680+ Religious Quotes In Hindi | धार्मिक अनमोल विचार

Religious Quotes In Hindi , धार्मिक अनमोल विचार
Author: Quotes And Status Post Published at: November 4, 2023 Post Updated at: March 29, 2024

Religious Quotes In Hindi : धर्म का विस्तार धर्म के अनुसार ही होना आवश्यक हैयदि आप धर्म के विस्तार के लिए अधर्म कर रहे हैंतो आपका धर्म पहले ही नष्ट हो चुका है। धर्म मतवाद या बौद्धिक तर्क में नहीं है,वरन् आत्मा की ब्रह्यस्वरूपता को जान लेना,तदरुप हो जाना और उसका साक्षात्कार, यही धर्म है।

“उपासना ईश्वर के प्रकाश में दुनिया को देखने का एक तरीका है।” – अब्राहम जोशुआ हेशेल

जिस समाज में धार्मिक लोग निवास करते है, वहां अधर्म अपने आप खत्म हो जाता है।

खूबसूरत रिश्ता है मेरे और मेरे भगवान के बीच,ज्यादा मैं मांगता नहीं और कम वह देता नहीं।

धर्म का अर्थ हैआत्मा का परमात्मा से मिलन।

“मेहनत मेरी – रहमत तेरी” का भाव रखने वालेईश्वर की कृपा प्राप्त करते हैं, “दवा” के साथ“दुआ” और “क्रिया” के साथ “कृपा” हमेशा अच्छेपरिणाम देते हैं.

परमात्मा के पासहर कार्य की शक्ति असीमित है,लेकिन हमारी बुद्धि सीमितहोने की वजह सेउसे ग्रहण नहीं कर पाती!!…

आत्म सम्मान की रक्षा हमारा पहला धर्म होना चाहिए।

जब आप प्रकृति के साथ होतो आप ईश्वर के साथ हो…यदि आप प्रकृति के खिलाफ होतो आप ईश्वर के खिलाफ हो…

“ये जिंदगी भगवान् का अमूल्य वरदान हैं इसे व्यर्थ ना गवाओ।”

हे मालिक, मुझे मेरी औकात में रखना।

मन को निर्मल रखना ही धर्म है,बाकी सब कोरे आडम्बर हैं।संत तिरुवल्लुवर

जितना आप मन से पवित्र रहोगे, आप ईश्वर के करीब रहोगे क्योंकि ईश्वर का वास हमेशा पवित्रता में ही होता है।

किसी को उसके धर्म का पालन करने से रोकना सबसे बड़ा अधर्म है।

दुनिया में ठोकर खाकरहम कह देते हैं किकोई किसी का नहीं है…लेकिन जो हमारा हैउसे हम भूले भी तो बैठे हैं!!..

भगवान को आपके सोने, चांदी, हीरा, मोती के जवाहरातों केचढ़ावे नहीं चाहिए… उन्हें बस प्रेम से दो पुष्पअर्पण कर दो वो उससे ही खुश हो जाते हैं।

“आप भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते।” – स्वामी विवेकानंद

तुजमे राम मुजमे रामसब में राम समाया हैकर लो प्यार जगत में सभी से कोई नहीं पराया है।

धर्म व्यक्ति के मष्तिष्क से मोह-माया कोसमाप्त कर उन्हें जीवन केनिर्मल अर्थ से अवगत कराता है।

दूसरे धर्मो की निंदा करना गलत है।सच्चा व्यक्ति वह है जो दूसरे धर्मो की भी हरउस बात का सम्मान करता हैजो सम्मान के लायक है। ~~ सम्राट अशोक

धर्म से दूर रह कर आप मोक्ष से नज़दीकी नहीं बना सकते।

जब आप कृतज्ञता का अभ्यास करते हैं!!तो वहाँ दूसरों के प्रति सम्मान की भावना होती है!!

भगवान हमसे जो भी लेते हैं, उसे हमेशा दोगुना वापिस करते हैं।

मैं ऐसे धर्म को मानता हूँ जो स्वतंत्रता ,समानता , और भाई -चारा सीखाये .

जो मनुष्य जीवन मेंसत्य का मार्ग चुनता हैंउसका सफ़र मुझ (ईश्वर)तक पहुँचकर हीसमाप्त होता हैं.

जिंदगी कोई मुसीबत नहीं है!!बल्कि ये तो एक खूबसूरत तोहफा है!!

अगर आप ईश्वर को खोजना चाहते हैतो अपने विचारों के बीच छूटे हुए स्थान में देखिये।

मत करना अभिमान खुद पर ऐ इन्सान,तेरे और मेरे जैसे कितनो कोईश्वर ने माटी से बनाकर,माटी में मिला दिया।

भगवान पर वही विश्वास कर सकते हैंजिन्हें अपने आप पर विश्वास होक्योंकि भगवान…हमारे अंतर्मन में ही बसे होते हैं।

वह इंसान अभागा है जो संसार के सबसे पवित्र धर्म कृतज्ञता (Gratitude) को भूल जाता है।

“दिल एक बगीचे की तरह है। यह करुणा या भय, आक्रोश या प्रेम बढ़ा सकता है। आप वहाँ कौन से बीज लगाएंगे? ”- बुद्ध

भगवान से निराश कभी मत होना,संसार से आशा कभी मत करना,नियत अच्छी तो भक्ति भी सच्ची।

धर्म से केवल मोक्ष की ही नहींअर्थ और काम की भी सिद्धि होती है।वेदव्यास

प्रभु भक्ति और स्मरण के बिनाबीता दिन व्यर्थ जाता हैं.

