Muharram Shayari In Hindi : सिर गैर के आगे न झुकाने वाला और नेजे पर भी कुरान सुनाने वाला, इस्लाम से क्या पूछते हो कौन है हुसैन,हुसैन है इस्लाम को इस्लाम बनाने वाला। सबा भी जो गुजरे कर्बला से तो उसे कहता है अर्थ वाला, तू धीरे गूजर यहाँ मेरा हुसैन सो रहा है।
गुरूर टूट गया कोई मर्तबा ना मिला,सितम के बाद भी कुछ हासिल जफा ना मिला,सिर-ऐ-हुसैन मिला है यजीद को लेकिन शिकस्त यह है की फिर भी झुका हुआ ना मिला।
क्या जलवा कर्बला में दिखाया हुसैन ने, सजदे में जा कर सर कटाया हुसैन ने,नेजे पे सिर था और जुबां पर अय्यातें, कुरान इस तरह सुनाया हुसैन ने।
साल तो पहले भी कई साल बदले, दुआ है इस साल उम्मत का हाल बदले। #मुहर्रम
खुशियों का सफर तो गम से शुरू होता है, हमारा तो नया साल मुहर्रम से शुरू होता है।
न से चराग-ए-दीन जलाया हुसैन ने,रस्म-ए-वफ़ा को खूब निभाया हुसैन ने,खुद को तो एक बूँद न मिल सका लेकिनकरबला को खून पिलाया हुसैन ने।
क्या जलवा कर्बला में दिखाया हुसैन नेसजदे में जाकर सिर कटाया हुसैन नेनेजे पर सिर था और जबान पर आयतेंकुरान इस तरह सुनाया हुसैन ने
“इमाम का हौसला इस्लाम जगा गया, अल्लाह के लिए उसका फ़र्ज़ आवाम को धर्म सिखा गया.”
वो जिसने 🌄अपने नाना का वादा वफा 💧कर दिया !!घर का घर 🏢सुपुर्द-ए-खुदा 💢कर दिया !!नोश कर लिया🏜 जिसने शहादत 💦का जाम !!उस हुसैन 🕌इब्न अली को लाखों💯 सलाम !!
सजदे से कर्बला को बंदगी मिल गयी, सब्र से उम्मत को ज़िन्दगी मिल गयी, एक चमन फातिमा का उजड़ा मगर सारे इस्लाम को जिंदगी मिला गयी.
ना जाने क्यों मेरी आँखों में आ गए आँसू,सिखा रहा था मैं बच्चे को कर्बला लिखना।
करें जो याद कुर्बानी को चमके हाथों की तकदीर..कर्बला में शहीद होने वाला हुसैन ही था सच्चा वीर..
संदेसे याद करते रहना हुसैन के..सजदे सर झुकाते रहना हुसैन के..
हाँ हमे आपसे मिलकर अच्छी जानकारी मिली अब हम आगे भी आते रहेगे आपके चेनल पर
ऐसी नमाज़ कौन पढ़ेगा जहां में,सजदा किया तो सर ना उठाया हुसैन ने,सब कुछ खुदा की राह में कुर्बान कर दिया,असग़र सा फूल भी ना बचाया हुसैन ने।
वो जिसनेº अपने नाना का वादा वफाº कर दियाघर का घरº सुपुर्द-ए-खुदा कर दियानोश कर लिया जिसनेº शहादत का जामउस हुसैन इब्नº अली को लाखों सलाम
हुसैन आप ही से बाग़ ए उल्फ़त में बहार है, हुसैन आप ही से हर मोमिन के दिल को करार है, हुसैन आप ही से यज़ीदियत की हार है हुसैन आप की ही ज़माने पर सरकार है.
ऐसी नमाज़ 🥀कौन पढ़ेगा 🌟जहाँ !!सज़दा 🌄किया तो सर 🌅ना उठाया हुसैन 🕌ने !!सब कुछ खुदा 🤲🏿की राह में कुर्बान💦 कर दिया !!असगर 🥀सा फूल🌺 भी ना बचाया हुसैन 🕌ने !!
