1050+ Bhagavad Gita Quotes In Hindi | Famous Bhagvat Geeta Quotes In Hindi

Bhagavad Gita Quotes In Hindi , Famous Bhagvat Geeta Quotes In Hindi
Author: Quotes And Status Post Published at: October 12, 2023 Post Updated at: April 3, 2024

Bhagavad Gita Quotes In Hindi : जो विद्वान् होते है, वो न तो जीवन के लिए और न ही मृत के लिए शोक करते है। हे अर्जुन! जो जीवन के मूल्य को जानता हो। इससे उच्चलोक की नहीं अपितु अपयश प्राप्ति होती है।

“ ज़रूरी नहीं हर बार आपकेशब्दों को सही समझा जाए,इसलिए कभी कभी चुपरहना ही ज़्यादा बेहतर होता है….!!

ईश्वर, ब्राह्मणों, गुरु, माता-पिता जैसे गुरुजनोंकी पूजा करना तथा पवित्रता, सरलता,ब्रह्मचर्य और अहिंसा ही शारीरिक तपस्या है।

इस जीवन मे ना कुछ खोता है ,ना व्यर्थ होता है ।

जब तक शरीर है तब तक कमजोरियां तो रहेगी ही इसलिए कमजोरियों की चिंता छोड़ो और जो सही कर्म है उस पर अपना ध्यान लगाओ..!

हर मनुष्य के अंदर काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार और ईर्ष्या जैसी भावनाएं हमें अपने और दूसरों के प्रति नुक्सान पहुंचा सकती हैं।

“ उदय किसी का भी अचानक नहीं होता,सूर्य भी धीरे धीरे निकलता हैऔर ऊपर उठता है ।धैर्य और तपस्या जिसमें है,वही संसार को प्रकाशित कर सकता है…!!

जो मुझे सर्वत्र देखता है और सब कुछ मुझमेंदेखता है,उसके लिए न तो मैं कभी अदृश्य होता हूँ और न वह मेरे लिए अदृश्य होता है।

“ उदय किसी का भी अचानक नहीं होता,सूर्य भी धीरे -धीरे निकलता हैंऔर उजाला करता हैं,धैर्य और तपस्या जिसमे हैंवही संसार को प्रकाशित कर सकता हैं…!!

“ मानव कल्याण ही भगवत गीता का प्रमुख उद्देश्य है,इसलिए मनुष्य को अपने कर्तव्यों का पालन करतेसमय मानव कल्याण को प्राथमिकता देना चाहिए…!!!

मानव कल्याण ही भगवत गीता का प्रमुख उद्देश्य है,इसलिए मनुष्य को अपने कर्तव्यों का पालन करतेसमय मानव कल्याण को प्राथमिकता देना चाहिए।

चिंता मत करो क्योंकि जिसने तुम्हें इस संसार में भेजा है उसे तुम्हारी ज्यादा चिंता है।

जो लोग दिमाग को नियंत्रित नहीं करते वह उनके लिए एक दुश्मन की तरह काम करता है।

उस दिन हमारी सारी परेशानियाँ ख़त्म हो जायेगी , जिस दिन हमें यकीन हो जाएगा की हमारा सारा काम ईश्वर की मजी से होता है।

जो कर्म को फल के लिए करता है,वास्तव में ना उसे फल मिलता है,ना ही वो कर्म है।

दैवीय सम्प्रदा से युक्त पुरूष मे भय का सर्वथाआभाव और सबके प्रति का भाव होता है ।

मन को प्रभु के साथ जोड़ दो जहाँ प्रभु जाएं,वहाँ मन जाए और जहाँ मन जाए वहाँ प्रभु साथ रहें ।

~ मैं धरती की मधुर सुगंध हूँ, मैं अग्नि की ऊष्मा हूँ, सभी जीवित प्राणियों का जीवन और सन्यासियों का आत्मसंयम भी मैं ही हूँ।

जो मुझे सब जगह देखता हैऔर सब कुछ मुझमें देकता हैउसके लिए न तो मैं कभी अदृश्य होता हूँऔर न वह मेरे लिए अदृश्य होता है।

जो मनुष्य प्रतिदिन खाने, सोने और आमोद प्रमोद के कार्यों में लिप्त रहता है। वह नियमित तौर पर योगाभ्यास करके समस्त क्लेशों से छुटकारा पा सकता है।

नरक के तीन द्वार होते है, वासना, क्रोध और लालच।

“ इस तरह से अपने लक्ष्यको साधो की तुम्हे इस दुनियामें और कोई दूसरी चीज़ दिखे ही न…!!!