प्रभु के दो अखंड निवास स्थान हैएक बैकुंठ और दूसराप्रेम और भक्ति से भरा दिल…

“ईश्वर हमारी परीक्षा लेते हैं और वो ही हमें उसमें सफ़ल होने का सामर्थ्य भी देते हैं।”

मैं अनंत परमेश्वर हूँ!!तुम एक चुने हुए राजपदधारी!!और पवित्र लोग हो!!

हम तब तक हर तूफ़ान कासामना कर सकते हैं जब तकहमारा विश्वास प्रभु में हैं।

धर्म से जुड़े रहना व्यक्ति को अधर्म से अलग कर देता है।

हम भारतीय सभी धर्मों के प्रति!!केवल सहिष्णुता में ही विश्वास नहीं करते!!वरन सभी धर्मों को सच्चा मानकर स्वीकार भी करते हैं!!

धर्म व्यक्ति के मष्तिष्क से मोह-माया को समाप्त कर उन्हें जीवन के निर्मल अर्थ से अवगत कराता है।

“अहिंसा ही धर्म है,वही जिंदगी का एक रास्ता है”

मेरे पास मेरे बस मेरे किए गुनाह हैं, बाकि सब कुछ तेरा है प्रभु।

मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है!!सत्य मेरा भगवान है!!अहिंसा उसे पाने का मार्ग!!

अगर आपकी समस्याएक जहाज की तरह बड़ी हैंतो भूलें नही कि प्रभु की कृपासागर जितनी विशाल हैं.

ईश्वर तत्व को जानने से पहलेइंसान बड़ा ही कमजोर होता है,जब उस तत्व को जान लेता हैतो इंसान कुछ और होता है।

हे भगवान! तेरे आगे यही दुआ है, दुख मिले तो हिम्मत देना और ख़ुशी मिले तो निम्रता देना।

प्रत्येक धर्म उतना ही सत्य हैजितने कि दूसरे धर्म है।वर्टन

दूसरों को उतनी ही जल्दी क्षमा करो,जितनी जल्दी ईश्वर से आपअपने लिए क्षमा चाहते हैं।

ईश्वर आपकी परीक्षा तभी लेते हैंजब वह आपकोअगले दर्जे तक पहुंचाना चाहते हैं।

जितने धर्म प्रचलित किये गए!!सब अपनी व्यापकता और!!सहृदयता के बल पर ही फैले!!

प्रभु हर जगह हैंइसलिए आप सब जगहप्रार्थना कर सकते हैं।

“जो मनुष्य धार्मिक हैंवह दुःख को सुख में बदलना जानता है।”

मानव धर्म सभी धर्मों से ऊपर है।

जगत में ईश्वर हर जगहमौजूद नहीं होतालेकिन इस दुनिया के हर कोने में,हर जगह ईश्वर का कानून औरउसकी कुदरत मौजूद रहती है।

बुद्धि सत्य पर विजय प्राप्त करना चाहती है लेकिन भक्ति सिर्फ सच्चाई को गले लगाती है।

“भगवान कहते हैं – उदास मत होना क्योकि में तेरे साथ हूँ,सामने नहीं पर आसपास हूँ,पलकों को बंद कर दिल से याद करना,मै और कोई नहीं तेरा आत्म विश्वास हूँ।”

हर व्यक्ति को ईश्वर में आस्थाअपने निजी विचारों से होती हैऔर वह विचार कुछ भी हो सकते हैं।

भगवान कहते है-तू करता वही है, जो तू चाहता है,पर होता वही है जो मैं चाहता हूँ,तू वो कर जो मैं चाहता हूँ,फिर देख होगा वही जो तू चाहता है।

मुझे कौन याद करेगा,इस भरी दुनिया में,हे ईश्वर !बिना मतलब के तो लोग,तुझे भी याद नहीं करते।

भगवान की कृपा का जो मीठा पानी है वो अहंकार के ऊंचे टीले पर इकठा नहीं हो सकता।

धर्म की शक्ति ही अनेक जीवन की शक्ति है,धर्म की दृष्टि ही जीवन की दृष्टि हैं।डॉ. राधाकृष्णन

“आने दो जो आता है, जाने दो जो जाता है। देखें क्या रहता है। ” – श्री रमण महर्षि

ईश्वर के साथ चलने वाले लोग हमेशा अपनी मंजिल तक जरूर पहुंचते है।

ईश्वर का कोई धर्म नही है।

केवल वो लोग जो कुछ!!भी नहीं बनने के लिए!!तैयार हैं प्रेम कर सकते हैं!!

“धर्म का उद्देश्य मनुष्य को रास्ता भटकने से बचाना है।”

जब तेरा कोई साथ ना देइस जिंदगी से तू थक जाएसबसे दिल टूट जाएतो तुम मेरे पास आ जानामैं तेरे सारे गुनाह माफ कर दूंगा।

जो सचमुच धर्म में रहते हैं,वो धर्म से ज्यादा कर्म करते हैं।

जो उपकार करे, उसका प्रत्युपकार करना चाहिए,यही सनातन धर्म है | ~ वाल्मीकि

मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है!!सत्य मेरा भगवान है!!अहिंसा उसे पाने का साधन!!

श्रद्धा का अर्थ है आत्मविश्वास औरआत्मविश्वास का अर्थ हैं ईश्वर में विश्वास.

धर्म विशवास पर आधारित हैकृपया इसका आधार अंधविश्वास को ना बनाएं।

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