Muharram Shayari In Hindi : सिर गैर के आगे न झुकाने वाला और नेजे पर भी कुरान सुनाने वाला, इस्लाम से क्या पूछते हो कौन है हुसैन,हुसैन है इस्लाम को इस्लाम बनाने वाला। सबा भी जो गुजरे कर्बला से तो उसे कहता है अर्थ वाला, तू धीरे गूजर यहाँ मेरा हुसैन सो रहा है।
हक़ का परचम, वजूद-ए-हुसैन से बुलंद हैं बातील के आगे सर झुकाना उसे नापसंद हैं..खून से अपने सींचा हैं सच्चाई का दरख़्त ज़माना आज तक हुसैन का अहसानमंद हैं..
ऐसी नमाज़ कौन पढ़ेगा जहाँसज़दा किया तो सर ना उठाया हुसैन नेसब कुछ खुदा की राह में कुर्बान कर दियाअसगर सा फूल भी ना बचाया हुसैन ने
पानी का तलब हो तो एक काम किया कर,कर्बला के नाम पर एक जाम पिया कर,दी मुझको हुसैन इब्न अली ने ये नसीहतजालिम हो मुकाबिल तो मेरा नाम लिया कर,
ख़ुदा 🥀का जिस पर 🥀रहमत हो वो हुसैन🕌 होता है!!जो इन्साफ 💯और सत्य 💯के लड़ जाए वो हुसैन🕌 होता है!!
खून से चराग-ए-दीन जलाया हुसैन ने !!रस्म-ए-वफ़ा को खूब निभाया हुसैन ने !!खुद को तो एक बूंद भी मिल ना सका पानी !!लेकिन कर्बला को खून पिलाया हुसैन ने !!
शायद मेरे प्यार को टेस्ट करना भूल गयी तुम दिल से ऐसा कट किया की पेस्ट करना भूल गयी तुम
“मुहर्रम को याद करो वो कुर्बानी, जो सिखा गया सही अर्थ इस्लामी, ना डिगा वो हौसलों से अपने, काटकर सर सिखाई असल जिंदगानी.”
कर्बला 💦की जमीं पर खून 🥀बहा, कत्लेआम 💯का !!मंजर सजा !!दर्द और दुखों💯 से भरा था सारा 💢जहां लेकिन !!फौलादी💤 हौसले को शहीद🌺 का नाम मिला !!
खुशियों का सफ़र तो गम से शुरू होता है,हमारा तो नया साल मुहर्रम से शुरू होता है.
कर्बला 🌺की उस जमी पर🌟 खून बहा !!कत्लेआम 🥀का मंजर सजा !!दर्द 💔और दुखो से भरा💧 था जहा !!लेकिन 💦फौलादी हौसले को शहीद 💯का नाम मिला !!
सुन लो यज़ीदीयों, तड़पा नही हुसैन मेरा, पानी के लिएदरिया ज़रूर महरूम था, लब-ए हुसैन को छूने के लिए।
सिर गैर के आगे न झुकाने वाला और नेजे पर भी कुरान सुनाने वाला, इस्लाम से क्या पूछते हो कौन है हुसैन,हुसैन है इस्लाम को इस्लाम बनाने वाला।
न से चराग-ए-दीन🏜 जलाया हुसैन 🕌ने !!रस्म-ए-🥀वफ़ा को खूब निभाया हुसैन 🕌ने !!खुद को🌟 तो एक बूँद 💧न मिल सका🌺 लेकिन !!करबला को खून🌊 पिलाया हुसैन 🕌ने !!