सदैव संदेह करने वाले व्यक्ति के लिए प्रसन्नता न इस लोक में है और न ही परलोक में।

“ जब भविष्य धुंधला पड़ने लग जाता है,तब आपको अपने वर्तमान मेंध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है..!!!

जब जब इस धरती पर पाप, अहंकार और अधर्म बढ़ेगा, तो उसका विनाश कर पुन: धर्म की स्थापना करने हेतु, में अवश्य अवतार लेता रहूंगा।

“ मैं भूत, वर्तमान और भविष्य के सभी प्राणियों को जानता हूँ, किन्तु वास्तविकता में मुझे कोई नहीं जानता….!!

निंदा से घबरांकर अपने लक्ष्य को कभी न छोड़े,क्योंकि लक्ष्य मिलते ही निंदा करने वालों की राय बदल जाती है।

“ निंदा से घबराकर अपनेलक्ष्य को कभी न छोड़े,क्योंकि लक्ष्य मिलते ही निंदाकरने वालों की राय बदल जाती है…!!

हे अर्जुन! हम दोनों ने कई जन्म लिए हैं। मुझे याद हैं, लेकिन तुम्हे नहीं।

“ सही कर्म वह नहीं हैजिसके परिणाम हमेशा सही हो,अपितु सही कर्म वह हैजिसका उद्देश्य कभी गलत ना हो…!!

जब इंसान अपने काम में आनंद खोज,लेते हैं तब वे पूर्णता प्राप्त करते है।

शक्ति जीवन है, निर्बलता मृत्यु हैं। विस्तार जीवन है, संकुचन मृत्यु हैं। प्रेम जीवन है, द्वेष मृत्यु हैं।

फल की अभिलाषा छोड़कर कर्म करनेवाला पुरुष ही अपने जीवन को सफल बनाता है।

“ गीता के अनुसारजिंदगी में हम कितने सही हैंऔर कितने गलत हैंयह केवल दो लोग जानते हैंएक परमात्मा और दूसरी हमारी अंतरात्मा…!!

“ गीता में कहा गया हैंकि जब सत्य की असत्य से लड़ाई होगीतो सत्य अकेला खड़ा होगा,और असत्य की फौज लम्बी होगीक्योकि असत्य के पीछेमूर्खो का झुण्ड भी होगा…!!

इंसान के परिचय की सुरूवात भले ही उसके चेहरे से होती होगी लेकिन उसकी सम्पुर्ण पहचान तो उसके वाणी से हि होती है

जो हुआ वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है वह अच्छा हो रहा है, जो होगा वो भी अच्छा ही होगा। – श्री कृष्ण (श्रीमद्‍भगवद्‍गीता)

ज्यादा खुश होने पर और ज्यादा दुखी होने पर निर्णय नहीं लेना चाहिए। क्योंकि यह दोनों परिस्थितियां आपको सही निर्यय नहीं लेने देती हैं।

धरती पर जिस तरह मौसम में बदलाव आता हैं, उसी तरह जीवन में भी सुख- दुःख आता जाता रहता हैं।

सही कर्म वह नहीं है जिसके परिणाम हमेशा सही हो बल्कि सही कर्म वह है जिसका उद्देश्य कभी भी गलत ना हो।

कोई भी अपने कर्म से भाग नहीं सकता, कर्म का फल तो भुगतना ही पड़ता हैं। इसलिए अच्छे कर्म करो ताकि अच्छे फल मिले।

जो होने वाला हैं वो होकर ही रहता है, और जो नहीं होने वाला वह कभी नहीं होता, जो ऐसा मानते हैं, उन्हें चिंता कभी नहीं सताती हैं।

मानव कल्याण ही भगवद गीता का प्रमुख उद्देश्य है, इसलिए मनुष्य को अपने कर्तव्यों का पालन करते समय, मानव कल्याण को प्राथमिकता देनी चाहिए।

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