Miss School Life Status In Hindi : होमवर्क ना कर पाने का डर भी ख़ुशी में बदल जाता था, जब पता लगता था आज किसी दोस्त ने भी होमवर्क नहीं किया है। वो स्कूल का दरवाज़ा वो लोहे का दरवाज़ा था या फिर जन्नत का दरवाज़ा।
स्कूल लाइफ में जो सीखते हैं,वही तो तय करता है कि हमारेजीवन का दिशा और दशा क्या होगी?
स्कूल की दोस्ती की सबसे बड़ी खासियत ये थी की यहां हैसियत नहीं बस मज़ाक और हसी देखी जाती थी।
स्कूल की दोस्ती की सबसे बड़ी खासियत ये थी की यहां हैसियत नहीं बस मज़ाक और हसी देखी जाती थी।
पहले स्कूल में कैसे भी खेलने के लिए वक़्त ढूंढ लेते थे, अब ज़िम्मेदारिया इतनी हैं वो वक़्त ढूंढने का भी वक़्त नहीं है।
पहले स्कूल एक बहाना था रोज़ मिलने का आज दफ्तर एक बहाना है कभी ना मिलने का।
बड़े-बड़े मसले आसानी से हल हो जाते थे, स्कूल के दिनों में दिलों में मेल इकठ्ठा नहीं हुआ करता था।
काश हम पहले की तरह सच्चे हो जाते काश हम फिर से बच्चे हो जाते.
मिल जाये काश वो स्कूल के पल एक बार फिर से नही चाहये और कुछ भी मुझे इस मतलबी ज़िंदगी से ।।
अरे पगली मे तो तुझे तब से चाहता हूँ, जब से तू स्कुल में दों चोटीया बांध कर आती थी !!
स्कूल की दोस्ती में एक बात ख़ास होती ,है इसमें पैसों की कोई अहमियत नहीं होती दोस्ती ही सबसे ज्यादा कीमती होती है।
कैसी पलट गई है ज़िन्दगी, पहले स्कूल ना जाने का बहाना ढूंढते थे अब स्कूल जाने का मौका तक नहीं मिलता।
स्कूल के दिनों में खुद के स्कूल से ज्यादा तो दूसरे के स्कूल में जाने का मज़ा आता था
दिल में वो स्कूल वाली तरंगें उठती है,जब साथ में पढ़े, पुराने दोस्त मिलते है.
हमे पता होता ये वक़्त तू इतना कुछ सिखाता है वरना तेरे ही स्कूल मे दाखिला लिया होता ।।
आती है गर्मियां आज भी पहले की तरह बस नही आते वो गर्मियों की छुट्टियां वाले दिन !!
ज़िन्दगी मैं इंसान को वक़्त ही सबकुछ सिखाता है, पर इसके स्कूल मे कहा कोई दिखिला ले पाता है ।।
बड़े-बड़े मसले आसानी से हल हो जाते थे, स्कूल के दिनों में दिलों में मेल इकठ्ठा नहीं हुआ करता था।
याद आते है वो स्कूल के यार जो साथ मार खाने को भी रहते थे हमेशा तैयार।
कन्धों पर बस्ता था पर वो कभी आज की ज़िम्मेदारियों की तरह बोझ नहीं लगा करता था।
पहले स्कूल में कैसे भी खेलने के लिए वक़्त ढूंढ लेते थे, अब ज़िम्मेदारिया इतनी हैं वो वक़्त ढूंढने का भी वक़्त नहीं है।
जो दोस्तों के संग नल्ली खाया नहीं,जो जोर से गल्ली में गाना गाया नहीं,किसी लड़की को दिल में बसाया नहीं,उसने स्कूल के दिनों को खूबसूरत बनाया नहीं।
अब कौन करे इंतज़ार लंच के होने का ये सोच कर स्कूल शुरू होते ही अपना लंच ख़त्म कर लेते थे।
स्कूल में पढ़ा क्या था सही से याद नहीं पर स्कूल का हर एक दिन अच्छे से याद है।
यूँ तो दुनिया की सारी बातें भूल जाता हूँ मैं लेकिन School वाला प्यार, अब भी मुझसे भूला नहीं जाता.
स्कूल में कुछ तो बात थी तभी स्कूल की बातें स्कूल के बाद भी याद आती है।
दिखावा नहीं था स्कूल में अच्छे कपड़ों का, वहां हर बच्चा एक ही वेश में एक सा लगता था।
अगर स्कूल में हर वक़्त पढ़ाई ही करते तोऐ जिंदगी !!! तू ही बता मौज-मस्ती कब करते
एक छोटे से कमरे में हम चालीस बच्चे रहते थे, वो मेरा दूसरा घर स्कूल थोड़ा छोटा था पर कमाल का था।
वही अच्छे थे स्कूल के इम्तेहान ये ज़िन्दगी के इम्तेहान में सवाल बहुत कठिन आते हैं।
हर सुबह उठ कर स्कूल को जाना, बड़ा खूबसूरत था वो स्कूल का ज़माना।
जिन दोस्तों की दोस्ती स्कूल के कई साल बाद भी बरकरार होती है, उस दोस्ती में एक अलग ही बात होती है।
बिन मांगे जब मिल जाती थी वो हर चीज चाहे वो माँ का प्यार हो या टीचर की खींच ।।
स्कूल हमेशा मैं देर से पहुँचता था, अगर पता होता की स्कूल के दिन इतनी जल्दी निकल जाएंगे तो हर दिन समय से पहले पहुंच जाता।
हर सुबह उठ कर स्कूल को जाना, बड़ा खूबसूरत था वो स्कूल का ज़माना।
होमवर्क ना कर पाने का डर भी ख़ुशी में बदल जाता था, जब पता लगता था आज किसी दोस्त ने भी होमवर्क नहीं किया है।
कदम-कदम पे नया इम्तिहान रखती है,जिंदगी तू भी मेरा कितना ध्यान रखती है.
