799+ Geeta Quotes In Hindi | Bhagavad Gita Quotes in Hindi

Geeta Quotes In Hindi , Bhagavad Gita Quotes in Hindi
Author: Quotes And Status Post Published at: October 5, 2023 Post Updated at: April 4, 2024

Geeta Quotes In Hindi : ~ कर्म के बिना फल की अभिलाषा करना, व्यक्ति की सबसे बड़ी मूर्खता है। ~ यह सृष्टि कर्म क्षेत्र है, बिना कर्म किये यहाँ कुछ भी हासिल नहीं हो सकता।

“हर वह मनुष्य जो अपने पूर्ण विश्वास के साथ अपने देवता की पूजा करने की इच्छा रखता है,

जिन्दगी मे दो लोगो का होना बहुत जरूरी है …एक कृष्ण जो ना लड़े फिर भी जीत पक्की कर दे ,दूसरा कर्ण जो हार सामने हो फिर भी साथ ना छोड़े ।

“इस पृथ्वी पर ऐसा कोई भी नहीं जो मनुष्य कीआशाओं को पूर्ण कर सके,

जातस्य हि ध्रुवो मृत्युर्ध्रुवं जन्म मृतस्य च।तस्मादपरिहार्येऽर्थे न त्वं शोचितुमर्हसि॥

यह सृष्टि कर्म क्षेत्र है, बिना कर्म किये यहाँ कुछ भी हासिल नहीं हो सकता।

जैसे अंधेरे में प्रकाश की ज्योति जगमगाती है। ठीक उसी प्रकार से सत्य की चमक भी कभी फीकी नही पड़ती। इसलिए व्यक्ति को सदैव सत्य बोलना चाहिए।

जो विद्वान् होते है, वो न तो जीवन केलिए और न ही मृत के लिए शोक करते है।

जब भी विनाश होने का प्रारंभ होता है, शुरुआत वाणी के संयम खोने से होती है।

बिना फल की कामनाएं ही सच्चा कर्म है ईश्वर चरण में हो समर्पण वही केवल धर्म है।

हे अर्जुन! ज्ञानी व्यक्ति ज्ञान और कर्म को एक रूप में देखता है, वही सही मायने में देखता है। – श्री कृष्ण (श्रीमद्‍भगवद्‍गीता)

मनुष्य को अपने कर्मों के अच्छे और बुरे फल के विषय में सदैव सोचकर चिंता ग्रस्त नहीं होना चाहिए।

वह जो वास्तविकता में मेरे उत्कृष्ट जन्म और गतिविधियों को समझता है, वह शरीर त्यागने के बाद पुनः जन्म नहीं लेता और मेरे धाम को प्राप्त होता है।

न कांक्षे विजयं कृष्ण न च राज्यं सुखानि च।किं नो राज्येन गोविन्द किं भोगैर्जीवितेन वा।

किसी का अच्छा ना कर सकोतो बुरा भी मत करनाक्योंकि दुनिया कमजोर हैलेकिन दुनिया बनाने वाला नहीं..!

अपने कर्तव्य का पालन करना ही प्रकतीद्वारा निर्धारित किया हुआ हो ,वह कोई पास नही है ।

हे अर्जुन, अपने परम भक्तों, जो हमेशा मेरा स्मरण या एक – चित्त मन से मेरा पूजन करते हैं, मैं व्यक्तिगत रूप से उनके कल्याण का उत्तरदायित्व लेता हूँ।

जिन्होंने आपके साथ बुरा किया, उनको माफ़ करके और जिनका आपने बुरा किया उनसे माफ़ी मांग के मुक्ति पाई जा सकती है।

तो श्री कृष्ण कभी भी महाभारत को नहीं होने देते”

बुद्धिमान को अपनी चेतना को एकजुटकरना चाहिए और फल के लिएइच्छा छोड़ देना चाहिए ।

जीवन ना तो भविष्य में है ना अतीत में, जीवन तो इस क्षण में है।

मनुष्य को परिणाम की चिंता किए बिना लोभ- लालच और निस्वार्थ और निष्पक्ष होकर अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए।

जब तक आत्मा इन चारो दरवाज़ों धर्म, काम, अर्थ और मोक्ष को समझ नहीं लेती तब तक आत्मा को बार बार इस मनुष्य रूप में आना ही पड़ेगा।

