Agriculture Shayari In Hindi : मुफ़्त की कोई चीज बाजार में नहीं मिलती, किसान के मरने की सुर्खियां अखबार में नहीं मिलती। ये जो खुद को राशन की कतारों में खड़ा पाता हूँ मैं, खेतों से बिछड़ने की सजा पाता हूँ मैं.
मैं #किसान हूँ मुझे भरोसा हैं अपने #जूनूनपर,निगाहे लगी हुई है आकाश के #मानसून पर…
घर से ये सोच के निकला हूँ कि मर जाना हैअब कोई राह दिखा दे कि किधर जाना है
ना भूखा हूँ ना भूखाकिसी को रहने देता हूँ,मैं गर्व से कहता हूँमैं “किसान का बेटा” हूँ।
“ आज के स्टूडेंट का नेचरबना है मोबाइल मीटरअब क्या पढ़ाये टीचरयह तो बन गया फटीचर….!!
चीर देता है धरती का सीना, अपना पसीना बहा के, वो इंसान नहीं, देश का किसान है
सब लगे हुए थे धर्म के दंगों में, किसान ने अपने मुद्दे को अनदेखा होते देख फांसी लगा ली पंखे से।
किसान की मजबूरी समझेगा कौनना कल कोई था ना आज कोई हैतो इन सरकारों से चिल्ला कर बोलेगा कौन.#Kisan
क्या दिखा नही वो खून तुम्हें, जहाँ धरती पुत्र का अंत हुआ, सच को ये सच नही मान रहा, लो आँखों से अँधा भक्त हुआ.
ग़रीब के बच्चे भी खाना खा सके त्योहारों में,तभी तो भगवान खुद बिक जाते हैं बाजारों में!
मैं किसान हूँ मुझे भरोसा हैं अपने जूनून पर, निगाहे लगी हुई है आकाश के मानसून पर…
“ लड़के हो या लड़कियाँदोनों नस्लें बनी खुरापातीसम्मान देने वाले विद्यार्थियों कीअब लुप्त हो रही है प्रजाति….!!
किसान नहीं होते तो हम सब भूखे मरते। 🙏👨🌾
खेतों को जब पानी की जरूरत होती हैतो आसमान बरसता है या तो आँखें
“ अक्सर कामयाब लोग वोी होते हैंजो कड़ी मेहनत और देर रात तकजागकर काम करते हैं…!!
खाट पर लेटा हूँ, किसान का बेटा हूँ, किस बात की सजा दी है, इतनी मेहनत के बाद भी इतनी परेशानी दी है. माना बुरा हाल है पर रखता तू ही ख्याल है.
अनपढ़ कह कर, किसी किसान से बतमीज़ी मत करना, तुम पेट भरने के लिए पढ़े हो, और किसान बिना पढ़े भी तुम्हारा पेट भर रहा है!
जब खेतो में मेरे किसान का पसीना बिखरता हैतब जा कर रंग आपके बाजारों का निखरता है
#हमें खिलाने वाले वो किसान अन्नदाता ना जाने कितनी रात साल में कितनी बार भूखे सोते हैं!!!
“ अपनी किस्मत के पन्नों परजो पसीने की स्याही सेअपने इरादे लिखा करते हैंउनकी किस्मत अक्सरबुलंद हुआ करती है…!!!
कड़वा सच!! किसान का जीवन सरल नहीं कठोर हैं।
#किसान हैं अन्नदाता किसान हैं देश के भाग्यविधाता!!!
आखिर क्यों ध्यान दे ऐसा भी क्या बड़ा है, कोई फ़िल्मी सितारा नहीं एक किसान ही तो मरा है।
देवताओं से भी हल नहीं हुई, जिन्दगी कही सरल नही हुई, कि अबके साल फिर यही हुआ अबके साल फिर फसल नही हुई. अमन अक्षर
“ आज का प्यारा स्टूडेंटअपनाये नई नई फैशनदेख देख इनकी फैशनगुरु पेरेंट्स पा रहे टेंशन….!!
“विज्ञान से जीवन और अन्य जरूरी तत्वों का स्पष्टीकरण की अपेक्षा रखना ऐसा है, जैसे व्यापरणकर्ता से काव्य का समझना।”
देश के सभी किसानों का हृदय से वंदन,आपकी दिन-रात की मेहनत से ही हमारा जीवन है।
किसान हमारी जान हैं, हमें उनकी हर समस्या को हल करने की जिम्मेदारी है। 💪👨🌾
#किसान के कदम धुप में जले हैं उसके कंधे झुके कर्ज के तले हैं!!!
“विज्ञान में इतनी विभूति है कि वह काल चिन्हों को भी मिटा दे।” – प्रेमचंद
उसका घर कच्चा है पर फिर भी वो किसान बारिश का इंतज़ार बेसब्री से कर रहा है।
“ सदाचार में विद्यार्थी आजपूरी तरह ढक्क्न हो रहाउनके इस व्यवहार सेपेरेंट्स का फ्यूचर सो रहा….!!
भगवान का सौदा करता हैं, इंसान की क़ीमत क्या जाने? जो “धान” की क़ीमत दे न सक, वो “जान ” की क़ीमत क्या जाने?
भगवान का सौदा करता हैं,इंसान की क़ीमत क्या जाने?जो “धान” की क़ीमत दे न सके,वो “जान ” की क़ीमत क्या जाने?
क्यों ना सजा दी पेड़ काटने वाले शैतान कोखुदा तूने सजा दे दी सीधे-सादे किसान को
आज मौसम सर पर चढ़कर बोल रहा हैएक गरीब परिवार भगवान के भरोसे रो रहा है#Kisan
“किसी एक मत को स्वीकार कर लेना विज्ञान द्वारा आत्महत्या करने के सामान है।”
“ सफलता अक्सर कड़ी मेहनत कीराह चलकर ही हासिल होती हैकेवल बड़ी बातें करने सेसफलता हासिल नहीं होती….!!