सिर गैर के आगे न झुकाने वाला और नेजे पर भी कुरान सुनाने वाला, इस्लाम से क्या पूछते हो कौन है हुसैन, हुसैन है इस्लाम को इस्लाम बनाने वाला।
हुसैन तेरी अता का चश्मा दिलों के दामन भिगो रहा है, ये आसमान में उदास बादल तेरी मोहब्बत में रो रहा है।
क्या जलवा कर्बला में दिखाया हुसैन ने,सजदे में जा कर सिर कटाया हुसैन ने,नेजे पे सिर था और ज़ुबान पे अय्यातें,कुरान इस तरह सुनाया हुसैन ने।
किस कदर रोया मैं सुन के दास्ताने कर्बला,मैं तो हिन्दू ही रहा आँखे हुसैनी हो गयी.
कर्बला की शाहदत इस्लाम बन गई खून तो बहा था लेकिन हौशालो की उडान बन गई
कर्बला की शहादत इस्लाम बना गयी,खून तो बहा था लेकिन कुर्बानी हौसलों की उड़ान दिखा गयी।
“कौन भूलेगा वो सजदा हुसैन का, खंजरों तले भी सर झुका ना था हुसैन का… मिट गयी नसल ए याजिद करबला की ख़ाक में, क़यामत तक रहेगा ज़माना हुसैन का…”
शहादत💧 सब के हिस्से में कहाँ आती💦 है दुनिया 🌍में !!मैं तुझ पे रशक🔥 करता हूँ तिरा मातम 💦नहीं करता !!
लफ़्जों में क्या 🌺लिखूं मैं शहादत हुसैन 🕌की !!कलम 🖊भी रो देता है कर्बला का🥀 मंजर सोचकर !!
“इमाम का हौसला इस्लाम जगा गया,अल्लाह के लिए उसका फ़र्ज़ आवाम को धर्म सिखा गया.”
“एक दिन बड़े गुरुर से कहने लगी ज़मीन, आया मेरे नसीब में परचम हुसैन का.. फिर चाँद ने कहा मेरे सीने के दाग देख, होता है आसमान पे भी मातम हुसैन का..”
दश्त-ए-बाला को अर्श का जीना बना दिया,जंगल को मुहम्मद का मदीना बना दिया,हर जर्रे को नजफ का नगीना बना दिया,हुसैन तुमने मरने को जीना बना दिया।
ईद का त्यौहार आया है!!खुशियां अपने संग लाया है!!खुदा ने दुनिया को महकाया है!!देखो फिर से ईद का त्यौहार आया है!!आप सभी को दिल से ईद मुबारक!!
ज़िक्र-ए-हुसैन आया तो आँखें छलक पड़ी, पानी को कितना प्यार है अब भी हुसैन से. Mateen Ahmad
इमाम का हौसला इस्लाम जगा गया,अल्लाह के लिए उसका फर्ज आवाम को धर्म सिखा गया।
फिर आज हक़ के लिए जान फिदा करे कोईवफ़ा भी झूम उठे यूँ वफ़ा करे कोईनमाज़ 1400 सालों से इंतज़ार में हैहुसैन की तरह मुझे अदा करे कोई
गुरूर टूट गया कोई मर्तबा ना मिला,सितम के बाद भी कुछ हासिल जफ़ा ना मिला।
कर्बला की कहानी में कत्लेआम था लेकिन हौसलों के आगे हर कोई गुलाम था, खुदा के बन्दे ने दी कुर्बानी जो आनेवाली नस्लों के लिए एक पैगाम था. मुहर्रम शायरी
सल्तनत💯 ए यजीदी💧 मिट गई दुनियां🌍 से !!दिलों 💔में हैं लोगों के बादशाहत 🕌ए हुसैन !!
न हिला पाया💦 वो रब की मैहर 💧को !!भले जात🌄 गया वो कायर🌅 जंग !!पर जो 💦मौला के दर पर बैखोफ🌺 शहीद हुआ !!वही था 🥀असली और सच्चा💫 पैगम्बर !!
क्या जलवा कर्बला में दिखाया हुसैन ने !!सजदे में जा कर सिर कटाया हुसैन ने !!नेजे पे सिर था और ज़ुबान पे आयतें !!कुरान इस तरह सुनाया हुसैन ने !!
