Geeta Quotes In Hindi : ~ कर्म के बिना फल की अभिलाषा करना, व्यक्ति की सबसे बड़ी मूर्खता है। ~ यह सृष्टि कर्म क्षेत्र है, बिना कर्म किये यहाँ कुछ भी हासिल नहीं हो सकता।
अपने परम भक्तों, जो हमेशा मेरा स्मरण या एक-चित्त मन से मेरा पूजन करते हैं, मैं व्यक्तिगत रूप से उनके कल्याण का उत्तरदायित्व लेता हूँ।
इसलिए हमें हमेशा बड़ा सोचना चाहिए और जीत को हासिल करने के लिए खुद को प्रेरित करना चाहिए”
~ इतिहास कहता है कि कल सुख था, विज्ञान कहता है कि कल सुख होगा, लेकिन धर्म कहता है कि, अगर मन सच्चा और दिल अच्छा हो तो हर रोज सुख होगा।
संयम , सदाचार , स्नेह एंव सेवा येगुण सत्संग के बिना नही आते…
मन असांत होता है इसे नियंत्रित करना कठिन है लेकिन अभ्यास से इसे वस मे किया जा सकता है
खुद को जीवन के योग्य बनाना हीसफलता और सुख का एक मात्र मार्ग है।
उससे मत डरो जो वास्तविक नहीं है, ना कभी था ना कभी होगा। जो वास्तविक है, वो हमेशा था और उसे कभी नष्ट नहीं किया जा सकता।
~ समय से पहले और भाग्य से अधिक कभी किसी को कुछ नही मिलता है।
~ जो कोई भी व्यक्ति जिस किसी भी देवता की पूजा विश्वास के साथ करने की इच्छा रखता है, मैं उस व्यक्ति का विश्वास उसी देवता में दृढ़ कर देता हूं।
इस सम्पूर्ण संसार में अपकीर्ति मृत्यु से भी अधिक खराब होती है।
असंशयं महाबाहो मनो दुर्निग्रहं चलम् ।अभ्यासेन तु कौन्तेय वैराग्येण च गृह्यते ॥
जो व्यक्ति मृत्यु के दौरान मेरा नाम लेता है। वह सदैव मेरे ही धाम को प्राप्त होता है। इसमें कोई शक नही है।
जो होने वाला है वो होकर ही रहता है, और जो नहीं होने वाला वह कभी नहीं होता,ऐसा निश्चय जिनकी बुद्धि में होता है, उन्हें चिंता कभी नही सताती है।
अच्छे कर्म करने के बावजूद भी लोग केवलआपकी बुराइयाँ ही याद रखेंगे, इसलिएलोग क्या कहते है इस पर ध्यान मत दो,तुम अपना काम करते रहो।
जो दान कर्तव्य समझकर, बिना किसी संकोच के,किसी जरूरतमंद व्यक्ति को दिया जाए,वह सात्विक माना जाता है।
~ जिस तरह प्रकाश की ज्योति अँधेरे में चमकती है, ठीक उसी प्रकार सत्य भी चमकता है। इसलिए हमेशा सत्य की राह पर चलना चाहिए।
किसी भी व्यक्ति को अच्छे से जाने बिना , दूसरों की बातें सुनकर उसके प्रति कोई धारणा बना लेना मूर्खता है ।
मनुष्य जो चाहे बन सकता है, अगर वह विश्वास के साथ इच्छित वस्तु पर लगातार चिंतन करें तो।
हालांकि मैं भूत, भविष्य और वर्तमान काल के तीनों जीवों को जानता हूं लेकिन मुझे वास्तव में कोई नही जानता है।
वासना, क्रोध और लालच ये नर्क के तीन द्वार हैं
“ईश्वर की शक्ति मनुष्य के होश, भावनाएं और मन की गतिविधियों के माध्यम से सदा उसके साथ रहती हैं”
सच्चा चाहने वाला आपसे प्रत्येक तरह की बात करेगा. आपसे हर मसले पर बात करेगा. लेकिन धोखा देने वाला सिर्फ प्यार भरी बात करेगा।
गुरु दीक्षा बिना प्राणी केसब कर्म निष्फल होते है।
जन्म लेने वाले के लिए मृत्यु उतनी ही निश्चित है जितना कि मृत होने वाले के लिए जन्म लेना। इसलिए जो अपरिहार्य है उस पर शोक मत करो।
मेरा तेरा, छोटा बड़ा, अपना पराया, मन से मिटा दो, फिर सब तुम्हारा है और तुम सबके हो।
जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं है इसलिए स्वयं को अधिक तनावग्रस्त न करें, क्योंकि परिस्थितियां चाहे कितनी भी खराब न हों, बदलेंगी जरूर।
दूसरों के द्वारा किए गए बुरे काम को नहीं”
केवल व्यक्ति का मन हीकिसी का मित्र और शत्रु होता है।
मेरा-तेरा, छोटा-बड़ा, अपना-पराया, अपने मन से हटा दो। फिर सब तुम्हारा है और तुम सबके हो।
परिवर्तन ही संसार का नियम है, एक पल में हम करोड़ों के मालिक हो जाते है और दुसरे पल ही हमें लगता लगता है की हमारे आप कुछ भी नही है।
जब इंसान अपने काम में आनंद खोज लेते हैं तब वे पूर्णता प्राप्त करते है।
“मैं अपने कर्मों से बंधा हुआ नहीं हूं क्योंकि मुझे मेरे द्वारा
जो कर्म को फल के लिए करता है,वास्तव में ना उसे फल मिलता है,ना ही वो कर्म है।
प्रबुद्ध व्यक्ति के लिए, गंदगी का ढेर, पत्थर, और सोना सभी समान हैं।
हे अर्जुन , स्वर्ग प्राप्त करने और वहां कई वर्षों तक वास करने के पश्चात एक असफल योगी का पुन : एक पवित्र और समृद्ध कुटुंब में जन्म होता है।
क्योंकि कई बार हमारे खुद के दांत ही हमारे जीप को काट लेते हैं”
जो मुझे सब जगह देखता है और सब कुछ मुझमें देकता है उसके लिए न तो मैं कभी अदृश्य होता हूँ और न वह मेरे लिए अदृश्य होता है।
किसी का अच्छा ना कर सको तो बुरा भी मत करना क्योंकि दुनिया कमजोर है लेकिन दुनिया बनाने वाला नहीं..!
