Bhagavad Gita Quotes In Hindi : जो विद्वान् होते है, वो न तो जीवन के लिए और न ही मृत के लिए शोक करते है। हे अर्जुन! जो जीवन के मूल्य को जानता हो। इससे उच्चलोक की नहीं अपितु अपयश प्राप्ति होती है।
हे अर्जुन! मन अशांत है और उसे नियंत्रित करना कठिन है, लेकिन अभ्यास से इसे वश में किया जा सकता है। – श्री कृष्ण (श्रीमद्भगवद्गीता)
मै धरती की मुधुर सुगंध हूँ , मै अग्रि की ऊष्मा हूँ ,सभी जीवित प्राणियो का जीवनऔर सन्यासियो का आत्मसंयम भी मै ही हूँ ।
अपने जीवन की चुनौतियों से भागना नहीं चाहिए। न हीं भाग्य को दोष देना चाहिए।
मनुष्य की मानवता उसी समय नस्ट हो जाती है,जब उसे दूसरों के दुख में हसीं आने लगती।
एक अनुशासित व्यक्ति अपना तथा समाज व देश काविकास कर सकता है।
“ सत्य कभी दावा नहीं करता कि मैं सत्य हूं लेकिन झूठ हमेशा दावा करता हैं कि सिर्फ मैं ही सत्य हूं…!!
“ मानव कल्याण ही भगवत गीता का प्रमुख उद्देश्य है,इसलिए मनुष्य को अपने कर्तव्यों का पालन करतेसमय मानव कल्याण को प्राथमिकता देना चाहिए…!!!
“ हमेशा याद रखना,बेहतरीन दिनों के लिए बुरेदिनों से लड़ना पड़ता है…!!
आनन्द अपने अंदर ही निवास करता हैपरन्तु मनुष्य उसे स्त्री मे ,घर मे ,या बाहर के सुखो मे खोज रहा है ।
अधिकारी शिष्य को सद्गुरु (अच्छा गुरु) अवश्य मिलता है।
“ विपत्ति में धैर्य , वैभव में दयाऔर संकट में सहनशीलता हीश्रेष्ठ व्यक्तियों के लक्षण है…!!!
“ आप ही अपना मित्रऔर आप भी अपना शत्रु हैक्युकी स्वयं का पतनऔर उद्धार दोनोंआप निर्धारित करते हैं….!!!
कर्मो से डरिये ईश्वर से नही …ईश्वर माफ कर देता है कर्म नही ।
“ जो व्यक्ति स्पष्ट और सीधी बात करता है ,उसकी वाणी कठोर जरूर होती है ,लेकिन वह कभीकिसी के साथ छल नहीं करता…!!!
वह जो इस ज्ञान मे विश्वास नही रखते ,मुझे प्राप्त किये बिना जन्म और मृत्युके चक्र का अनुगमन करते है ।
निस्वार्थ सेवा के माध्यम से, आप हमेशा फलदायी रहेंगे और अपनी इच्छाओं की पूर्ति पाएंगे।
जो पैदा हुआ है उसकी मृत्यु भी निश्चित है, जैसे जो मृत है उनके लिए जन्म। इसलिए जिसे बदल नहीं सकते उसके लिए शोक मत करो।
मैं सभी प्राणियों के ह्रदय में विद्यमान हूँ।
इस जीवन में कुछ भी खोया या व्यर्थ नहीं है।
हे अर्जुन ! मन अशांत है और इसेनियंत्रित करना कठिन है,लेकिन अभ्यास से इसे वश में किया जा सकता है।
मुश्किलें केवल बेहतरीन लोगों के हिस्से में आती है,क्योंकि वही लोग उसे बेहतरीन तरीके से अंजाम देने की ताकत रखते हैं।
हे अर्जुन! जो बहुत खाता है या कम खाता है, जो ज्यादा सोता है या कम सोता है, वह कभी भी योगी नहीं बन सकता।
यदि पति-पत्नी को पवित्र जीवन बिताएं तो भगवान पुत्र के रूप में उनके घर आने की इच्छा रखते हैं।
“ हे परन्तप !जो लोग भक्ति में श्रद्धा नहीं रखते,वे मुझे प्राप्त नहीं कर पाते।अतः वे इस भौतिक जगत् में जन्म –मृत्यु के मार्ग पर वापस आते रहते हैं…!!!