इमाम का होशाला इस्लाम बना गया अल्लाह के लिए उसका फ़र्ज़ आवाम को धर्म सिखा गया
जालिम का नाम मिट गया तारीख़ से मगर, वो याद रह गए जिन्हें पानी नहीं मिला… कुमार विश्वास
लफ़्जों में क्या लिखूं मैं शहादत हुसैन की, कलम भी रो देता है कर्बला का मंजर सोचकर।
कर्बला की शाहदत इस्लाम बन गई ,खून तो बहा था लेकिन ,हौशालो की उडान बन गई |
“करबला को करबला के शहंशाह पर नाज है,उस नवासे पर मोहम्मद को नाज़ है,यूँ तो लाखों सर झुके सजदे में लेकिनहुसैन ने वो सजदा किया जिस पर खुदा को नाज़ है.”
आशिक पागल हो जाते है प्यार में बाकि कसर पूरी ही जाती इंतजार में मगर ये फौजी दिलरुबा नहीं समझती गोलगप्पे खाती फिरती है बाजार में
“सजदे से करबला को बंदगी मिल गयी…सब्र से उम्मत को ज़िन्दगी मिल गयी…एक चमन फातिमा का उजड़ा,मगर सारे इस्लाम को ज़िन्दगी मिल गयी…”
फिर आज हक़ के लिए जान फिदा करे कोई,वफ़ा भी झूम उठे यूँ वफ़ा करे कोई, नमाज़ 1400 सालों से इंतजार में है,हुसैन की तरह मुझे अदा करे कोई।
खून से चराग-ए-दीन जलाया हुसैन ने, रस्म-ए-वफ़ा को खूब निभाया हुसैन ने, खुद को तो एक बूँद न मिल सका लेकिन करबला को खून पिलाया हुसैन ने।
सजदे से कर्बला को बंदगी मिल गयी,सब्र से उम्मत को ज़िन्दगी मिल गयी,एक चमन फातिमा का उजड़ा मगरसारे इस्लाम को जिंदगी मिला गयी.
तो उसे कहता है अर्थ वाला तू धीरे गुजर यहां मेरा हुसैन सो रहा है
एक दिन बड़े गुरूर से कहने लगी ज़मीन, ऐ मेरे नसीब में परचम हुसैन का, फिर चाँद ने कहा मेरे सीने के दाग देख, होता है आसमान पर भी मातम हुसैन का।
हैरत में चाँद सितारे आज भी है. बहत्तर हजारों में ज़िंदा आज भी हैं. हमारे घर में चमकते है इस्लाम के चेहरे. हुसैन तुम्हारे दीन के पहरे आज भी हैं।
किस कदर रोया मैं सुन के दास्ताने कर्बला, मैं तो हिन्दू ही रहा आँखे हुसैनी हो गयी. Muharram Shayari
कर्बला की शहादत इस्लाम बना गयी, खून तो बहा था लेकिन कुर्बानी हौसलों की उड़ान दिखा गयी। मुहर्रम शायरी
कर्बला की जमीं पर खून बहा, कत्लेआम का मंजर सजा,दर्द और दुखों से भरा था सारा जहां लेकिन फौलादी हौसले को शहीद का नाम मिला।
कर्बला की कहानी में कत्लेआम था लेकिन हौसलों के आगे हर कोई गुलाम था, खुदा के बन्दे ने शहीद की कुर्बानी दी इसलिए उसका नाम पैगाम बना।
जन्नत की आरजू में कहा जा रहे है लोग,जन्नत तो कर्बला में खरीदी हुसैन ने,दुनिया-ओ-आखरत में रहना हो चैन सूकून सेतो जीना अली से सीखे और मरना हुसैन से।
दिल में आते ही ख़ुशी !!साथ ही इक ग़म आया !!ईद आई तो मैं समझा !!कि मोहर्रम आया !!
फलक🌺 पर शोक का बादल 🌫अजीब आया है !!कि जैसे 💦माह मुहर्रम 🗼नजदीक आया है !!
