Nafrat Shayari In Hindi : तेरी बेवफाई में ना नफरत हुई, और ना ही इश्क खत्म हुआ !! दिलों में अगर पली बेजान कोई हसरत न होती, हम इंसानों को इंसानों से यूँ नफरत न होती !!
वो तो मोहब्बत करने से फुर्सत नही मिली हमे,वरना हम कर के बताते नफरत किसे कहते हैं।
मुझसे नफरत ही करनी हैतो इरादे मजबूतरखना ज़रा से भी चुकेतो मोहब्बत हो जाएगी !
काश तुम रहते मेरे साथजब तक हम दोनों की जिंदगी थीमेरे हालात क्या बदलेतुम्हे भी वक़्त ना लगा बदलने में
खुदा सलामत रखना उन्हें, जो हमसे नफरत करते हैं, प्यार न सही नफरत ही सही कुछ तो है, जो वो सिर्फ हमसे करते हैं.
एक पल तो घायल दिल कहता है की नफरत कर,दूसरे ही पल कमजोर दिल कहता है की प्यार कर.. !!
पहले इश्क़, फिर दर्द, फिर बेहद नफरत।बड़ी तरकीब से तबाह किया तुमने मुझको।।
नफ़रत सारे ज़माने की मेरे लिए के मोहब्बत मिले तो तू ले जाना,सफ़र तेरे हिस्से का मैं करता हूं जो मंज़िल मिले तो तू ले जाना।
नफ़रत का दोर चल रहा है जनाबमौहबत कि उम्मीद ना करें।
मोहब्बत में वफा का गुरुर जब टूटता है,तो सबसे ज्यादा नफरत खुद से होती है।
तुम अमीर बनोमैं तो तुमसे प्यार करके कब का रईस बन चुका
चाह कर भी मुंह फेर नहीं पा रहे होनफरत करते हो या इश्क़ निभा रहे हो
नफरत भी हैसियत देखकर करते हैं,प्यार तो बहुत दूर की बात हैं।
मोहब्बत करो तो हद से ज्यादा, और नफरत करो तो उससे भी ज्यादा। Mohabbat karo to had se jyada aur nafrat karo to usse bhi jyada.
मोहब्बत करने से फुरसत नहीं मिली दोस्तो, वरना हम करके बताते नफरत किसको कहते हैं।
मुझसे नफरत करने वाले भी, कमाल का हुनर रखते हैं, मुझे देखना तक नहीं चाहते, लेकिन नजर मुझपर ही रखते हैं !!
उसने मुझ से नफरत मरतेदम तक करने की कसम खा ली है,और मैंने भी उसे प्यार मरतेदम तक करने की कसम खा ली है !!
नहीं हो तुम हिस्सा अब मेरी हसरत केतुम काबिल हो तो सिर्फ नफरत के
कोई गुस्सा हो तुम्हारी भलाई के लिएसमझ लेना उसके दिल में प्यार बहुत हैं तुम्हारे लिए
चला जाऊँगा मैं धुंध के बादल की तरह, देखते रह जाओगे मुझे पागल की तरह, जब करते हो मुझसे इतनी नफरत तो क्यों, सजाते हो आँखो में मुझे काजल की तरह।
मोहब्बत करने से फ़ुरसत नहीं मिली दोस्तो… वरना हम करके बताते नफरत किसको कहते हैं.. !!
नफरत करनी हैं तो इस कदर करना कि हम दुनिया से चले जाएं पर तेरी आंख में आंसू आ।
दिलों में अगर पली बेजान कोई हसरत न होती, हम इंसानों को इंसानों से यूँ नफरत न होती.
मोहब्बत करने से फ़ुरसत नहीं मिली दोस्तों,वरना हम करके बताते नफरत किसको कहते हैं.. !!
बैठकर सोचते है अब कि क्या खोया क्या पायाउनकी नफरत ने तोड़े बहुत मेरी वफ़ा के घर !
किसी ने मुझसे पूछातुम्हारा शौक क्या है मैने हंसकर कहा नफरत करनेवालो से मोहब्बत करना !
न मोहब्बत संभाली गई ननफरते पाली गई अफसोस है उसजिंदगी का जो तेरे पीछे खाली गई !
कभी बैठेंगे फुरसत में खुदा के सामने और पूछेंगेवो कौन सी मोहब्बत थीजो हम अपने यार को दे ना सके
जरूरत है मुझे नये नफरत करने वालों की पुराने तो अब चाहने लगे हैं ! !
कोई तो हाल-ए-दिल अपना भी समझेगाहर शख्स को नफरत हो जरूरी तो नहीं
हमारी अदा पे तो नफरतकरने वाले भी फ़िदा हैं।तो फिर सोच प्यार करनेवालो का किया हाल होता होगा।।
कुछ लोग तो मुजसे सिर्फ, इसलिए भी नफरत करते हैं, क्योंकि, बहुत सारे लोग मुझसे प्यार करते हैं।
दरमियां हमारा बीच कुछ तो रहने दे,नफ़रत या मोहब्बत कुछ तो रहने दे।
नफरत तुम बेशक कर लो हमसे, हम तो करते रहेंगे प्यार, तुम्हें युहीं चाहेंगे जब तक है दम !!
