Geeta Quotes In Hindi : ~ कर्म के बिना फल की अभिलाषा करना, व्यक्ति की सबसे बड़ी मूर्खता है। ~ यह सृष्टि कर्म क्षेत्र है, बिना कर्म किये यहाँ कुछ भी हासिल नहीं हो सकता।
ऐसा कुछ भी नही , चेतन या अचेतन ,जो मेरे बिना अस्तित्व मे रह सकता हो ।
जो मन को नियंत्रित नहीं करते उनके लिए वह शत्रु के समान कार्य करता है।
जब इंसान की जरूरत बदल जाती हैतब इंसान के बात करने का तरीकाबदल जाता है।
“इस संसार में हम खाली हाथ आए थे और खाली हाथ ही जाएंगे,
“जीवन का एक ही सार होता है “श्रीमद्भागवत गीता”, यही सार यदि जीवन का आधार बन जाए तो जीवन सफल बन जाता है।”
मनुष्य अपने शरीर, दिमाग या दिल से भगवान को पा सकता है।
हे अर्जुन! जो बहुत खाता है या कम खाता है, जो ज्यादा सोता है या कम सोता है, वह कभी भी योगी नहीं बन सकता।
मन अशांत है और उसे नियंत्रित करना कठिन है,लेकिन अभ्यास से इसे वश में किया जा सकता है
“ईश्वर से किए गए प्रार्थना से इंसान की परिस्थिति या तकदीर बदले या ना बदले
~ जन्म लेने वाले के लिए मृत्यु उतनी ही निश्चित है, जितना कि मृत होने वाले के लिए जन्म लेना। इसलिए जो अपरिहार्य है उस पर शोक मत करो।
हे अर्जुन! परमेश्वर प्रत्येक जीव के हृदय में स्थित है।
वह जो मृत्यु के समय मुझे स्मरण करते हुए अपना शरीर त्यागता है, वह मेरे धाम को प्राप्त होता है। इसमें कोई शंशय नहीं है।
मृत्यु के समय जीव द्वारा विकसित की गई चेतना उसे दूसरे शरीर में ले जाती है
सदैव संदेह करने वाले व्यक्ति केलिए प्रसन्नता ना इस लोक में हैना ही कहीं और !!
जो लोग भक्ति में श्रद्धा नहीं रखते,वे मुझे पा नहीं सकते।अतः वे इस दुनिया में जन्म-मृत्यु केरास्ते पर वापस आते रहते हैं।
कोई भी इंसान जन्म से नहीं बल्कि अपने कर्मो से महान बनता है।
मेरे लिए न कोई घृणित है ना प्रिय किन्तु जोव्यक्ति भक्ति के साथ मेरी पूजा करते है ,वो मेरे साथ है और मै भी उनके साथ हूँ ।
जब इंसान अपने काम में आनंद खोज लेते हैं तब वे पूर्णता प्राप्त करते है।
~ मनुष्य को परिणाम की चिंता किए बिना, लोभ- लालच बिना एवं निस्वार्थ और निष्पक्ष होकर अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए।
“जीत हो या हार दोनों का सम्मान करना सीखें, क्योंकि दोनों में ही ईश्वर की इच्छा होती है।”
“हमारी व्यर्थ की चिंता और मन का भय एक ऐसा रोग होता है,
धरती पर जिस प्रकार मौसम में बदलाव आता है,उसी प्रकार जीवन में भी सुख-दुख आता जाता रहता है।
नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः।न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः॥
~ अच्छे कर्म करने के बावजूद भी लोग केवल आपकी बुराइयाँ ही याद रखेंगे, इसलिए लोग क्या कहते हैं इस पर ध्यान मत दो, तुम अपना कर्म करते रहो।
मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है,जैसा वह विश्वास करता है,वैसा वह बन जाता है।
ठीक उसी प्रकार मनुष्य के जीवन में भी सुख और दुख,
मै ऊष्मा देता हूँ ,मै वर्षा करता हूँ और रोकता भी हूँ ,मै अमरत्व भी हूँ और मृत्यु भी ।
जो लोग दिमाग को नियंत्रित नहीं करते वह उनके लिए एक दुश्मन की तरह काम करता है।
भगवान प्रत्येक वस्तु में है और सबके ऊपर भी।
परंतु यह मनुष्य पर निर्भर करता है कि वो उन विचारों को कितना महत्व देता है”
फल की अभिलाषा छोड़कर कर्म करनेवाला पुरुष ही अपने जीवन को सफल बनाता है।
जब तक शरीर है तब तक कमजोरियां तो रहेगी ही इसलिए कमजोरियों की चिंता छोड़ो और जो सही कर्म है उस पर अपना ध्यान लगाओ..!
