Chanakya Quotes In Hindi: सफलता की डगर में धूप का भी योगदान होता है क्योंकि छांव मिलते ही पैर डगमगाने लगते हैं और विश्राम की ओर ध्यान भटकता है। झुकना केवल इतना ही चाहिए जितना कि जरूरी हो अन्यथा यह व्यक्ति के अहम् को बढ़ा देगा।
स्त्री के बंधन से छूटना अथवा मोक्ष पाना अत्यंत कठिन है।~Acharya Chanakya~
जितेन्द्रिय व्यक्ति को विषय-वासनाओं का भय नहीं सताता।~Acharya Chanakya~
जो बुरे वक्त में आपकोआपकी कमिया गिनाने लग जाएउससे ज्यादा मतलबीइंसान कोई हो ही नहीं सकता।– आचार्य चाणक्य
कार्य करते समय जो कार्य बिगड़ जायेउनको स्वंय देखकर सुधारने का प्रयत्न करना चाहिए।
मुर्ख व्यक्ति दान देने में दुःख का अनुभव करता है।~Acharya Chanakya~
कभी भी अपनी ताकत और दौलत पर भरोसा ना करे, क्योंकि बीमारी और गरीबी आने में देर नहीं लगती।
अपने व्यवहार में बहुत ईमानदार न हों क्योंकि जंगल में जाकर आप देखेंगे कि सीधे पेड़ कट जाते हैं और टेढ़े खड़े रह जाते हैं।
“फूलों की खुशबू हवा की दिशा में ही फैलती है,लेकिन एक व्यक्ति की अच्छाई चारोंतरफ फैलती है।” ~ आचार्य चाणक्य
कायर व्यक्ति को कार्य की चिंता नहीं होती।~आचार्य चाणक्य~
तपस्वियों को सदैव पूजा करने योग्य मानना चाहिए।~आचार्य चाणक्य~
दण्डनीति के उचित प्रयोग से ही प्रजा की रक्षा संभव है।~आचार्य चाणक्य~
मूर्ख को सलाह देना, दुराचारी स्त्री की देखभाल करना और सुस्त और दुखी व्यक्ति की संगति करना अविवेक है।
जैसे एक बछड़ा हज़ारो गायों के झुंड मे अपनी माँ के पीछे चलता है। उसी प्रकार आदमी के अच्छे और बुरे कर्म उसके पीछे चलते हैं।
मूर्ख लोग कार्यों के मध्य कठिनाई उत्पन्न होने पर, दोष ही निकाला करते हैं।
प्रेम पीपल का बीज है, जहाँ संभावना नहीं, वहाँ भी पनप जाता है।
नीच की विधाएँ पाप कर्मों का ही आयोजन करती है।~Acharya Chanakya~
समय को समझने वाला ही कार्य सिद्ध करता है।
जो हमारे दिल में रहता है,वो दूर होके भी पास है।लेकिन जो हमारे दिल में नहीं रहता,वो पास होके भी दूर है।
बेहतरीन इंसान अपनी मीठी बातों से ही जाना जाता है, वरना अच्छी बातें तो दीवारों पे भी लिखी होती हैं।
~ वृद्धजन की सेवा ही विनय का आधार है। वृद्ध सेवा अर्थात ज्ञानियों की सेवा से ही ज्ञान प्राप्त होता है।
दान जैसा कोई वशीकरण मन्त्र नहीं है।~Acharya Chanakya~
नदियों, शस्त्र धारण करने वाले पुरुषों, पंजों या सींग वाले जानवरों, स्त्रियों और राजपरिवार के सदस्यों पर भरोसा न करें।
शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है. एक शिक्षित व्यक्ति हर जगह सम्मान पाता है. शिक्षा सौंदर्य और यौवन को परास्त कर देती है.
हर पल अपने प्रभुत्व को बनाए रखना ही कर्त्यव है।~Acharya Chanakya~
प्रेम और आस्था दोनों पर हीकिसी का जोर नहीं है,ये मन जहाँ लग जाए वहीं परभगवान नज़र आता है।
स्वयं अशुद्ध व्यक्ति दूसरे से भी अशुद्धता की शंका करता है।~आचार्य चाणक्य~
इन्द्रियों पर विजय का आधार विनर्मता है। प्रकृति का कोप सभी कोपों से बड़ा होता है।
सेवक को स्वामी के अनुकूल कार्य करने चाहिए।~आचार्य चाणक्य~
पराए खेत में बीज न डाले। अर्थात पराई स्त्री से सम्भोग (सेक्स) न करें।~आचार्य चाणक्य~
कार्य-सिद्धि के लिए हस्त-कौशल का उपयोग करना चाहिए।~Acharya Chanakya~
~ राजनीति का संबंध केवल अपने राज्य को समृद्धि प्रदान करने वाले मामलों से होता है।
दण्ड का डर नहीं होने सेलोग गलत कार्य करने लग जाते है.
