370+ Muharram Shayari In Hindi | मुहर्रम शायरी

Muharram Shayari In Hindi , मुहर्रम शायरी
Author: Quotes And Status Post Published at: October 13, 2023 Post Updated at: July 13, 2024

Muharram Shayari In Hindi : सिर गैर के आगे न झुकाने वाला और नेजे पर भी कुरान सुनाने वाला, इस्लाम से क्या पूछते हो कौन है हुसैन,हुसैन है इस्लाम को इस्लाम बनाने वाला। सबा भी जो गुजरे कर्बला से तो उसे कहता है अर्थ वाला, तू धीरे गूजर यहाँ मेरा हुसैन सो रहा है।

वो जिसने अपने नाना का वादा वफ़ा कर दिया !!घर का घर सुपुर्द-इ-खाक कर दिया !!नोश कर लिया जिसने शहादत का जाम !!उस हुसैन इब्न अली को लाखों सलाम !!

यूँ ही नहीं जहाँ में चर्चा हुसैन का, कुछ देख के हुआ था जमाना हुसैन का,सर दे के जो जहाँ की हुकूमत खरीद ली, महँगा पड़ा यजीद को सौदा हुसैन का।

जो कोई अल्लाह की अवज्ञा के माध्यम से लोगों की संतुष्टि चाहता है;  फिर अल्लाह उसे लोगों के अधीन कर देता है।

यूँ ही नहीं जहाँ में चर्चा हुसैन का,कुछ देख के हुआ था ज़माना हुसैन का,सर दे के जो जहाँ की हुकूमत खरीद लेमहंगा पड़ा यज़ीद को सौदा हुसैन का,

आया वो मेरे दिल में फिर एक नए ग़म की तरह, इस बार भी ईद गुज़री मेरी मुहर्रम की तरह.

क्या जलवा कर्बला में दिखाया हुसैन ने,सजदे में जा कर सर कटाया हुसैन ने,नेजे पे सिर था और जुबां पर अय्यातें,कुरान इस तरह सुनाया हुसैन ने।

जन्नत की आरजू में कहा जा रहे है लोग, जन्नत तो कर्बला में खरीदी हुसैन ने,दुनिया-ओ-आखरत में रहना हो चैन सूकून से तो जीना अली से सीखे और मरना हुसैन से।

आँखों को कोई ख्वाब तो दिखायी देताबीर में इमाम का जलवा तो दिखायी देए इब्न-ऐ-मुर्तजा सूरज भी एक छोटा सा जरा दिखायी दे

कर्बला की 💢कहानी में कत्लेआम🌟 था !!लेकिन हौसलों 🕌के आगे हर कोई गुलाम🫂 था !!खुदा के बन्दे 💧ने दी कुर्बानी !!जो आनेवाली 🥀नस्लों के लिए एक🌺 पैगाम था !!

“यूँ ही नहीं जहाँ में चर्चा हुसैन का,कुछ देख के हुआ था जमाना हुसैन का,सर दे के जो जहाँ की हुकूमत खरीद ली,महँगा पड़ा याजिद को सौदा हुसैन का.”

करीब अल्लाह के आओ तो कोई बात बने ,ईमान फिर से जगाओ तो कोई बात बने ,लहू जो बह गया कर्बला में ,उनके मकसद को समझो तो कोई बात बने |

क्या हक़ अदा करेगा ज़माना हुसैन काअब तक ज़मीन पे क़र्ज़ है सजदा हुसैन काझोली फैला कर मांग लो मोमिनोहर दुआ कबूल करेगा दिल हुसैन का

खून से चराग-ए-दीन जलाया हुसैन ने,रस्म-ए-वफ़ा को खूब निभाया हुसैन ने,खुद को तो एक बूँद न मिल सका लेकिन करबला को खून पिलाया हुसैन ने।

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अपनी तकदीर जगाते हैं तेरे मातम से, खून की राह बिछाते हैं तेरे मातम से, अपन इजहारे-ए-अकीदत का सिलसिला ये है, हम नया साल मनाते हैं तेरे मातम से।

कर्बला की जमीं पर खून बहा,कत्लेआम का मंजर सजा,दर्द और दुखों से भरा था सारा जहां लेकिन फौलादी हौसले को शहीद का नाम मिला।

लता तम काम वो अपने वाली से है!!निस्बत हर एक इमाम की नूर-ए-जली से है!!कुल अख्तियार दे दिया हसन-ओ-हुसैन को!!दैता खुदा जरूर है पर मिलता अली कहता है!!