मुहर्रम के इस शुभ दिन पर अल्लाह आपको!!और आपके परिवार को हमेशा आशीर्वाद दे!!हिजरी नववर्ष की शुभकामनाएं!!
उम्मीदों की मंजिल टूट गयी आँखों से अश्को की धारा बह गयी अरे तुम्हारी भी क्या इज्जत रह गयी जब क्लास में लड़की भैया कह गयी
एक दिन बड़े गुरूर से कहने लगी ज़मीन, ऐ मेरे नसीब में परचम हुसैन का,फिर चाँद ने कहा मेरे सीने के दाग देख, होता है आसमान पर भी मातम हुसैन का।
ख़ुदा का जिस पर रहमत हो वो हुसैन होता है,जो इन्साफ और सत्य के लड़ जाए वो हुसैन होता है,
पानी का तलब हो तो एक काम किया कर,कर्बला के नाम पर एक जाम पिया कर,दी मुझको हुसैन इब्न अली ने ये नसीहत,जालिम हो मुकाबिल तो मेरा नाम लिया कर।
“कौन भूलेगा वो सजदा हुसैन का,खंजरों तले भी सर झुका ना था हुसैन का…मिट गयी नसल ए याजिद करबला की ख़ाक में,क़यामत तक रहेगा ज़माना हुसैन का…”
इस पबित्र मुहर्रम को आप अपने परिवार के साथ अच्छे से मनाये । यह नया साल आपके और आपके परिवार के लिए खुशियां और समृद्धि लाए।
डॉव से नहाकर क्या करना है 2016 में तो सभी को मारना है 1 साल ख़ुशी से जी लो यारो अगले जन्म में फिर जॉनसन बेबी से शुरू करना है
न हिला🌺 पाया वो रब की मैहर💦 को !!भले 🥀जीत गया वो कायर💯 जंग !!पर जो 💢मौला के दर पर बैखोप 🌟शहीद हुआ !!वही 🌌था असली सच्चा🌄 पैगम्बर !!
जन्नत की आरजू में कहा जा रहे है लोग,जन्नत तो कर्बला में खरीदी हुसैन ने,दुनिया-ओ-आखरत में रहना हो चैन सूकून से तो जीना अली से सीखे और मरना हुसैन से।
कौन उलझेगा मोहम्मदﷺ के जिगर पारों सेजंग का पांसा पलट देते हैं किरदारों सेसर जो सजदे में कटा ये है नज़र का धोखाशम्मा की लौ भी कहीं कटती है तलवारों से?
फिर आज💦 हक़ के लिए जान फिदा 💧करे कोई !!वफ़ा 🌅भी झूम उठे यूँ वफ़ा 🌅करे कोई !!नमाज़ 1400💦 सालों से इंतज़ार 💯में है !!हुसैन 🕌की तरह मुझे 💢अदा करे कोई !!
“करबला की उस जमीन पर खून बहा,कत्त्लेआम का मंजर सजा,दर्द और दुखों से भरा था जहाँ,लेकिन फौलादी हौसलों को शहीद का नाम मिला.”
कर्बला 💦की शहादत इस्लाम💯 बना गयी, खून तो🌌 !! बहा था !!लेकिन 🌌कुर्बानी हौसलों 🏢की उड़ान🌌 दिखा गयी !!
जिस तरह Diwali बिना Ali अधूरी है, वैसे ही Muharram भी कहाँ बिन Ram मुकम्मल है.
हुसैन आप ही से बाग़ ए उल्फ़त में बहार है,हुसैन आप ही से हर मोमिन के दिल को करार है,हुसैन आप ही से यज़ीदियत की हार हैहुसैन आप की ही ज़माने पर सरकार है.
सिर गैर के आगे ना झुकाने वाला!!और नेजे पे भी कुरान सुनाने वाला!!इस्लाम से क्या पूछते हो कौन हुसैन!!हुसैन है इस्लाम को इस्लाम बनाने वाला!!