“ जो चीज़े हमारे दायरे से बाहर होउसमें समय गंवाना मूर्खता ही होगी….!!!
रोना बंद करो और अपनी तकलीफों से खुद लडना सीखो, क्योंकि साथ देने वाले भी श्मशान से आगे नहीं जाते।
“ नकारात्मक विचारों का आना तय है,परंतु यह आप पर निर्भर करता है,कि आप उन्हें कितना महत्व देते हैं…!!
जो सरलता से मिलता रहे उसका महत्व नही रह जाता,अक्सर खो देने के बाद समय, व्यक्ति और संबंध के मूल्य का आभास होता है।
हमारी इच्छाएं ही मूल कारण हैं, हमारा पृथ्वी पर वापिस आने का
हे अर्जुन! सदैव संदेह करने वाले व्यक्ति के लिए प्रसन्नता ना इस लोक में है ना ही कहीं और। – श्री कृष्ण (श्रीमद्भगवद्गीता)
जैसे समुद्र के पार जाने के लिये नाव ही एक मात्र साधन है ,वैसे हि स्वर्ग मे जाने के लिये सत्य ही एक मात्र सिढी है कुछ और नही
अगर साफ़ नीयत से मांगा जाए तो ईश्वर नसीब से बढ़कर देता है ।
बुद्धिमान व्यक्ति को समाज कल्याण के लिए,बिना आशक्ति के काम करने चाहिए..!!
शस्त्र इस आत्मा को काट नही सकते,अग्नि इसको जला नही सकती,जल इसको गीला नही कर सकता,और वायु इसे सुखा नही सकती..!!
हे अर्जुन! व्यक्ति जो चाहे बन सकता है यदि वह विश्वास के साथ इच्छित वस्तु पर लगातार चिंतन करे। – श्री कृष्ण (श्रीमद्भगवद्गीता)
परिवर्तन ही संसार का नियम है, एक पल में हम करोड़ों के मालिक हो जाते है और दुसरे पल ही हमें लगता लगता है की हमारे आप कुछ भी नही है।
हे अर्जुन! परमेश्वर प्रत्येक जीव के हृदय में स्थित है।
संघर्ष करते हुए कभी मत घबराना,क्योंकि संघर्ष के दौरान ही इंसान अकेला होता हैसफलता के बाद तो सारी दुनिया साथ देती है।
जो लोग ह्रदय को नियंत्रित नही करते है,उनके लिए वह शत्रु के समान काम करता है।
शिक्षा और ज्ञान उसी को मिलता है जिसमें जिज्ञासा होती है।
अभिमान नही होना चाहिये कि मुझे किसी की जरुरत नही पडेगी और यह वहम भी नही होना चाहिये की सब को मेरी जरूरत पडेगी
वह जो मृत्यु के समय मुझे स्मरण करते हुए अपना शरीर त्यागता है, वह मेरे धाम को प्राप्त होता है। इसमें कोई शंशय नहीं है।
“ समय जब न्याय करता है,तब गवाहों कीआवश्यकता नहीं पडती हैं..!!!
“धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्र समवेता युयुत्सव:। मामका: पांडवाश्चैव किमकुर्वत संजय।।”
“ जिस प्रकार सूर्य उगतेही अंधकार मिट जाता है,उसी प्रकार सही ज्ञान की प्राप्ति से अज्ञान का अंत हो जाता है…!!!
“ जहाँ आपकी कोई कीमत नही हैवहाँ पर रुकना अनुचित है,चाहे वो किसी का घरहो या किसी का मन…!!!
तुम खाली हाथ आए हो और खाली हाथ चले जाओगे।
जीवन का आनंद ना तो भूतकाल में है और ना भविष्यकाल में। बल्कि जीवन तो बस वर्तमान को जीने में है।
वह जो सभी इच्छाएं त्याग देता है और ‘मैं’ और ‘मेरा’ की लालसा से मुक्त हो जाता है उसे शांति प्राप्त होती है.