ईच्छाओ का त्याग करना ही सुखी का सब से बडा कारण है
जितना हो सके खामोश रहना ही अच्छा है , क्योंकि सबसे ज्यादा गुनाह इंसान से उसकी जुबान ही करवाती है।
निर्णय लेते समय ना ज्यादाखुश हो ना ज्यादा दुखी हो ,ये दोनो परिस्थितियाँ आपकोसही निर्णय लेने नही देती ।
तेरे गिरने मे तेरी हार नही तु आदमी है अवतार नही गिर उठ चल फिर भाग क्यो की जीवन संछिप्त है इसका कोइ सार न ही
जो मनुष्य अपने कर्मफल प्रति निश्चिंत है और जो अपने कर्तव्य का पालन करता है, वहीं असली योगी है।
जो दान कर्तव्य समझकर, बिना किसी संकोच के, किसी जरूरतमंद व्यक्ति को दिया जाए, वह सात्विक माना जाता है।
मेरा तेरा, छोटा बड़ा, अपना पराया, मन से मिटा दो, फिर सब तुम्हारा है और तुम सबके हो।
हे अर्जुन ! हम दोनों ने कई जन्म लिए है, मुझे याद है लेकिन तुम्हें नही।
“कर्म ज्ञान से अज्ञात मानव, कोई महामानव नहीं केवल अज्ञानी है।”
जीवन मे कभी गुस्सा या क्रोध ना करेयह आपके जीवन के ध्वंस कर देगा ।
मैं सभी प्राणियों के ह्रदय में विद्यमान हूँ।
भविष्य में उसी का फल उसे प्राप्त होता है”
हे जनार्दन! जिनका कुलधर्म नष्ट हो गया है, ऐसे मनुष्यों का अनिश्चित काल तक नरक में वास होता है, ऐसा हम सुनते आये हैं।
हे अर्जुन! आत्म-ज्ञान की तलवार से अपने ह्रदय से अज्ञान के संदेह को काटकर अलग कर दो। उठो, अनुशाषित रहो। – श्री कृष्ण (श्रीमद्भगवद्गीता)
“मन को जीतने वाला व्यक्ति ही परमात्मा को प्राप्त कर सकते हैं।”
जिसने जन्म लिया है उसकी मृत्यु निश्चित हैऔर मृत्यु के पश्चात् पुनर्जन्म भी निश्चित है।
जो व्यवहार आपको दूसरों से पसंद ना हो, ऐसा व्यवहार आप दूसरों के साथ भी ना करें।
कर्म करो, फल की चिंता मत करो।
अगर कोई प्रेम और भक्ति के साथ मुझे पत्र, फूल, फल या जल प्रदान करता है, तो मैं उसे स्वीकार करता हूँ।
न जायते म्रियते वा कदाचिन्ना, यं भूत्वा भविता वा न भूयः।अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो, न हन्यते हन्यमाने शरीरे॥
फल कि अभिलाशा छोड कर कर्म करने वाला पुरुष अपने जीवन को सफल बनाता है
“स्वर्ग और नर्क कर्म के तराजू पर समान रूप से तुलते हैं, इन्हीं के आधार पर आत्मा की गति होती है।”
हे अर्जुन ! में भूतकाल, वर्तमान और भविष्यकाल के सभी जीवों को जानता हूं, लेकिन वास्तविकता में कोई मुझे नही जानता है।
जिस प्रकार अग्नि सोने को परखता है उसी प्रकार संकट वीर पुरुष को
सदैव संदेह करने वाले व्यक्ति के लिए प्रसन्नता ना इस लोक में है ना ही कहीं और।
इंसान के मन का संतोष ही उसका सबसे बड़ा सुख का साथी होता है”
बुद्धिमान व्यक्ति कभी भी कामुक सुख में आनंद लेते हैं। वह सदैव मोक्ष की प्राप्ति में लगे रहते हैं।
जीवन में जब भी हम पर संकट आए तो चिंता स्वयं श्रीकृष्ण करें”
~ यह सृष्टि कर्म क्षेत्र है, बिना कर्म किये यहाँ कुछ भी हासिल नहीं हो सकता।
हे पार्थ! जिस भाव से सारे लोग मेरीशरण ग्रहण करते है,उसी के अनुरूप मैं उन्हें फल देता हूँ।
अपना, पराया, छोटा, बड़ा, इत्यादि को भूलकर यह जानो कि यह सब तुम्हारा है और तुम प्रति एक के हो।
मन की शांति से बढ़कर इस संसार में कोई भी संपत्ति नहीं है।
गीता में कहा गया हैजो इंसान किसी की कमी कोपूरी करता है वोसही अर्थों में महान होता है..!
जो व्यक्ति मन को नियंत्रित नहीं करते, उनके लिए मन शत्रु के समान कार्य करता हैं।
जीवन का आनंद ना तो भूतकाल में है और ना भविष्यकाल में। बल्कि जीवन तो बस वर्तमान को जीने में है।
जो व्यवहार आपको दूसरों से अपने लिए पसंद ना हो, ऐसा व्यवहार दूसरों के साथ भी ना करें।
तुम्हारे साथ जो हुआ वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है वो भी अच्छा है और जो होगा वो भी अच्छा होगा।
जो होने वाला हैं वो होकर ही रहता है, और जो नहीं होने वाला वह कभी नहीं होता, जो ऐसा मानते हैं, उन्हें चिंता कभी नहीं सताती हैं।
कोई भी इंसान अपने जन्म से नहीं, बल्कि अपने कर्मो से महान बनता है।
जो लोग बुद्धि को छोड़कर भावनाओं में बह जाते हैं, उन्हें हर कोई मुर्ख बना सकता हैं।