सल्तनत ए यजीदी मिट गई दुनियां सेदिलों में हैं लोगों के बादशाहत ए हुसैन
न हिला पाया वो रब की मैहर को भले जीत गया वो कायर जंग पर जो मौला के दर पर बैखोप शहीद हुआ वही था असली सच्चा पैगम्बर
कर्बला की शहादत इस्लाम बना गयी, खून तो बहा थालेकिन कुर्बानी हौसलों की उड़ान दिखा गयी।
खुशियों🥰 का सफ़र तो गम से शुरू🌺 होता है !!हमारा तो 💢नया साल मुहर्रम🗼 से शुरू होता है !!
करीब अल्लाह के आओ तो कोई बात बने,ईमान फिर से जगाओ तो कोई बात बने,लहू जो बह गया कर्बला में,उनके मकसद को समझो तो कोई बात बने।
सिर गैर के आगे ना झुकाने वालाऔर नेजे पे भी कुरान सुनाने वालाइस्लाम से क्या पूछते हो कौन हुसैनहुसैन है इस्लाम को इस्लाम बनाने वाला
तेरी दुनिया में कोई गम ना हो ख़ुशी कभी कम ना हो भगवान तुमको ऐसी आइटम दे जो दबंग की मुन्नी से कम ना हो
इमाम का हौसला इस्लाम जगा गया, अल्लाह के लिए उसका फर्ज आवाम को धर्म सिखा गया।
बनी दुनिया🌍 जिसके लिए !!रहे न वो 🥀अब यहाँ !!हुए 💢कुर्बान इस 💯क़दर !!दे गए 🌟मिसाल ईमान🕌 की !!
करबला की वादीयों में कुछ रोज़ क़याम होआँखों में अश्क और लबों पर सलाम हो..वहाँ खड़े हो कर पढू मैं कभी फ़ातीहाहुसैन के कदमों में ये ज़िन्दगी तमाम हो..
क्या जलवा कर्बला में दिखाया हुसैन ने,सजदे में जा कर सिर कटाया हुसैन ने,नेजे पे सिर था और ज़ुबान पे अय्याते,कुरान इस तरह सुनाया हुसैन न,
“सजदे से करबला को बंदगी मिल गयी… सब्र से उम्मत को ज़िन्दगी मिल गयी… एक चमन फातिमा का उजड़ा, मगर सारे इस्लाम को ज़िन्दगी मिल गयी…”
अपनी तक़दीर जगाते है तेरे मातम सेखून की राह बिछाते हैं तेरे मातम सेअपने इज़हार-ए-अक़ीदत का सिलसिला ये हैहम नया साल मनाते है तेरे मातम से
मिटकर भी मिट सके नाऐसा वो हामी-ओ-यावरनेज़े की नोंक पर थाफिर भी बुलंद था सर.
“यूँ ही नहीं जहाँ में चर्चा हुसैन का, कुछ देख के हुआ था जमाना हुसैन का, सर दे के जो जहाँ की हुकूमत खरीद ली, महँगा पड़ा याजिद को सौदा हुसैन का.”
सिर गैर के आगे न झुकाने वाला और नेजे पर भी कुरान सुनाने वाला, इस्लाम से क्या पूछते हो कौन है हुसैन,हुसैन है इस्लाम को इस्लाम बनाने वाला।
बनी दुनिया जिसके लिए.. रहे न वो अब यहाँ, हुए कुर्बान इस क़दर दे गए मिसाल ईमान की.
फलक पर शोक का बादल अजीब आया है, कि जैसे माह मुहर्रम नजदीक आया है.Muharram Shayari
ऐसी नमाज़ कौन पढ़ेगा जहां में, सजदा किया तो सर ना उठाया हुसैन ने, सब कुछ खुदा की राह में कुर्बान कर दिया, असग़र सा फूल भी ना बचाया हुसैन ने।
कर्बला की कहानी में कत्लेआम था!!लेकिन हौसलों के आगे हर कोई गुलाम था!!खुदा के बन्दे ने शहीद की कुर्बानी दी!!इसलिए उसका नाम पैगाम बना!!