संसार में परेशानी देने वाले की हस्ती कितनी भी बड़ी क्यों न हो, पर भगवान की कृपादृष्टि से बड़ी कभी नहीं हो सकती है।
इंसान के परिचय की सुरूवात भले ही उसके चेहरे से होती होगी लेकिन उसकी सम्पुर्ण पहचान तो उसके वाणी से हि होती है
मेरा – तेरा , छोटा – बड़ा , अपना – पराया ,मन से मिटा दो , फिर सब तुम्हारा है , तुम सबके हो ।
सदैव संदेह करने वाले व्यक्ति के लिएप्रसन्नता न इस लोक में है और न ही परलोक में।
“ मनुष्य नही उसके कर्म अच्छे या बुरे होते हैं.और जैसे मनुष्य के कर्म होते हैं,उसे वैसे ही फल की प्राप्ति होती है…!!
सही कर्म वह नहीं है जिसके परिणाम हमेशा सही हो, अपितु सही कर्म वह है जिसका उद्देश्य कभी गलत ना हो।
व्यक्ति को अपने आप को सदैव ईश्वर को समर्पित कर देना चाहिए। तभी वह दुखों, चिंता और परेशानियों से मुक्त रह सकता है।
धरती पर जिस प्रकार मौसम में बदलाव आता है, उसी प्रकार जीवन में भी सुख-दुख आता जाता रहता है।
ऐसा कुछ भी नही ,चेतन या अचेतन ,जो मेरे बिना अस्तित्व मे रह सकता हो ।
समस्याए हमारे जीवन में बेवज़ह नहीं आती,उनका आना एक इशारा हैं की हमें अपने जीवन में कुछ बदलना हैं।
“ मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है,जैसा वह विश्वास करता है,वैसा वह बन जाता है…!!
आत्म-ज्ञान की तलवार से अपने ह्रदय से अज्ञान के संदेह को काटकर अलग कर दो उठो अनुशाषित रहो।
जितना हो सके खामोश रहना ही अच्छा है , क्योंकि सबसे ज्यादा गुनाह इंसान से उसकी जुबान ही करवाती है।
जब भविष्य धुंधला पड़ने लग जाता है, त आपको अपने वर्तमान में ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
हे अर्जुन! जो जीवन के मूल्य को जानता हो।इससे उच्चलोक की नहींअपितु अपयश प्राप्ति होती है।
“ सही कर्म वह नहीं है जिसकेपरिणाम हमेशा सही होअपितु सही कर्म वह है जिसकाउद्देश्य कभी गलत ना हो…!!
इतिहास कहता है कि कल सुख था, विज्ञान कहता है कि कल सुख होगा, लेकिन धर्म कहता है, अगर मन सच्चा और दिल अच्छा हो तो हर रोज सुख होगा।
फल की लालसा छोड़कर कर्म करनेवाला पुरुष ही अपने जीवनको सफल बनाता है।
हे अर्जुन ! में भूतकाल, वर्तमान औरभविष्यकाल के सभी जीवों को जानता हूं,लेकिन वास्तविकता में कोई मुझे नही जानता है।
जो महापुरुष मन की सब इच्छाओं को त्याग देता है और अपने आप ही में प्रसन रहता है, उसको निश्छल बुद्धि कहते है।
निंदा से घबराकर अपने लक्ष्य को कभी न छोड़े, क्योंकि लक्ष्य मिलते ही निंदा करने वालों की राय बदल जाती है।
“ अहंकार मनुष्य से वह सब करवाता हैंजो अंत में उसी के विनाश का कारण बनता हैं,इसलिए जीवन में जितना जल्दीहो सके अपना अहंकार त्याग दें…!!
श्रीमद भागवत गीता का मुख्य उद्देश्य मानव कल्याण करना है। इसलिए प्रत्येक मनुष्य को सदैव मानव कल्याण की ओर अग्रसरित रहना चाहिए।