरे हुए #भावों को जिंदा कर देती है।
जहाँ इंसानियत जिन्दा है,वहां कोई अनाथ नहीं होता है,जहाँ इंसानियत मर गयी है,वहां हर कोई अनाथ होता है.
चेहरे की झुर्रियों से उम्र का पता चलता है,वरना दिल से दुनिया में कौन बूढ़ा होता है.
हर मुसीबत का हल और हर दर्द की दवा होता है, माँ का आशीर्वाद तो खुदा के आशीर्वाद से भी बड़ा होता है।
माँ को मत समझाओ की फ़र्ज़ क्या होता है, अगर पढ़े लिखे हो तो समझो माँ का दर्द क्या होता है।
जो माँ की मोहोब्बत को नहीं समझ सका वो काहे का पढ़ा लिखा।
जो ना सोचों बुढ़ापे मेंवही फ़साने होते है,शरीर कमजोर होकर बीमार होता हैऔर आँसू भी छुपाने होते है.
वृद्धाश्रम और अनाथ आश्रम कोएक कर देना चाहिए। ताकि बच्चों कोमाँ-बाप मिल जाएँ और माँ-बाप कोबच्चों को मासूम प्यार।