2910+ Akele Shayari In Hindi | दिल छूने वाली अकेलापन शायरी

Akele Shayari In Hindi , दिल छूने वाली अकेलापन शायरी
Author: Quotes And Status Post Published at: September 19, 2023 Post Updated at: May 9, 2025

Akele Shayari In Hindi : महफ़िल से दूरमैं अकेला हो गयासूना सूना मेरे लिएहर मेला हो गया। एक महफ़िल में कई महफ़िलें होती हैं शरीक जिस को भी पास से देखोगे अकेला होगा।

दिल में तन्हाई के सिवा कुछ नहीं बचा है, हमारे तन्हाई के किस्से पर महफ़िल में लोगों से हंसा है।

खुद से ही बातें हो जाती हैं अब तो,लोग वैसे भी कहा सुनते हैं आज कल।

प्यार मोहब्बत नहीं हमने तो इबादत की है,रस्मों और रिवाजों से बगावत की है।माँगा था हमने जिसे अपनी दुआओं में,उसी ने मुझसे जुदा होने की चाहत की है।

सपने तो टूटे थे ही अब तो,अपनों ने भी साथ छोड़ दिया..!

खुद को तबाह करू यह कभी हिम्मत नहीं हुई, मै वही हूँ जिससे आज तक उसे मोहब्बत नहीं हुई!

तनहाई में चलते-चलते अब पैर लड़खड़ा रहे हैं, कभी साथ चलता था.. कोई, अब अकेले चले जा रहे हैं ।

हम उसके चेहरे को कभी कभी रुख से उतार देते है,कभी कभी तो हम खुद को ही मार देते है.

उनकी कमी खलती है हर पलसांसे मेरी छूटती है हर पल उनकीयादें तड़पाती है मुझे हर पल

बताओ है कि नहीं मेरे ख्वाब झूठे,कि जब भी देखा तुझे अपने साथ देखा।

“ अकेले ही तय करनेहोते हैं कुछ सफर,हर सफर में हमसफर नही होते…!!

काफी अकेला हूं मै लेकिन अकेला ही काफी हूं,अगर धोखेबाज होता तो भीड़ होती वफादार हूँ इसलिए अकेला हूँ।

वहां से बिगड़ी है जिंदगी मेरी जहाँ से साथ तुमने छोड़ा था

न जाने कौन सी गलती की हमने, जो अकेले ही रहना पड़ता है हमें।

जिन में अकेले चलने का हौसला होता है,उनके पीछे एक दिन काफिला होता है!Jin mein akele chalne ka honsla hota hai,Unke peeche ek din kaafila hota hai!

एक दर्द छुपाए फिरते है बरसो से दिल में,क्यों ना आज कह दू इस भरी महफ़िल में,जिसको अपना हमसफ़र समझता था,वहीं कांटा बन गया आखिर मेरी मंज़िल में.

समय के साथ सब कुछ बदल जाता है, लोग भी और रिश्ते भी, खुशियां भी और कभी कभी हम खुद भी!!

जिनकी हम कभी जान हुआ करते थे आज उनके लिए हम अनजान हैं।

“ अकेले में बैठा इंसान अक्सर,अपने हृदय में छुपाए प्रश्नों को कुरेदता है…!!

अगर दर्द की जुबान होती तो वो खुद बता देता,अब भला मैं वो ज़ख्म कैसे दिखाऊं जो दिखते ही नही.

इस दौरेसियासत का इतना सा फ़साना है,बस्ती भी जलानी है मातम भी मनाना है।

“ मंजिल भी उसकी थीरास्ता भी उसका था,एक मैं ही अकेला था बाकिसारा काफिला भी उसका था…!!

मतलब के यारों की भीड़ से अकेलापन अच्छा है, झूठी मोहोब्बत से बेहतर ये अकेलापन अच्छा है।

अगर तुम मेरे बिना खुश हो तोमैं तुम्हें क्यों परेशान करूंमैं भी अपने अकेलेपन में खुश रह लूंगी!

“ टूटा हुआ मगर हारा नही हूं,अकेला हु पर बेसहारा नही हूं…!!!

अकेला छोड़ कर मुझे तुम तनहा कर गए,अधूरा सा मेरा हर लम्हा कर गए।प्यार क्यों किया मुझसे अगर निभाना ना था,बस जिंदा है अब ये शरीर,मेरे जज्बात मर गए।

भीड़ के ख़ौफ़ से फिर घर की तरफ़ लौट आया घर से जब शहर में तन्हाई के डर से निकला।

तेरे दिल की दुनिया को रौशन कर जाऊंगाअकेला ही आया था,अकेला ही मैं जाऊंगा।

अकेला रहना बेहतर है किसी ऐसे व्यक्ति के साथ रहने से जो आपकी परवाह ही नहीं करता।

अब ना किसी का दिल दुखायेंगे,अब ना किसी पर हक़ जताएंगे,अब यूही खामीश रहकर,ये दी पल की जिंदगी बिताएंगे।

तन्हा दिल, तन्हा सफर तुम्हारे बिन कटेगी कैसे तन्हा वक़्त, तन्हा उमर

“ हम रिश्ते में दिमाग नही लगाते,शायद इसलिए हमकभी-कभी खुद को अकेला पाते है…!!

ये अकेलापन मुझे भाने लगा अब करीब जाना मुझे चौकाने लगा अब Ye akelapan mujhe bhane laga ab karib Jan mujhe chaukane laga ab

ना दिल काबू में है, ना काबू में है जज्बात, बना ली है मैंने सबसे दुरी, मुजको करनी है खुदसे मुलाक़ात!

मज़हबी बहस मैने की ही नहीं,फालतु अक्ल मुझ में है ही नहीं।

ज़ख्म तो आज भी ताज़ा है बस वो निशान चला गया,इश्क तो आज भी बेपनाह है बस वो इंसान चला गया.

