Muharram Shayari In Hindi : सिर गैर के आगे न झुकाने वाला और नेजे पर भी कुरान सुनाने वाला, इस्लाम से क्या पूछते हो कौन है हुसैन,हुसैन है इस्लाम को इस्लाम बनाने वाला। सबा भी जो गुजरे कर्बला से तो उसे कहता है अर्थ वाला, तू धीरे गूजर यहाँ मेरा हुसैन सो रहा है।
कर्बला की जमीं पर खून बहा, कत्लेआम का मंजर सजा, दर्द और दुखों से भरा था सारा जहां लेकिन फौलादी हौसले को शहीद का नाम मिला।
न हिला पाया वो रब की मैहर को,भले जीत गया वो कायर जंग,पर जो मौला के दर पर बैखोप शहीद हुआ,वही था असली सच्चा पैगम्बर
आया वो मेरे दिल💔 में फिर !!एक💦 नए ग़म की💫 तरह !!इस बार 💢भी ईद गुज़री !!मेरी मुहर्रम🕌 की तरह !!
आया वो मेरे दिल में फिरएक नए ग़म की तरह,इस बार भी ईद गुज़रीमेरी मुहर्रम की तरह.
एक विद्वान के संकेतों में से एक अपने स्वयं के शब्दों और विचारों की आलोचना करना और विभिन्न दृष्टिकोणों से अवगत होना है।
कर्बला को कर्बला के शहंशाह पर नाज़ है,उस नवासे पर मुहम्मद को नाज़ है,यूँ तो लाखों सिर झुके सज़दे में लेकिनहुसैन ने वो सज़दा किया जिस पर खुदा को नाज़ है,
मुहर्रम उल हरम अफज़ल है कुल जहाँ से घराना हुसैन का निबिओं का ताजदार है घराना हुसैन का एक पल की थी बस हुकूमत यजीद की सदियन हुसैन रा है जमाना रा हुसैन का
क्या जलवा कर्बला में दिखाया हुसैन ने,सजदे में जा कर सर कटाया हुसैन ने,नेजे पे सिर था और जुबां पर अय्यातें,कुरान इस तरह सुनाया हुसैन ने.
दुशमनों को गले से लगाना सिखाया हुसैन नेरास्ता ज़माने को हक़ का बताया हुसैन ने..कर दिया माफ़ कातीलों को अपने बाप केसबक़ इंसानियत का ऐसा पढ़ाया हुसैन ने..
ना पूछ वक़्त की इन बेजुबान किताबों से,सुनो जब अज़ान तो समझो के हुसैन जिंदा है।
कर्बला की कहानी में कत्लेआम था !!लेकिन हौसलों के आगे हर कोई गुलाम था !!खुदा के बन्दे ने शहीद की कुर्बानी दी !!इसलिए उसका नाम पैगाम बना !!
सजदा से करबला को बंदगी मिल गई !!सबर से उम्मत को ज़िंदगी मिल गई !!एक चमन फातिमा का गुज़रा !!मगर सारे इस्लाम को ज़िंदगी मिल गई !!
ये आसमान में उदास बादल, तेरी मोहब्बत में रो रहा है सबा भी जो गुजरे कर्बला से तो उसे कहता है अर्थ वाला तू धीरे गुजर यहां मेरा हुसैन सो रहा है
कर्बला को कर्बला के शहंशाह पर नाज़ है,उस नवासे पर मुहम्मद को नाज़ है,यूँ तो लाखों सिर झुके सज़दे में लेकिनहुसैन ने वो सज़दा किया जिस पर खुदा को नाज़ है,
फिर आज हक़ के लिए जान फिदा करे कोई, वफ़ा भी झूम उठे यूँ वफ़ा करे कोई,नमाज़ 1400 सालों से इंतजार में है, हुसैन की तरह मुझे अदा करे कोई।
कर्बला की उस जमी पर खून बहाकत्लेआम का मंजर सजादर्द और दुखो से भरा था जहालेकिन फौलादी हौसले को शहीद का नाम मिला
प्रकाश के पथ पर आओ!!प्रार्थनाओं में शांति पाएं!!निषिद्ध को अस्वीकार करना सीखें!!कुरान की महिमा में महिमामंडित हो!!