कर्बला की💦 कहानी में कत्लेआम 💧था लेकिन हौसलों !!💢 के आगे हर 🌄कोई गुलाम था !!खुदा के🌺 बन्दे ने शहीद की कुर्बानी🌟 दी इसलिए🥀 !!उसका नाम🌟 पैगाम बना !!

वो जिसने अपने नाना का वादा वफा कर दिया, घर का घर सुपुर्द-ए-खुदा कर दिया, नोश कर लिया जिसने शहादत का जाम, उस हुसैन इब्न अली को लाखों सलाम।

कर्बला की कहानी में कत्लेआम थालेकिन हौसलों के आगे हर कोई गुलाम था,खुदा के बन्दे ने दी कुर्बानीजो आनेवाली नस्लों के लिए एक पैगाम था.

मौसम ये हसीन कहता है प्यार  करले दिल दीवाना कहता है इकरार करले चाहत कहती है इजहार करले पर मम्मी कहती है पहले ग्रेजुएशन तो पास करले

मैदान-ए-कर्बला में कर दिया यज़ीदियों हौसला कच्चा..होकर शहीद हुसैन ने बताया कुर्बानी का मतलब सच्चा..

सल्तनत ए यजीदी मिट गई दुनियां से दिलों में हैं लोगों के बादशाहत ए हुसैन शान लखनवी

न हिला पाया वो रब की मैहर को!!भले जीत गया वो कायर जंग!!पर जो मौला के दर पर बैखोफ शहीद हुआ!!वही था असली और सच्चा पैगम्बर!!

इश्क💔 मैं किया लुटिया इश्क💔 मैं किया बेचेन !!अल ए नबी ने लिख🖊 दिया सारा नसीब💫 रीत पर !!

सबा भी जो गुजरे कर्बला से तो उसे कहता है अर्थ वाला तू धीरे गुजर यहां मेरा हुसैन सो रहा है

“मेरे लिए, मृत्यु और कुछ नहीं बल्कि खुशी है, और अत्याचारियों के अधीन होना और कुछ नहीं बल्कि नरक में रहना है”

ईद अब के भी गई यूँही किसी ने न कहा!!कि तिरे यार को हम तुझ से मिला देते हैं!!

सिर गैर के आगे न झुकाने वाला और नेजे पर भी कुरान सुनाने वाला, इस्लाम से क्या पूछते हो कौन है हुसैन, हुसैन है इस्लाम को इस्लाम बनाने वाला।

कर्बला की उस जमी पर खून बहा कत्लेआम का मंजर सजा दर्द और दुखो से भरा था जहा लेकिन फौलादी हौसले को शहीद का नाम मिला

खुदा करे किसी को जुदाई ना मिले खुदा करे किसी को जुदाई ना मिले और जो ग्रुप में मैसेज ना करे उसे ठण्ड में रजाई ना मिले

कर्बला को कर्बला के शहंशाह पर नाज है,उस नवासे पर मुहम्मद को नाज है,यूँ तो लाखों सिर झुके सजदे में लेकिन हुसैन ने वो सजदा किया जिस पर खुदा को नाज है।

ना जाने 💦क्यों मेरी आँखों👁 में आ गए आँसू !!सिखा रहा 🥀था मैं बच्चे को कर्बला🌺 लिखना !!

लफ़्जों में क्या लिखूं मैं शहादत हुसैन की,कलम भी रो देता है कर्बला का मंजर सोचकर.