इससे बड़ा गुनाह क्या होगा,कि तुम्हारी वजह से किसी को मोहब्बत से नफरत हो जाए।
ज़्यादा कुछ नहीं बदलाउसके और मेरे बीच में।पहले नफरत नहीं थीऔर अब प्यार नहीं है।।
खुदा सलामत रखना उन्हें,जो हमसे नफरत करते हैं,प्यार न सही नफरत ही सही,कुछ तो है जो वो हमसे करते हैं।
कुछ लोग तो मुझसेसिर्फ इसलिए भी नफरत करते हैं।क्योंकि..बहुत सारेलोग मुझसे प्यार करते हैं।।
एक झूठ मैने तुमसे कहाँ मुझे नफरत हैं तुमसेएक झूठ तुम भी कह दो तुम्हें मोहब्बत हैं मुझसे
कैसे उन्हें भुलाऊँ मोहब्बतजिन्होने की मुझको तो वो भीयाद है नफ़रत जिन्होने की !
नफरत की आग फैलाने में तो चंद पल ही लगते हैं,मगर मोहब्बत का फूल खिलाने के लिए पूरी जिन्दगी, बीत जाती है ..!!
मुझ में थोड़ी सी जगह भी नहीं नफ़रत के लिएमैं तो हर वक़्त मोहब्बत से भरा रहता हूं।
ना मेरा प्यार कम हुआ, ना उनकी नफरतअपना-अपना फर्ज था, दोनों अदा कर गये
नफरत करना भी तो सीखा ही नहीं हमने दर्द को भी चाहा है अपना समझ क।
नफरत की आग जो तुमने,इस दिल में लगाई है,तुमसे ही नही मोहब्बत,से भी हमें शिकायत हुई है..!!
नफरत ही नहीं दुनिया में दर्द का सबब,मोहब्बत भी बड़ी तकलीफ़ देती है।
“ नफरतें लाख मिलीं पर मोहब्बत न मिली,ज़िन्दगी बीत गयी मगर राहत न मिली….!!!
मोहब्बत सच्ची हो तो कभी नफरत नहीं होती है. अगर नफरत होती है तो मोहब्बत सच्ची नहीं होती है.
अब हम तो नये नफरत करने वाले तालाश करते हैंकयोंकि पुराने वाले तो अब हमसे मुहब्बत किया करते हैं
तेरी नफरत को मैने प्यार समझ कर अपनाया है, प्यार से ही नफरत खत्म होता है, तूने ही तो समझाया है !!
मुझे नफ़रत सी हो गयी है अपनी जिन्दगी सेऔर तू ज्यादा खुश ना हो, क्योंकि तू ही मेरी जिन्दगी है..!!
एक नफरत ही है जिसे दुनिया चंद लम्हों में जान लेती है,वरना चाहत का यकीन दिलाने में तो ज़िन्दगी बीत जाती है।
मुझसे नफ़रत करनी है तो होंश से करना,ज़रा भी चुके तो तो मोहब्बत हो जाएगी
वो इंकार करते हैं इकरार के लिएनफरत करते हैं तो प्यारा के लिएउलटी चाल चलते हैं ये इश्क़ वालेआँखें बंद करते हैं दीदार के लिए
हमसे नफरत तभी करनाजब आप हमारे बारे मै जानते होतब नही जब किसी से सुना हो !
जा तुझे मौका दिया,जी भर के नफरत कर ले,और जब नफरत से जी भर जाए,तो प्यार को मौका देना.. !!
तूने ज़िन्दगी को मेरीइस क़दर कुछ यूँ मोड़ा हैं।कि अब मोहब्बत भी नफरत भी,दोनों थोड़ा थोड़ा हैं।।
अदावत तो है अपनी नफरतों के रहनुमाओं से। जो दिल में दे जगह उससे भला न क्यूँ सुलह कर लें।।
फिर यूँ हुआ के गैर को दिल से लगा लिया,अंदर वो नफरतें थी के बाहर के हो गये।
हम दुनिया से अलग नहीं , हमारी दुनिया ही अलग हैं !
उसकी बेवफ़ाई देख कर रहते हैं बेचैन,उससे नफरत न करबैठें इस बात से रहते हैं बेचैन !!
इसी हथियार से फतेह करूंगा अपने किरदार से फतेह करूंगा,तुम लड़ो जंग मुझसे नफरत की मैं तुम्हें प्यार से फतेह करूंगा।
यह तो नसीब का खेल है,कोई नफरत कर के भी प्यार पाता है और कोई बेशुमार प्यार कर भी धोखा पाता है।
मुझे पूरा समझने की चाह मेंलोग बीच में नफरत करने लगते हैं
नहीं हो तुम हिस्सा अब मेरी हसरत केतुम काबिल हो तो सिर्फ नफरत के
गुजरे हैं तेरे इश्क़ में कुछ इस मुकाम सेनफरत सी हो गई हैं मोहब्बत के नाम से
जब नफरत करते करते थक जाओ, तब एक मौका प्यार को भी देना।
नफरत थी तो कह देते हमसे, गैरो के सामने मज़ाक बनाना ज़रूरी था क्या।
अगर रूठा रहूँ तो मनाने आ जानावो आखिरी वादा निभाने आ जानाइस जिंदगी में मेरी न हो सकी फिर भीमेरी मौत पर ‘मय्यत’ सजाने आ जाना
वो वक्त गुजर गया जब मुझे तेरी आरजू थी, अब तू खुदा भी बन जाए, तो मैं सजदा न करूँ.
कांटों को कभी फुलों से नफ़रत नहीं होती,गर होती तो वो फिर फूलों को खिलने ही न देते।
नफरत भी हम औकात देख कर करते हैं,मोहब्बत की तो बात ही कुछ और है।
मैं क़ाबिल-ए-नफ़रत हूँ तो छोड़ दो मुझको,यूं मुझसे दिखावे की मोहब्बत ना किया करो।