न हिला पाया💦 वो रब की मैहर को, 💧भले ही जीत🌺 गया वो 🥀कायर जंग !!पर जो मौला🌌 के डर पर बैखोफ🌅 शहीद हुआ !!वही था असली और 💯सच्चा पैगंबर !!
क्या जलवा कर्बला में दिखाया हुसैन ने,सजदे में जा कर सिर कटाया हुसैन ने,नेजे पे सिर था और ज़ुबान पे आयते,कुरान इस तरह सुनाया हुसैन ने,
करीब अल्लाह के आओ तो कोई बात बने,ईमान फिर से जगाओ तो कोई बात बने,लहू जो बह गया कर्बला में,उनके मकसद को समझा तो कोई बात बने.
खून से चराग-ए-दीन🌄 जलाया हुसैन🕌 ने !!रस्म-ए💢-वफ़ा को खूब 🌌निभाया हुसैन🕌 ने !!खुद को 💫तो एक बूँद न मिल🌄 सका लेकिन !!करबला 💦को खून पिलाया हुसैन 🕌ने !!
सुनो मेरी क़ौम के नौनिहालों,सफ़र की आज़माइशों से थक कर ना कहीं सो जानाभूख और प्यास की शिद्दत में भी नेज़ों का बिस्तर,इतना आसान नहीं है हुसैन हो जाना
करीब अल्लाह के आओ तो कोई बात बने ईमान फिर से जगाओ तो कोई बात बने लहू जो बह गया कर्बला में उनके मकसद को समझो तो कोई बात बने।
कर्बला की उस जमी पर खून बहा कत्लेआम का मंजर सजा दर्द और दुखो से भरा था जहा लेकिन फौलादी हौसले को शहीद का नाम मिला
न हिला पाया वो रब की मैहर को,भले जात गया वो कायर जंगपर जो मौला के दर पर बैखोफ शहीद हुआवही था असली और सच्चा पैगम्बर।
वो जिसने अपने नाना का वादा वफ़ा कर दिया,घर का घर सुपर्द-ए-खुदा कर दिया,नोश कर लिया जिसने शहादत का जाम,उस हुसैन इब्ने-अली पर लाखों सलाम.
दुनिया-ओ-आखरत में रहना है !!चैन-ओ-सुकून से !!तो जीना अली से सीखे !!और मरना हुसैन से !!
“एक दिन बड़े गुरुर से कहने लगी ज़मीन, आया मेरे नसीब में परचम हुसैन का.. फिर चाँद ने कहा मेरे सीने के दाग देख, होता है आसमान पे भी मातम हुसैन का..”
खुशियों का सफ़र तो गम से शुरू होता है, हमारा तो नया साल मुहर्रम से शुरू होता है. Happy Muharram
खून से चरागएदीन जलाया हुसैन ने,रस्मएवफ़ा को खूब निभाया हुसैन ने,खुद को तो एक बूँद न मिल सका लेकिनकरबला को खून पिलाया हुसैन ने,
इमाम का हौसला इस्लाम जगा गया!!अल्लाह के लिए उसका फर्ज आवाम को धर्म सिखा गया!!
सिर गैर के आगे न झुकाने वालाऔर नेजे पर भी कुरान सुनाने वाला,इस्लाम से क्या पूछते हो कौन है हुसैन,हुसैन है इस्लाम को इस्लाम बनाने वाला।
सुन लो यज़ीदीयों, तड़पा नही हुसैन मेरा, पानी के लिए दरिया ज़रूर महरूम था, लब-ए हुसैन को छूने के लिए। Muharram Shayari
इमाम 🌺का होशाला !!इस्लाम 🕌बना गया !!अल्लाह 🕌के लिए उसका 💫फ़र्ज़ !!आवाम 💯को धर्म सिखा🌺 गया !!