सही कर्म वह नहीं है जिसकेपरिणाम हमेशा सही होअपितु सही कर्म वह है जिसकाउद्देश्य कभी गलत ना हो।
सदैव संदेह करने वाले व्यक्ति को प्रसन्नता ना इस लोक में मिलती है ना ही कहीं और।
पर उस प्रार्थना से इंसान के चरित्र में जरूर बदलाव आता है”
मनुष्य अपने विश्वास से बना है। जैसा वह मानता है वैसा ही वह बन जाता है
जो अच्छा लगे उसे ग्रहण करो और जो बुरा लगे उसका त्याग फिर चाहे वह विचार हो कर्म हो , या मनुष्य।
वह जो सभी इच्छाऐ त्याग देता है ,उसे शान्ति प्राप्त होती है ।
मैं जल का स्वाद हूँ, सूर्य तथा चन्द्रमा का प्रकाश हूँ, वैदिक मन्त्रों में ओंकार हूँ, आकाश में ध्वनि हूँ तथा मनुष्य में सामर्थ्य हूँ |
“हर मनुष्य को अपने इश्वर पर अटूट आस्था होनी चाहिए,
जो है उस पर अहंकार क्यों करना,
अगर आपको कोई अच्छा लगता है तो अच्छा वो नहीं, बल्कि अच्छे आप हो क्योंकि उसमें अच्छाई देखने वाली नजर आपके पास है.
जब जब इस धरती पर पाप, अहंकार और अधर्म बढ़ेगा, तो उसका विनाश कर पुन: धर्म की स्थापना करने हेतु, में अवश्य अवतार लेता रहूंगा।
मन की गतिविधियों, होश, श्वास, और भावनाओं के माध्यम से भगवान की शक्ति सदा तुम्हारे साथ है।
पूर्णता के साथ किसी और के जीवन की नकल करके जीने की तुलना में, अपने आप को पहचान कर, अपूर्ण रूप से जीना बेहतर है।
समस्या इतनी ताकतवर नहीं होती जितना की हम उन्हे मान लेते है, कभी सुना है कि अंधेरे ने सुबह को होने ही नहीं दीया।
“जीवन में कभी हताश ना होना सफलता का मूल मंत्र होता है,
जो बीत गया उस पर दुख क्यों करना, जो है उस पर अहंकार क्यों करना, और जो आने वाला है उसका मोह क्यों करना।
“ अपने अनिवार्य काम करो ,क्योकि वास्तव मे कार्म करनानिष्क्रया से बेहतर है । ”
डर धारण करने से भविष्य केदुख का निवारण नहीं होता है।डर केवल आने वाले दुख की कल्पना ही है।
सूकून संसार की सब से महगी चीज़ है जो आप को प्र्भु कि भक्ती से ही मिलेगी
“राजसी, तामसी और सात्विक के आधार पर ही मानव के गुण, प्रकृति और व्यवहार का निर्धारण होता है।”
जो मन को नियंत्रित नहीं करते उनके लिए वह शत्रु के समान कार्य करता है।
जन्म लेने वाले के लिए मृत्यु उतनी ही निश्चित है,जितना कि मरने वाले के लिए जन्म लेना।इसलिए जो अपरिहार्य है,उस पर शोक नही करना चाहिए।
और मैं ही सभी जीवित प्राणियों का जीवन और सन्यासियों का आत्म संयम हूं”
“प्रकृति का नियम है कि जो भी व्यक्ति दूसरों की भलाई के लिए अच्छे कर्म करता है
जब जब इस धरती पर पाप,अहंकार और अधर्म बढ़ेगा,तो उसका विनाश कर पुन:धर्म की स्थापना करने हेतु,में अवश्य अवतार लेता रहूंगा।
~ एक ज्ञानवान व्यक्ति कभी भी कामुक सुख में आनंद नहीं लेता।
जब जब इस धरती पर पाप, अहंकार और अधर्म बढ़ेगा, तो उसका विनाश कर पुन: धर्म की स्थापना करने हेतु, में अवश्य अवतार लेता रहूंगा।
जैसा उसका आत्मविश्वास होगा वैसा ही उसका व्यक्तित्व होगा”
हे अर्जुन! तुम्हारे तथा मेरे अनेक जन्म हो चुके है।मुझे तो वो सब जन्म याद है लेकिन तुम्हे नहीं।
जिसने जन्म लिया है उसकी मृत्यु निश्चित है और मृत्यु के पश्चात् पुनर्जन्म भी निश्चित है।
भावार्थ- आत्मा को शस्त्र काट नहीं सकते और न अग्नि इसे जला सकती है जल इसे गीला नहीं कर सकता और वायु इसे सुखा नहीं सकती।
मनुष्य को जीवन की चुनौतियों से भागना नहीं चाहिए और न ही भाग्य और ईश्वर की इच्छा जैसे बहानों का प्रयोग करना चाहिए।
~ मेरा तेरा, छोटा बड़ा, अपना पराया, मन से मिटा दो, फिर सब तुम्हारा है और तुम सबके हो।
जो मन को नियंत्रित नही करते उनके लिएवह शत्रु के समान कार्य करता है ।