“ जैसे हर समस्या काकोई ना कोई हल जरूर होता हैउसी तरह करी हुई मेहनत का फलदेर से ही सही पर जरूर मिलता है…!!
“ डर मुझे भी लगा फ़ासला देख कर,लेकिन मैं बढ़ता गया रास्ता देखकर,खुद-ब-खुद मेरे नजदीक आती गई,मेरी मंजिल, मेरा हौसला देखकर…!
ना भूखा हूँ ना भूखा,किसी को रहने देता हूँ,मैं गर्व से कहता हूँ,मैं “किसान का बेटा” हूँ!
नही हुआ हैं अभी सवेरा, पूरब की लाली पहचान,चिडियों के उठने से पहले, खाट छोड़ उठ गया किसान.
अपनी फसलों को आधे भाव में बेचकर भीवो किसान हमेशा खुश रहता हैंक्योंकि उसे अपनी कमाई से ज्यादादूसरों का पेट भरने में आनंद आता हैं
“ इतना कुछ हो रहा है दुनिया मेंक्या तुम मेरे नही हो सकते…!!!
टूटा फूटा #घर मेरा, बस दो वक़्त की #रोटी है साहब,,, हम बुरे #हालातों से लडने वाले Eकिसान, ज़िन्दगी हमारी बहुत #छोटी है…..!!!!!!!!
“ हर सफल व्यक्ति के पीछे“एक औरत का हाथ”हो या ना हो लेकिनउसकी “कड़ी मेहनत” का हाथजरूर होता है….!!
सरकार ने किया था वादा,किसानों की आय दूनी हो जाएगी,क्या पता था महंगाई इतनी बढ़ेगी…कि उनकी जेब सूनी हो जाएगी।
जिन्दगी जीने के लिए तीन चीजें जरुरी होती हैं – खाना, कपड़ा और मकान, जो कि सभी किसानों की देन है। 🏡👖🍚
#लोग कहते हैं बेटी को मार डालोगे तो बहु कहाँ से लाओगे जरा सोचो किसान को मार डालोगे तो रोटी कहाँ से लाओगे!!!
“ ज़िन्दगी जीना आसान नही होता,बिना संघर्ष के कोई महान नही होता,जब तक न पड़े हथौड़े की चोट,पत्थर भी भगवान नही होता….!!
किस लोभ से “किसान” आज भी, लेते नही विश्राम हैंघनघोर वर्षा में भी करते निरंतर काम हैं
नंगे पैर बारिश में जब किसान खेतों में जाता है,तभी महकता हुआ बासमती आपके घर आता है!
खेती के व्यवसाय में भी फायदा होता हैं, पर खेती करने का एक कायदा होता हैं.
कृष्ण सारे संसार के लिए किल्ली के #समान है,क्योंकि वह अन्य सभी का भार #वहन कर रहा है.
मिट्टी से गहरा रिश्ता रखता हूँ,किसान का बेटा हूँ गर्व से कहता हूँ!
आज भी किसान लेते नहीं आरामफिर भी लोग नहीं समझते किसानों की जवान.#Kisan
#तुम हो तभी तो हम हैं जिस्म बिना जान कहाँ किसानो बिना अनाज कहाँ हर दर्द इनके दफ़न हो जाते हैंहब अनाज बनकर खेतों में लहलहाते हैं!!!
“ वक़्त से लड़केजो खड़ा होता हैवो हर वक़्त से बड़ा होता है….!!
#मिल जाये मौका जब सियासत करने से तो रोक लेना अपने देश के किसानो को मरने से!!!
“ दूर बैठे रहोगे पासन आओगे कभीऐसे रूठोगे तो जानले जाओगे कभी…!!
किसान# के क़दम धुप में जले हैं, उसके कंधे झुके #क़र्ज़ के तले है।
इस दुनिया को #खिलाने वाला बाप है मेरा, और मुझे अपने पिता के #किसान होने पर गर्व है।
दहेज़ क्या है उस बाप से पूछना जिसकी बेटी भी चली गई और खेत भी।
मै किसान हूँ, खेती करना मेरा कर्म है, और भूखे हुए को रोटी खिलाना मेरा धर्म है.
कोई परेशान है गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड के रिश्तो मेंकिसान परेशान हैं अपने कर्ज की किस्तों में#Kisan
माना किसान गरीब होते है. पैसे नहीं होते है पर कभी अकेले में बैठकर सोचना? क्या एक किसान जितना तुम्हारे जीवन में सुकून है।
“ कहते हैं कोशिश करने वालों कीकभी हार नहीं होती हैउसी तरह कुछ ना करने वालों की भीकभी जय जयकार नहीं होती है….!!
भोले-भाले किसानों को ईश्वर अपने खुले दीदार का दर्शन देता है।
अगर कोई जीवन में सफलता पाना चाहता है, तो उसे किसान जैसे मेहनती बनना होगा। – दिलीप सिंह जुड़ी
अजीब कहानी है ये किसान की ज़िन्दगी की वो पूरे देश को खिला रहा है पर उसके खुद के पास खाने को दो वक़्त की रोटी नहीं है।
जो बिन बरसात के अपनी आंखों के नीर से,खेत को सींच दे उसे ही किसान कहते है।
किसान इतनी मेहनत करने के बावजूद भी सूखी रोटी खाता है और एक रईसों की दुनिया है जहाँ पनीर देख कर भी उन्हें रोना आता है।
नहीं हुआ है अभी सवेरा फिर भी पूरब की लाली पहचान ,चिड़ियों के उठने से पहले खाट छोड़ उठ गया किसान !!