शहादत सब के हिस्से में कहाँ आती है दुनिया मेंमैं तुझ पे रशक करता हूँ तिरा मातम नहीं करता!
लफ़्जों में क्या लिखूं मैं शहादत हुसैन की,कलम भी रो देता है कर्बला का मंजर सोचकर।
“दिन रोता है रात रोती है,दिन रोता है रात रोती है..हर मोमिन की जात रोती है,जब भी आता है मुहर्रम का महिना,खुदा की कसम ग़म-ए-हुसैन,सारी कायनात रोती है…”
करीब अल्लाह के आओ तो कोई बात बने !!ईमान फिर से जगाओ तो कोई बात बने !!लहू जो बह गया कर्बला में !!उनके मकसद को समझो तो कोई बात बने !!
तेरी मोहब्बत में रो रहा है सबा भी जो गुजरे कर्बला से तो उसे कहता है अर्थ वाला तू धीरे गुजर यहां मेरा हुसैन सो रहा है
जब भी कभी ज़मीर का सौदा होकायम रहो दोस्तों हुसैन के इंकार की तरह
गुरूर टूट गया कोई मर्तबा ना मिला, सितम के बाद भी कुछ हासिल जफा ना मिला, सिर-ऐ-हुसैन मिला है यजीद को लेकिन शिकस्त यह है की फिर भी झुका हुआ ना मिला।
सुन लो💫 यज़ीदीयों, तड़पा💦 नही हुसैन मेरा, पानी 🌊 !!के लिए !!दरिया ज़रूर महरूम🗼 था, लब-ए हुसैन🕌 को छूने के !! लिए !!
दश्त-ए-बाला को अर्श का जीना बना दिया, जंगल को मुहम्मद का मदीना बना दिया।हर जर्रे को नजफ का नगीना बना दिया, हुसैन तुमने मरने को जीना बना दिया।
क्या हक़💦 अदा करेगा ज़माना हुसैन 🕌का !!अब तक🌅 ज़मीन पे क़र्ज़ है सजदा हुसैन🕌 का !!झोली फैला🌟 कर मांग लो 🌺मोमिनो !!हर दुआ 🤲🏿कबूल करेगा दिल🖤 हुसैन🕌 का !!
दिल 💔थाम के सोचा लिखूं शान🌄-ए-हुसैन में !!कलम 🖊चीख उठी कहा 🌅बस अब रोने दो !!
हिम्मत और जुनून रखना साथ तू बंदगी में..दास्तां-ए-शहादत को रखना याद तू जिंदगी में..
ख़ुदा का जिस पर रहमत हो वो हुसैन होता है, जो इन्साफ और सत्य के लड़ जाए वो हुसैन होता है. मुहर्रम शायरी
फलक पर शोक का बादल अजीब आया है,कि जैसे माह मुहर्रम नजदीक आया है.
यूँ ही नहीं जहाँ में चर्चा हुसैन का, कुछ देख के हुआ था जमाना हुसैन का, सर दे के जो जहाँ की हुकूमत खरीद ली, महँगा पड़ा यजीद को सौदा हुसैन का।
करीब अल्लाह के आओ तो कोई बात बने, ईमान फिर से जगाओ तो कोई बात बने,लहू जो बह गया कर्बला में, उनके मकसद को समझा तो कोई बात बने।
कर्बला की कहानी में कत्लेआम था लेकिन हौसलों के आगे हर कोई गुलाम था,खुदा के बन्दे ने शहीद की कुर्बानी दी इसलिए उसका नाम पैगाम बना।
शहादत कर्बला के हुसैन की,दिलों में जगाते हैं हम..मातम कर मोहर्रम का,नए साल को मनाते हैं हम..
न हिला पाया वो रब की मैहर को !!भले जीत गया वो कायर जंग !!पर जो मौला के दर पर बैखोफ शहीद हुआ !!वही था असली और सच्चा पैगम्बर !!