आजकल सबसे तकरार है मैं अकेला हूं और मुझे अकेलेपन से प्यार है।

सूने घरों में रहने वाले कुंदनी चेहरे कहते हैं, सारी सारी रात अकेले-पन की आग जलाती है.,

देख ली हमने जमाने की यारीमतलब निकल जाने के बाददूर हो जाते हैं बारी बारी

अकेलेपन से सीखी है मगर बात सच्ची है दिखावे की नजदीकयों से हकीकत की दूरियाँ अच्छी है 😔

गिर के खुद ही सम्भल जाता हूँ,अपनी किस्मत के धागों को बीनता पिरोता हूँ।रोज़ वही कुछ पाने की कश्मकश,रोज़ कुछ खोकर घर आता हूँ।

बरसो बाद भी तुझे याद करू तो आँखे भर आती है,मेरी जान जाने कैसे तू अपने दिन बिताता है..!!

अकेले कैसे रहा जाता है,कुछ लोग यही सिखाने…हमारी ज़िन्दगी में आते है।

ये दुनिया कहने को तो अपनो का मेला है..ध्यान से देखो तो यहां हर शख्स अकेला।

बहुत ज्यादा जुल्म करती हैं तुम्हारी यादे,सो जाऊ तो जगा देती हैं, उठ जाऊ तो रुला देती हैं…!

“ निकले हम दुनियाकी भीड़ में तो पता चला,कि हर वह शख्स अकेला हैजिसने मोहब्बत की है…!!

तुम्हारा मुझे छोड़ के जाना,तुम्हारी यादों में समुंदर में खो जाना।मेरी रातों में नींद ना आना,प्यार किया था या था बहाना।

“ ये वक्त गुजर रहा हैतुम भी कुछ पल चुरा लो,कब तक अकेले रहोगे मेरीमानो किसी से तुम भी दिल लगा लो…!!

आज कुछ अजनबी सा अपना वजूद लगता है,साथ हैं सब मगर दिल क्यों अकेला सा लगता है !

हर कोई मुझे जिंदगी जीने का तरीका बताता है।उन्हे कैसे समझाऊ की एक ख्वाब अधुरा है मेरा…वरना जीना तो मुझे भी आता है।

नदिया रुक नहीं सकती,पहाड़ चल नहीं सकते।आप भूल सकते है मगरहम भुला नहीं सकते।

कभी मुस्किल-ए-हालातपर नज़र नही गयी मेरी।वक़्त ने एक एक करके सबकी झलक दिखा दी।

भूल सा गया हैं बो मुझे ,समज नहीं आ रहा की हम आम हो गए उनके लिए या कोई खास बन गया है !

कभी कभी आपके आस पास लोग होते हैं, फिर भी अकेलापन लगता है।

वक़्त ने ऐसे बाजी पलटदी मेरे जिंदगी की।अब झूठ मेरे जिंदगी केसच को डरा रही है।

भर जायेंगे ज़ख़्म भी तुम ज़माने से ज़िकर ना करना,ठीक हूँ मैं तुम मेरे दर्द की फिकर ना करना।

इतना अकेलापन है मेरे अंदर कि,सांस भी लेती हूँ तो शोर सा लगता है..

जब भी उनकी याद आती है,दिल टूट जाता है,और रोने को दिल चाहता है.

मेरी जंग थी वक्त के साथ,फिर वक्त ने ऐसी चाल चली,मैं अकेला होता गया।

जब रिश्ता नया होता है तो, लोग बात करने का बहाना ढूंढते हैं, जब वही रिश्ता पुराना हो जाता है, तो लोग दूर होने का बहाना ढूंढता है!!

महफ़िल वो दुकानें है साहब जहाँ झूठा जूनून मिलता है, कभी आना अकेलेपन के बंद कमरों में सच यही सुकून मिलता है।

जीने की ख्वाहिश में हर रोज़ मरते हैं,वो आये न आये हम इंतज़ार करते हैं।झूठा ही सही मेरे यार का वादा,हम सच मान कर ऐतबार करते है।

“ कुछ भी तो नहीं अब गंवाने को,आंसु पोंछो बेबात रोते हो…!!!

जब तोड़ना ही था, तो रिश्ता जोड़ा क्यों, खुद नहीं दे सकते थे, तो हमारा गम से, नाता जोड़ा क्यों…

अकेले कैसे रहा जाता है इसे सिखाने के लिएकुछ लोग हमारी ज़िन्दगी में आते हैं

हम तन्हाई में भी तुझसे बिछड़ जाने से डरते है, तुझे पाना आभी बाकी है और खोने से डरते है.,

ज़िन्दगी यूँ हुई बसर तन्हा काफिला साथ और सफ़र तनहा

बहुत सोचा बहुत समझाबहुत ही देर तक परखा,कि तन्हा हो के जी लेनामोहब्बत से तो बेहतर है।

“ आज जो इस अकेलेपनका एहसास हुआ खुद को,तो समहाल नहीं पायाअपने इन आसुओं को…!!

“ क्यू दिल की बेकरारिया बॅड जाती हैं,जब सामने मनचाहा कोई होता है,धीरे से दिल के कोने मे हसरातो का,एक सेलाब जाने क्यू उमड़ आता है…!!

यूँ तो हर रंग का मौसम मुझसे वाकिफ है मगर, रात की तन्हाई मुझे कुछ अलग ही जानती है !

जब पहुंचा अकेलेपन के जहां में तो पाया की मेरे जैसे कई है यहाँ पे।

रोते हैं तन्हा देखकर मुझको वो रास्ते,जिन पर तेरे बगैर मैं कभी गुजरा ना था ।

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