नीच लोगों पर विश्वास नहीं करना चाहिए।~Acharya Chanakya~
हर मित्रता के पीछे कोई ना कोई स्वार्थ होता है,ऐसी कोई मित्रता नहीं जिसमे स्वार्थ ना हो,यह कड़वा सच है।– आचार्य चाणक्य
दुष्टों से दुष्टता करने में कोई पाप नहीं है।
हर मित्रता के पीछे कोई न कोई स्वार्थ होता है। बिना स्वार्थ के दोस्ती नहीं होती। यह एक कड़वा सच है।
समर्पित स्त्री पति के लिए सुबह के समय माता, दोपहर में बहन और रात्रि में वेश्या के समान व्यवहार करती है।
प्रत्येक अवस्था में सर्वप्रथम माता का भरण-पोषण करना चाहिए।~आचार्य चाणक्य~
दुनिया की कोई चीज़ इतनी जल्दी नहीं बदलती। जितनी जल्दी इंसान की नीयत और नज़रें बदल जाती है।
वह जो नाशवान के लिए जो अविनाशी है उसे त्याग देता है, जो अविनाशी है उसे खो देता है; और निस्संदेह उसे खो देता है जो नाशवान भी है।
कार्य की सिद्धि के लिए उदारता नहीं बरतनी चाहिए।~आचार्य चाणक्य~
जीवन में अगर कोई सबसे सही रास्ता दिख़ाने वाला मित्र है,तो वो है आपका अनुभव
“पहले निश्चय करिए,फिर कार्य आरम्भ करें।”~ आचार्य चाणक्य
कन्यादान एक बार होता है, राजाज्ञा एक बार होती है, विद्वान एक ही बार बोलता है। ये कुछ बातें केवल एक बार होती हैं। इनकी पुनरावृत्ति संभव नहीं।
“साथ रहकर जो छल करे उससे बड़ा कोईशत्रु नहीं हो सकता और जो हमारे मुँहपर हमारी बुराइयाँ बता दे उससे बड़ाकोई मित्र नहीं हो सकता।” – चाणक्य
नीतिवान पुरुष कार्य प्रारम्भ करने से पूर्व ही देश-काल की परीक्षा कर लेते हैं।
~ राज्यतंत्र को ही नीतिशास्त्र कहते हैं। राजतंत्र से संबंधित घरेलू और बाह्य, दोनों कर्तव्यों को राजतंत्र का अंग कहा जाता है।
जब तक पुण्य फलों का अंश शेष रहता है, तभी तक स्वर्ग का सुख भोग जा सकता है।~Acharya Chanakya~
फूलों की सुगंध केवल वायु की दिशा में फैलती है।लेकिन एक व्यक्ति की अच्छाईहर दिशा में फैलती है। – चाणक्य
~ जैसे एक बछड़ा हजारों गायों के झुंड में अपनी माँ के पीछे चलता है। उसी प्रकार आदमी के अच्छे और बुरे कर्म उसके पीछे चलते हैं।
एक अशिक्षित व्यक्ति का जीवन कुत्ते की पूंछ के तरह ही बेकार है जो न तो उसके पिछवाड़े को रक्षित करता है, न ही कीड़ों के काटने से बचाता है।
सबसे बड़ा गुरु मंत्र, अपने राज किसी को भी मत बताओ। ये तुम्हे खत्म कर देगा।
गाय के पीछे चलते बछड़े के समान सुख-दुःख भी आदमी के साथ जीवन भर चलते है।~आचार्य चाणक्य~
सभी प्रकार के भय से बदनामी का भय सबसे बड़ा होता है।
विनाश का उपस्थित होना सहज प्रकर्ति से ही जाना जा सकता है।~Acharya Chanakya~
~ कार्य के मध्य में अति विलम्ब और आलस्य उचित नहीं है।
दुष्ट स्त्री बुद्धिमान व्यक्ति के शरीर को भी निर्बल बना देती है।
मैदान में हारा हुआ फिर से जीत सकता है, परंतु मन से हारा हुआ कभी जीत नहीं सकता, आपका आत्म विश्वास ही सर्वश्रेष्ठ पूंजी है।
दुष्टों के पुरे शरीर में जहर होता है।
~ शत्रु की दुर्बलता जानने तक उसे अपना मित्र बनाए रखें।
मुँह पर कड़वा बोलने वाले लोग, कभी धोखा नहीं देते, डरना तो मीठा बोलने वालों से चाहिए।
चाणक्य नीति कहती है कि इंसान को हमेशा गलत कार्यों से दूर रहना चाहिए। और इसके लिए व्यक्ति को धर्म,अनुशासन और नियमों का पालन करना पड़ता है।
अपमानित हो के जीने से अच्छा मरना है.मृत्यु तो बस एक क्षण का दुःख देती है,लेकिन अपमान हर दिन जीवन में दुःख लाता है
धूर्त व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिए दूसरों की सेवा करते हैं।
सांप को दूध पिलाने से विष ही बढ़ता है, न की अमृत।
बहुत दिनों से परिचित व्यक्ति की अत्यधिक सेवा शंका उत्पन्न करती है।~आचार्य चाणक्य~
स्वजनों की सीमा का अतिक्रमण न करें।~Acharya Chanakya~
इतिहास गवाह है महान वही बन पाया है जिसमें अपनी कठिनाइयों को आगे बढ़ने का अवसर बना दिया हो जिसने अपनी कमियों को निर्बलता नहीं अपनी ताकत बना दिया हो।
नक्षत्रों द्वारा भी किसी कार्य के होने, न होने का पता चल जाता है।~आचार्य चाणक्य~
वो जो अपने परिवार से अति लगाव रखता हैभय और दुख में जीता है।सभी दुखों का मुख्य कारण लगाव ही है,इसलिए खुश रहने के लिए लगाव का त्याग आवशयक है।
“भले ही साप जहरीला क्यू ना हो, तो उसे खुद को जहरीला दिखाना चाहिये।
मनुष्य की परेशानियों की केवल दो ही वजह है। वह भाग्य से ज्यादा चाहता है और समय से पहले चाहता है।