“वो जिसने अपने नाना का वादा वफ़ा कर दिया..घर का घर सुपर्द-ए-खुदा कर दिया..नोश कर लिया जिसने शहादत का जाम..उस हुसैन इब्ने-अली पर लाखों सलाम…”
एक दिन बड़े गुरुर से कहने लगी जमीनहै मेरे नसीब में परचम हुसैन काफिर चाँद ने कहा मेरे सीने के दाग देखहोता है आसमान पर भी मातम हुसैन का
ज़िक्र-ए-हुसैन आया तो आँखें छलक पड़ी,पानी को कितना प्यार है अब भी हुसैन से.
दिल थाम के सोचा लिखूं शान-ए-हुसैन में, कलम चीख उठी कहा बस अब रोने दो. मुहर्रम शायरी
इश्क मैं किया लुटिया इश्क मैं किया बेचेन अल ए नबी ने लिख दिया सारा नसीब रीत पर
जिक्र-ए-हुसैन आया तो आंखें छलक पड़ी, पानी को कितना प्यार है अब भी हुसैन से।
कर्बला को कर्बला के शहंशाह पर नाज़ है,उस नवासे पर मुहम्मद को नाज़ है,यूँ तो लाखों सिर झुके सज़दे में लेकिनहुसैन ने वो सज़दा किया जिस पर खुदा को नाज़ है,
कर्बला की कहानी में कत्लेआम था लेकिन हौसलों के आगे हर कोई गुलाम थाखुदा के बन्दे ने शहीद की कुर्बानी दी इसलिए उसका नाम पैगाम बना
“मुहर्रम को याद करो वो कुर्बानी,जो सिखा गया सही अर्थ इस्लामी,ना डिगा वो हौसलों से अपने,काटकर सर सिखाई असल जिंदगानी.”
बनी दुनिया जिसके लिए.. रहे न वो अब यहाँ, हुए कुर्बान इस क़दर दे गए मिसाल ईमान की.
आँखों को कोई ख्वाब तो दिखायी दे, ताबीर में इमाम का जलवा तो दिखायी दे,ए इब्न-ऐ-मुर्तजा सूरज भी एक छोटा सा जरा दिखायी दे।
कर्बला 💢की उस जमी 🥀पर खून बहा !!कत्लेआम🌟 का मंजर 🌺सजा !!दर्द 💔और दुखो से भरा 🌺था जहा !!लेकिन🥀 फौलादी हौसले 🌄को शहीद🤦♀️ का नाम मिला !!
क्या जलवा कर्बला में दिखाया हुसैन ने, सजदे में जा कर सर कटाया हुसैन ने, नेजे पे सिर था और जुबां पर अय्यातें, कुरान इस तरह सुनाया हुसैन ने।
ज़िन्दगी के हर पल खुशियों से कम न हो!!आप के हर दिन ईद के दिन से कम न हो!!ऐसा ईद का दिन आपको हमेशा नसीब हो!!
जन्नत की आरजू में कहा जा रहे है लोग,जन्नत तो कर्बला में खरीदी हुसैन ने,दुनिया-ओ-आखरत में रहना हो चैन सूकून सेतो जीना अली से सीखे और मरना हुसैन से.
इमाम का हौसला इस्लाम जगा गया, अल्लाह के लिए उसका फर्ज आवाम को धर्म सिखा गया।
करीब अल्लाह के आओ तो कोई बात बने, ईमान फिर से जगाओ तो कोई बात बने, लहू जो बह गया कर्बला में, उनके मकसद को समझा तो कोई बात बने।
जन्नत की आरजू में कहा जा रहे है लोगजन्नत तो कर्बला में खरीदी हुसैन नेदुनिया-ओ-आखरत में रहना हो चैन सूकून सेतो जीना अली से सीखे और मरना हुसैन से
इंसानियत का वजूद और हर दिल का वो चैन है..याद करो कुर्बानी उनकी, नाम जिनका हुसैन है..!