फिर आज हक़ के लिए जान फिदा करे कोई, वफ़ा भी झूम उठे यूँ वफ़ा करे कोई, नमाज़ 1400 सालों से इंतजार में है, हुसैन की तरह मुझे अदा करे कोई।

वो जिसने अपने नाना का वादा वफ़ा कर दिया,घर का घर सुपुर्दएखाक कर दिया,नोश कर लिया जिसने शहादत का जाम,उस हुसैन इब्न अली को लाखों सलाम,

न से चराग-ए-दीन जलाया हुसैन ने, रस्म-ए-वफ़ा को खूब निभाया हुसैन ने, खुद को तो एक बूँद न मिल सका लेकिन करबला को खून पिलाया हुसैन ने।

कत्‍ल-ए-हुसैन असल में मार्ग-ए-यजीद हैइस्‍लाम ज़‍िंदा होता है हर करबला के बाद

मिटकर 💢भी मिट सके ना !!ऐसा वो हामी-ओ💯-यावर !!नेज़े 🌄की नोंक 🌅पर था !!फिर भी बुलंद 💧था सर !!

ऐसी नमाज़ कौन पढ़ेगा जहां,सजदा किया तो सर ना उठाया हुसैन ने,सब कुछ खुदा की राह में कुर्बान कर दिया,असग़र सा फूल भी ना बचाया हुसैन ने।

दुनिया करेगी जिक्र हमेशा हुसैन का, इस्लाम जिन्दा कर गया सजदा हुसैन का.

मुहर्रम को याद करो वो कुर्बानी!!जो सिखा गया सही अर्थ इस्लामी!!ना डिगा वो हौसलों से अपने!!काटकर सर सिखाई असल जिंदगानी!!

करबला में हक़ बंदगी का अदा कर दियासर कटा कर वादा अपना वफ़ा कर दिया..गुमनामी के अंधेरों में गुम हैं यज़ीद आजपरचम हक़ का हुसैन ने ऊँचा कर दिया..

साल तो पहले भी कई साल बदले,दुआ है इस साल उम्मत का हाल बदले।

सिर गैर के आगे न झुकाने वाला और नेजे पर भी कुरान सुनाने वाला,इस्लाम से क्या पूछते हो कौन है हुसैन,हुसैन है इस्लाम को इस्लाम बनाने वाला।

इस्लाम🕌 के चिराग में खून❄-ऐ-हुसैन🕌 है !!ता हश्र ये चिराग💦 रहेगा जला 💧हुआ !!

शहादत सब के हिस्से में कहाँ आती है दुनिया में मैं तुझ पे रशक करता हूँ तिरा मातम नहीं करता! Muharram Sad Shayari

दुनिया ने देखी शान वो कर्बोबला मेंज़ो आख़री सज़दा किया मेरे हुसैन ने

ख़ुदा का जिस पर रहमत हो वो हुसैन होता है,जो इन्साफ और सत्य के लड़ जाए वो हुसैन होता है.

ना जाने💯 क्यों मेरी आँखों👁 में आ गए आँसू💧 !!सिखा रहा 💢था मैं बच्चे को कर्बला 🥀लिखना !!

क्या जलवा💦 कर्बला में दिखाया हुसैन🕌 ने !!सजदे में💧 जा कर सिर 💫कटाया हुसैन 🕌ने !!नेजे पे💦 सिर था और ज़ुबान💯 पे आयतें !!कुरान💢 इस तरह सुनाया हुसैन 🕌ने !!

करीब अल्ला🕌ह के आओ तो कोई 💯बात बने !!ईमान 💢फिर से जगाओ तो 💦कोई बात💧 बने !!लहू जो 🌌बह गया कर्बला🌄 में !!उनके 🌅मकसद को समझो🥀 तो कोई बात🌺 बने !!