न हिला पाया वो रब की मैहर को, भले ही जीत गया वो कायर जंग,पर जो मौला के डर पर बैखोफ शहीद हुआ, वही था असली और सच्चा पैगंबर।
“सर गैर के आगे ना झुकाने वाला, और नेजे पे भी कुरान सुनाने वाला, इस्लाम से क्या पूछते हो कौन हुसैन, हुसैन है इस्लाम को इस्लाम बनाने वाला.”
वो मुझसे मिलकर रोयी इतना की उसकी नाक का बुलबुला देख कर मेरी हंसी निकल गयी
अली असगर का प्यास से तड़पना याद करोवो मासूम सकीना का ज़रा सिसकना याद करो..दिखाई हैं हुसैन ने, राह-ए-हक़ ज़माने कोनाम-ए-हुसैन से बादशाहत का लरज़ना याद करो..
खुदा का जिस पर रहमत हो वो हुसैन होता है, जो इंसाफ और सत्य के लिए लड़ जाए वो हुसैन होता है।
“करबला की उस जमीन पर खून बहा, कत्त्लेआम का मंजर सजा, दर्द और दुखों से भरा था जहाँ, लेकिन फौलादी हौसलों को शहीद का नाम मिला.”
खून से चराग-ए-दीन जलाया हुसैन ने, रस्म-ए-वफ़ा को खूब निभाया हुसैन ने,खुद को तो एक बूँद न मिल सका लेकिन करबला को खून पिलाया हुसैन ने।
सिर गैर के आगे ना झुकाने वाला,और नेजे पे भी कुरान सुनाने वाला,इस्लाम से क्या पूछते हो कौन हुसैन,हुसैन है इस्लाम को इस्लाम बनाने वाला,
गुरूर टूट गया कोई मर्तबा ना मिला सितम के बाद भी कुछ हासिल जफा ना मिला सिर-ऐ-हुसैन मिला है यजीद को लेकिन शिकस्त यह है की फिर भी झुका हुआ ना मिला
लफ्जों में क्या लिखूं मैं शहादत हुसैन की, कलम भी रो देता है कर्बला का मंजर सोचकर।
करीब अल्लाह के आओ तो कोई बात बने, ईमान फिर से जगाओ तो कोई बात बने, लहू जो बह गया कर्बला में, उनके मकसद को समझा तो कोई बात बने।
करीब अल्लाह🤲🏿 के आओ तो कोई💦 बात बने !!ईमान🏞 फिर से जगाओ तो🌅 कोई बात बने !!लहू जो🌄 बह गया कर्बला💢 में !!उनके💫 मकसद को समझा तो 💯कोई बात बने !!
सजदे 💦से कर्बला को बंदगी 💫मिल गयी !!सब्र से 🏞उम्मत को ज़िन्दगी🏝 मिल गयी !!एक🏜 चमन फातिमा का 🌺उजड़ा मगर !!सारे इस्लाम🌺 को जिंदगी मिला 💯गयी !!
सजदे से कर्बला को बंदगी मिल गयी, सब्र से उम्मत को ज़िन्दगी मिल गयी, एक चमन फातिमा का उजड़ा मगर सारे इस्लाम को जिंदगी मिला गयी.
यूँ ही नहीं जहाँ में चर्चा हुसैन का, कुछ देख के हुआ था जमाना हुसैन का, सर दे के जो जहाँ की हुकूमत खरीद ली, महँगा पड़ा यजीद को सौदा हुसैन का।
गुरूर टूट गया कोई मर्तबा ना मिला, सितम के बाद भी कुछ हासिल जफा ना मिला,सिर-ऐ-हुसैन मिला है यजीद को लेकिन शिकस्त यह है की फिर भी झुका हुआ ना मिला।
कर्बला को कर्बला के शहंशाह पर नाज़ हैउस नवासे पर मुहम्मद को नाज़ हैयूँ तो लाखों सिर झुके सज़दे में लेकिनहुसैन ने वो सज़दा किया जिस पर खुदा को नाज़ है
जब भी कभी ज़मीर का सौदा हो दोस्तों ,कायम रहो हुसैन के इंकार की तरह |