कोई कुछ भी कहे, बस अपने आपको शांत रखो, क्योंकि सूरज कितना भी तेज क्यों न हो, समुद्र सूखता नहीं है।

~ प्रबुद्ध व्यक्ति के लिए, गंदगी का ढेर, पत्थर और सोना सभी समान हैं।

अपने आपको भगवान के प्रति समर्पित कर दो,यही सबसे बड़ा सहारा है, जो कोई भी इससहारे को पहचान गया है वह डर,चिंता और दुखो से आजाद रहता है।

बदल जाओ वक्त के साथ या फिर वक़्त बदलना सीखो, मजबूरियों को मत कोशों हर हाल में चलना सीखो

जैसे समुद्र के पार जाने के लिये नाव ही एक मात्र साधन है ,वैसे हि स्वर्ग मे जाने के लिये सत्य ही एक मात्र सिढी है कुछ और नही

मनुष्य को जीवन की चुनौतियों से भागना नहीं चाहिए और न ही भाग्य और ईश्वर की इच्छा जैसे बहानों का प्रयोग करना चाहिए।

“किसी भी कार्य को सफलतापूर्वक करने के लिए जो प्रेरणा का स्रोत है वो सिर्फ हमारे विचार होते हैं,

अपने कर्तव्य का पालन करना ही प्रकृति द्वारा निर्धारित किया हुआ हो ,वह कोई पास नही है।

जन्म लेने वाले के लिए मृत्यु उसी प्रकार निश्चित है, जितना कि मरने वाले के लिए जन्म लेना। इसलिए इस विषय पर शोक मनाना व्यर्थ है।

आत्मा पुराने शरीर को वैसे ही छोड़ देती है, जैसे मनुष्य पुराने कपड़ों को उतार कर नए कपड़े धारण कर लेता है।

हे कुन्तीपुत्र! मैं जल का स्वाद हूँ, सूर्य तथा चन्द्रमा का प्रकाश हूँ, वैदिक मन्त्रों में ओंकार हूँ, आकाश में ध्वनि हूँ तथा मनुष्य में सामर्थ्य हूँ।

मुझसे श्रेष्ठ कोई सत्य नहीं है | जिस प्रकार मोती धागे में गुँथे रहते हैं, उसी प्रकार सब कुछ मुझ पर ही आश्रित है |

~ जो लोग भक्ति में श्रद्धा नहीं रखते, वे मुझे पा नहीं सकते। अतः वे इस दुनिया में जन्म-मृत्यु के रास्ते पर वापस आते रहते हैं।

आप ही अपना मित्र और आप भी अपना शत्रु हैक्युकी स्वयं का पतनऔर उद्धार दोनों आप निर्धारित करते हैं ..!!

हे अर्जुन! निस्सन्देह चंचल मन को वश में करना अत्यन्त कठिन है; किन्तु उपयुक्त अभ्यास द्वारा तथा विरक्ति द्वारा ऐसा सम्भव है |

जिसने मन को जीत लिया है उसके लिए मनसबसे अच्छा मित्र है, लेकिन जो ऐसा नहींकर पाया उसके लिएमन सबसे बड़ा दुश्मन बना रहेगा।

कौन क्या कर रहा है, कैसे कर रहा है और क्यों कर रहा है। इन सब से आप जितना दूर रहेंगे उतना ही आप खुश रहेंगे।

“मनुष्य अपने जीवन में जब तक डरता रहेगा,

गुरु दीक्षा बिना प्राणी के सब कर्म निष्फल होते है।

“दूसरों पर भरोसा करना अच्छी बात है,

सत्य कभी दावा नहीं करता कि मैं सत्य हूंलेकिन झूठ हमेशा दावा करता हैंकि सिर्फ मैं ही सत्य हूं।

जो हुवा वो अच्छा हुवा जो हो रहा वो अच्छा हो रहा जो होगा वो भी अच्छा ही होगा

“जो मनुष्य सदैव दूसरों पर संदेह करता है उस मनुष्य को किसी भी

अगर आपको झुकना है तो किसी के विनम्रता के आगे झुके किसी के शक्ति के आगे, रूप के आगे, और धन के आगे तो बिलकुल भी मत झुकना।