लहू बहता था मगर शिकवा नहीं था.या ख़ुदा फिर ज़माने को कोई हुसैन दे ।

न हिला पाया वो रब की मैहर को,भले जीत गया वो कायर जंग,पर जो मौला के दर पर बैखोप शहीद हुआ,वही था असली सच्चा पैगम्बर

ख़ुदा 🥀का जिस पर 🥀रहमत हो वो हुसैन🕌 होता है !!जो इन्साफ 💯और सत्य 💯के लड़ जाए वो हुसैन🕌 होता !! है !!

ना जाने क्यों मेरी आँखों में आ गए आँसू, सिखा रहा था मैं बच्चे को कर्बला लिखना।Karbala Shayari

“करबला की शहादत इस्लाम बना गई, खून तो बहा था लेकिन हौसलों की उड़ान दिखा गई…”

दश्त-ए-बाला को अर्श का जीना बना दिया, जंगल को मुहम्मद का मदीना बना दिया। हर जर्रे को नजफ का नगीना बना दिया, हुसैन तुमने मरने को जीना बना दिया।

तरीका मिसाल 💯असी कोई दोंड 🥀के लिए !!सर तन 💢से जुड़ा भी हो मगर मौत 💯न आये !!सोचन 💫मैं सबर ओ राजा 🌄के जो मफिल !!एक हुसैन 🕌रा अब अली रा जैन 💦मैं आये !!

पानी का तलब हो तो एक काम किया कर, कर्बला के नाम पर एक जाम पिया कर,दी मुझको हुसैन इब्न अली ने ये नसीहत, जालिम हो मुकाबिल तो मेरा नाम लिया कर।

जानकर इंसानियत, सबकोअपना बनाया हुसैन ने..परचम-ए-हक के लिएमरना सिखाया हुसैन ने..

जिस तरह Diwali बिना Ali अधूरी है, वैसे ही Muharram भी कहाँ बिन Ram मुकम्मल है.

इमाम का हौसला 💦इस्लाम जगा 💫गया !!अल्लाह 🤲🏿के लिए उसका फर्ज आवाम 🥀को धर्म सिखा !! गया !!

क्या जलवा कर्बला में दिखाया हुसैन ने,सजदे में जा कर सिर कटाया हुसैन ने,नेजे पे सिर था और ज़ुबान पे अय्याते,कुरान इस तरह सुनाया हुसैन न,

दिल थाम के सोचा लिखूं शान-ए-हुसैन में, कलम चीख उठी कहा बस अब रोने दो. मुहर्रम शायरी

आँखों को कोई ख्वाब तो दिखायी दे,ताबीर में इमाम का जलवा तो दिखायी दे,ए इब्न-ऐ-मुर्तजा सूरज भी एक छोटा सा जरा दिखायी दे।

ना जाने कब कोई तारा टूट जाये ना जाने कब कोई आंसू आँख से छूट जाये कुछ पल हमारे साथ भी हँस लो ना जाने कब तुम्हारे दांत टूट जाये

दुनिया 🙍‍♀️ने देखी👁 शान वो कर्बोबला🌺 में !!ज़ो आख़री 💢सज़दा किया मेरे हुसैन🕌 ने !!

करीब अल्लाह के आओ तो कोई बात बने, ईमान फिर से जगाओ तो कोई बात बने, लहू जो बह गया कर्बला में, उनके मकसद को समझा तो कोई बात बने। Muharram Ki Shayari

शहादत से हुसैन की ये दुनिया थी अनजानी..देकर अपनी कुर्बानी, सीखा गए वो जिंदगानी..

आंखों को कोई ख्वाब तो दिखायी दे,ताबीर में इमाम का जलवा दिखायी दे,ए! इब्न-ऐ-मुर्तजा,सूरज भी एक छोटा सा जरा दिखायी दे।

वो जिसने अपने नाना का वादा वफा कर दिया, घर का घर सुपुर्द-ए-खुदा कर दिया,नोश कर लिया जिसने शहादत का जाम, उस हुसैन इब्न अली को लाखों सलाम।

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