दुनिया ने देखी शान वो कर्बोबला में ज़ो आख़री सज़दा किया मेरे हुसैन ने
“करबला को करबला के शहंशाह पर नाज है, उस नवासे पर मोहम्मद को नाज़ है, यूँ तो लाखों सर झुके सजदे में लेकिन हुसैन ने वो सजदा किया जिस पर खुदा को नाज़ है.”
वो जिसने अपने नाना का वादा वफ़ा कर दिया,घर का घर सुपर्द-ए-खुदा कर दिया,नोश कर लिया जिसने शहादत का जाम,उस हुसैन इब्ने-अली पर लाखों सलाम.
क्या जलवा कर्बला में दिखाया हुसैन ने सजदे में जा कर सिर कटाया हुसैन ने नेजे पे सिर था और ज़ुबान पे अय्यातें कुरान इस तरह सुनाया हुसैन ने।
करीब अल्लाह के आओ तो कोई बात बने, ईमान फिर से जगाओ तो कोई बात बने, लहू जो बह गया कर्बला में, उनके मकसद को समझा तो कोई बात बने।
कई बार खेले होगे किशीके दिलसे ।👉🏻 मत खेलो किशीके दिलसे ।👉🏻 दर्द होता है दिल टूटने पे ।😔
कर्बला की शहादत इस्लाम बना गयी, खून तो बहा था लेकिन कुर्बानी हौसलों की उड़ान दिखा गयी। मुहर्रम शायरी
ऐ दोस्त तेरी दोस्ती के लिए दुनिया छोड़ देंगे हम तेरी तरफ आये हर तूफ़ान को मोड़ देंगे लेकिन तूने जो साथ छोड़ा कसम से तेरी हड्डिया तोड़ देंगे
वो जिसने अपने नाना का वादा वफ़ा कर दिया!!घर का घर सुपर्द-ए-खुदा कर दिया!!नोश कर लिया जिसने शहादत का जाम!!उस हुसैन इब्ने-अली पर लाखों सलाम!!
“सर गैर के आगे ना झुकाने वाला,और नेजे पे भी कुरान सुनाने वाला,इस्लाम से क्या पूछते हो कौन हुसैन,हुसैन है इस्लाम को इस्लाम बनाने वाला.”
हर शख्स की जुबां पर हैहुसैन के कुर्बानी की बात..मांगो दुआएं, आई है जोमोहर्रम की ये पाक रात..
कर्बला की कहानी में कत्लेआम थालेकिन हौसलों के आगे हर कोई गुलाम था,खुदा के बन्दे ने दी कुर्बानीजो आनेवाली नस्लों के लिए एक पैगाम था.
वो जिसने अपने नाना का वादा वफ़ा कर दिया, घर का घर सुपर्द-ए-खुदा कर दिया, नोश कर लिया जिसने शहादत का जाम, उस हुसैन इब्ने-अली पर लाखों सलाम. Zamir Hashmi
कर्बला की 🌺शहादत इस्लाम बना🏜 गयी !!खून तो बहा 🥀था लेकिन कुर्बानी हौसलों 🥀की उड़ान दिखा गयी !!
लफ़्जों में क्या🥀 लिखूं मैं शहादत हुसैन 🕌की !!कलम🌺 भी रो देता है कर्बला💦 का मंजर सोचकर🤦♀️ !!
सबा भी जो गुजरे कर्बला से तो उसे कहता है अर्थ वाला,तू धीरे गूजर यहाँ मेरा हुसैन सो रहा है।
वो जिसने अपने नाना का वादा वफा कर दियाघर का घर सुपुर्द-ए-खुदा कर दियानोश कर लिया जिसने शहादत का जामउस हुसैन इब्न अली को लाखों सलाम
इस दुनिया में लाखो लोग रहते है कोई हँसता है तो कोई रोता है पर दुनिया में सुखी वही होता है जो शाम को 2 पैग लगा के सोता है