Sri Bhagavad Gita, बुद्धिमान व्यक्ति कामुक सुख में आनंद नहीं लेता।

क्योंकि मनुष्यों की आशा उस समुद्र के समान होती है जिसे कभी भी भरा नहीं जा सकता”

इन्द्रियो की दुनिया मे कल्पना सुखो की प्रथम शुरुआत है और अन्त भी जो दुख को जन्म देता है ।

जन्म लेने वाले के लिए मृत्यु उतनी ही निश्चित है, जितना कि मरने वाले के लिए जन्म लेना। इसलिए जो अपरिहार्य है, उस पर शोक नही करना चाहिए।

कर्म करो फल की अभिलाषा मत करो। – श्री कृष्ण (श्रीमद्‍भगवद्‍गीता)

ऐसा कुछ भी नहीं , चेतन या अचेतन , जो मेरे बिना अस्तित्व में रह सकता हो।

और मेरा स्मरण करते हुए अपने शरीर को त्यागता है वह मनुष्य मेरे धाम में वास करता है”

मैं धरती की मधुर सुगंध हूँ। मैं अग्नि की ऊष्मा हूँ, सभी जीवित प्राणियों का जीवन और सन्यासियों का आत्मसंयम हूँ।

अपने मन पर नियंत्रण रखना अत्यधिक आवश्यक है। अगर आप अपने मन पर पर नियंत्रण नहीं करते तो आपका ही मन आपके लिए शत्रु का काम करेगा।

अपने अपने कर्म के गुणों का पालन करते हुए प्रत्येक व्यक्ति सिद्ध हो सकता है।

सेवा सब की करो मगर आशा किसी से मत रखो , क्योंकि सेवा का सही मूल्य ईश्वर ही दे सकते हैं।

किसी भी व्यक्ति को ना तो समय से पहले और ना ही भाग्य से अधिक कुछ मिलता है। लेकिन उसे सदैव पाने के लिए प्रयत्नशील रहना चाहिए।

ज्यादा खुश होने पर औरज्यादा दुखी होने पर निर्णय नहीं लेना चाहिएक्योंकि यह दोनों परिस्थितियां आपकोसही निर्णय नहीं लेने देती हैं।

हे अर्जुन ! में भूतकाल, वर्तमान औरभविष्यकाल के सभी जीवों को जानता हूं,लेकिन वास्तविकता में कोई मुझे नही जानता है।

गलतियां ढूंढना गलत नही है, बस शुरुआत खुद से होनी चाहिए।

मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है, जैसा वह विश्वास करता है, वैसा वह बन जाता है।

जब सत्य की असत्य से लडाई होगी तो सत्य अकेला खडा होगा और असत्य की फौज लंबी होगी , क्योंकि असत्य के पीछे मूखीं का झुंड भी होगा।

कर्मो से डरिये ईश्वर से नही …ईश्वर माफ कर देता है कर्म नही ।

कर्म का फल व्यक्ति को उसी तरह ढूंढ लेता है ,जैसे कोई बछड़ा सैकड़ो गायो केबीच अपनी मां को ढूंढ लेता है ।

जब उम्मीदें टूटने लगे कोई रास्ता दिखाई ना दे तो एक बार भगवद गीता की शरण जरुर ले लेना।

लोक में प्रसन्नता और सफलता हासिल नहीं होती”

इंसान के परिचय की सुरूवात भले ही उसके चेहरे से होती होगी लेकिन उसकी सम्पुर्ण पहचान तो उसके वाणी से हि होती है

“क्रोध, लालच और वासना यही नर्क के द्वार हैं क्योंकि यह मानव के पतन का मुख्य कारण होते हैं।”

हर आत्मा को अपने अंदर के तामसिक और राजसिक अवगुणो से निकल के सात्विक जीवन में प्रवेश करने के मोके मिलते हैं।

~ धरती पर जिस प्रकार मौसम में बदलाव आता है, उसी प्रकार जीवन में भी सुख-दुख आता जाता रहता है।

~ मैं भूतकाल, वर्तमान और भविष्य काल के सभी जीवों को जानता हूं, लेकिन वास्तविकता में मुझे कोई नही जानता है।

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