मुँह मासूम सा किताबों के पीछे रहता था, पर उसे पढ़ने के लिए नहीं मास्टर जी से छुप कर बाते करने के लिए।
कैसी पलट गई है ज़िन्दगी, पहले स्कूल ना जाने का बहाना ढूंढते थे अब स्कूल जाने का मौका तक नहीं मिलता।
हर बात को बाद में देखने की बात करते थे, मैं और मेरे दोस्त निकम्मे हुआ करते थे स्कूल में बस बात किया करते थे।
स्कूल से दूर हो गए पर स्कूल दिल से कभी दूर नहीं हो सका।
निकर से फुल पैंट तक का सफर,पेंसिल के बाद पेन से लिखने का हुनर,यारी का मतलब भी सीखा जिधरइसे स्कूल कह लो या कह लो घर.आभाष झा
दिखावा नहीं था स्कूल में अच्छे कपड़ों का, वहां हर बच्चा एक ही वेश में एक सा लगता था।
कन्धों पर बस्ता था पर वो कभी आज की ज़िम्मेदारियों की तरह बोझ नहीं लगा करता था।
अब कौन करे इंतज़ार लंच के होने का ये सोच कर स्कूल शुरू होते ही अपना लंच ख़त्म कर लेते थे।
जिंदगी के स्कूल में सबक तो बहुत मिलते हैं मगर छुट्टियाँ नहीं”
एक वक़्त था जब स्कूल न जाने के लिए झूठ-मूठ सोया करते थे, और आज स्कूल के दिनों को याद कर रोया करते हैं।
भरी दुपहरी में नाप आते थे बचपन में सारा मोहल्ला जब से डिग्री समझ में आयी पावं जलने लगे ।।
जिन दोस्तों की दोस्ती स्कूल के कई साल बाद भी बरकरार होती है, उस दोस्ती में एक अलग ही बात होती है।
अज्ञान को खतम कर, ज्ञान का सागर पाया अपने स्कूल की कृपा से, ये अनमोल विचारधारा मिल पाया
कन्धों पर ज़िम्मेदारियाँ नहीं बस बस्ते थे, तभी स्कूल के दिनों में हम जी खोल कर हसते थे।
स्कूल का पहला दिन और आखिरी दिन एक जैसा था, दोनों बार आँखों में आंसू थे पर दोनों बार रोने की वजह अलग थी।
दुःख दर्द सब भूल जाते हैं चल फिर से स्कूल जाते हैं
वो राह आज भी याद है जहाँ था स्कूल मेरा, वही मेरी नन्ही सी दुनिया थी वही खूबसूरत जहाँ था स्कूल मेरा।
याद है मुझे उस गर्व का एहसान होना एक रात पहले पढ़ कर भी इम्तेहानों में पास होना।
बस एक बार और मिल जाएंगे जो मुझे स्कूल के दिन वापस तो इस बार स्कूल के दिन काटूंगा नहीं खुल कर जियूँगा।
स्कूल की परीक्षाएँ पास कर लेते है,कॉलेज की परीक्षाएँ पास कर लेते है,फिर जिंदगी परीक्षा लेना शुरू करती हैतो मृत्यु तक इसकी परीक्षा खत्म नहींहोती है.
वो जो स्कूल के दरमियां गुजारे थे दिन अब याद आ रहा है वाह वाह क्या थे वो दिन
पढ़ने लिखने में ध्यान कम था ज़रा, पर स्कूल ने मुझे दोस्ती का मतलब पढ़ाया है।
खेलते-खेलते लड़ाई और खेल-खेल में दोस्ती ऐसा कारनाम सिर्फ स्कूल के दोस्तों में हुआ करता था।
स्कूल से दूर हो गए पर स्कूल दिल से कभी दूर नहीं हो सका।
वो स्कूल का दरवाज़ा वो लोहे का दरवाज़ा था या फिर जन्नत का दरवाज़ा।
काश एक दफा फिर स्कूल के दिन लौट आए, पक्का इस बार ना जाने का कोई बहाना नहीं बनाऊंगा।
बस एक दिन लौटा दो वो दोस्तों का साथ वो छोटी क्लास वो मैदान की घांस।
फिर से वो बस्ता थमा दो ना माँ स्कूल वाला मेरे काँधे में, क्योंकि ज़िम्मेदारियों का बोझ बस्ते से बहुत भारी हैं…..!
सोलह प्रकार की सब्जियां, चावल, पुरी आते थे, बचपन में इस घर का खाना बड़े चाव से खाते थे।
जितनी बुरी कही जाती है उतनी बुरी नहीं है दुनियाबच्चों के स्कूल में शायद तुम से मिली नहीं है दुनियानिदा फ़ाज़ली
स्कूल के जिगरी दोस्त जो एक पल ना रह पाते थे आज वही दोस्त एक पल के लिए भी नही दिखते है ।।
ए वक्त, तू इतना सिखाता है ऐसा पता होता, तो तेरे ही स्कूल में दाखिला लिया होता ना।
दिन सुहाने लगते थे हँसते थे रोते थे जब हम भी स्कूल जाए करते थे ।।
दिल दुखाना हमारी आदत नहीं, दिल हम किसी का कभी तोड़ते नहीं। बड़े आसानी से कर लेते हैं हम हर किसी पे भरोसा, क्योकि धोखा देना हमें स्कूल में सिखाया नहीं
आज भी जब कॉलेज के दोस्त मिल जाते हैं, तो दिल में जवानी के फूल खिल जाते हैं.
याद आते है वो स्कूल के यार जो साथ मार खाने को भी रहते थे हमेशा तैयार।