240+ Bhagwat Geeta Whatsapp Status In Hindi | Shrimad Bhagavad Gita Status in Hindi

Bhagwat Geeta Whatsapp Status In Hindi , Shrimad Bhagavad Gita Status in Hindi
Author: Quotes And Status Post Published at: October 23, 2023 Post Updated at: March 26, 2024

Bhagwat Geeta Whatsapp Status In Hindi : निर्णय लेते समय ना ज्यादाखुश हो ना ज्यादा दुखी हो,ये दोनो परिस्थितियाँ आपकोसही निर्णय लेने नही देती सफलता जिस ताले में बंद रहती है वह दो चाबियों से खुलती है।एक कठिन परिश्रम और दूसरा दृढ संकल्प ।

हे अर्जुन! मैं वह काम हूँ, जो धर्म के विरुद्ध नहीं है।

ईश्वर, ब्राह्मणों, गुरु, माता-पिता जैसे गुरुजनों की पूजा करना तथा पवित्रता, सरलता, ब्रह्मचर्य और अहिंसा ही शारीरिक तपस्या है।

~ जब जब इस धरती पर पाप, अहंकार और अधर्म बढ़ेगा। तो उसका विनाश कर धर्म की पुन: स्थापना करने हेतु, मैं अवश्य अवतार लेता रहूंगा।

सुख – दुख का आना और चले जाना सर्दी-गर्मी के आने-जाने के समान है।

मेरा तेरा, छोटा बड़ा, अपना पराया, मन से मिटा दो, फिर सब तुम्हारा है और तुम सबके हो।

सत्य कभी दावा नहीं करता किमैं सत्य हूं लेकिन झूठ हमेशादावा करता हैं कि सिर्फ मैं ही सत्य हूं

जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पतन हो जाता है.

फल की अभिलाषा छोड़कर कर्म करने वाला पुरुष ही अपने जीवन को सफल बनाता है।

और बुद्धि के नाश होने से वह मनुष्य नष्ट हो जाता है।

मनुष्य अपने विचारो से ऊचाईयाँ में भी हो सकता है,और खुद को गिरा भी सकता है क्योकि हरव्यक्ति खुद का मित्र भी होता है और शत्रु भी

अपने मन पर नियंत्रण रखना अत्यधिक आवश्यक है। अगर आप अपने मन पर पर नियंत्रण नहीं करते तो आपका ही मन आपके लिए शत्रु का काम करेगा।

मनुष्य जिस भी देवता की पूजा विश्वास के साथ करने की इच्छा रखता है,

मैं भूत, वर्तमान और भविष्य के सभीप्राणियों को जानता हूँ,किन्तु वास्तविकता मेंमुझे कोई नहीं जानता

हे अर्जुन! तुम्हारे तथा मेरे अनेक जन्म हो चुके है। मुझे तो वो सब जन्म याद है लेकिन तुम्हे नहीं।

आत्मा न तो पैदा होती है, और न ही वह मरती है

फल की लालसा छोड़कर कर्म करने वाला पुरुष ही अपने जीवन को सफल बनाता है।

~ फल की अभिलाषा छोड़कर कर्म करने वाला पुरुष ही अपने जीवन को सफल बनाता है।

जो हुआ वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है वह अच्छा हो रहा है, जो होगा वो भी अच्छा ही होगा।

~  जन्म लेने वाले के लिए मृत्यु उतनी ही निश्चित है, जितना कि मृत होने वाले के लिए जन्म लेना। इसलिए जो अपरिहार्य है उस पर शोक मत करो।

~ जिस तरह प्रकाश की ज्योति अँधेरे में चमकती है, ठीक उसी प्रकार सत्य भी चमकता है। इसलिए हमेशा सत्य की राह पर चलना चाहिए।

जब तक आत्मा इन चारो दरवाज़ों धर्म, काम, अर्थ और मोक्ष को समझ नहीं लेती तब तक आत्मा को बार बार इस मनुष्य रूप में आना ही पड़ेगा।

कर्म करो फल की चिंता मत करो।

हे अर्जुन! जो बहुत खाता है या कम खाता है, जो ज्यादा सोता है या कम सोता है, वह कभी भी योगी नहीं बन सकता।

हे अर्जुन! जो बुद्धि धर्म तथा अधर्म, करणीय तथा अकरणीय कर्म में भेद नहीं कर पाती, वह राजा के योग्य है।

~ वह जो वास्तविकता में मेरे उत्कृष्ट जन्म और गतिविधियों को समझता है, वह शरीर त्यागने के बाद पुनः जन्म नहीं लेता और मेरे धाम को प्राप्त होता है।

क्रोध से उत्पन्न होता है मोह और मोह से स्मृति विभ्रम,

जो दान बिना सत्कार के कुपात्र को दिया जाता है वह तमस दान कहलाता है।

केवल व्यक्ति का मन ही किसी का मित्र और शत्रु होता है।

~ सदैव संदेह करने वाले व्यक्ति के लिए प्रसन्नता ना इस लोक में है ना ही कहीं और।

~ मेरा तेरा, छोटा बड़ा, अपना पराया, मन से मिटा दो, फिर सब तुम्हारा है और तुम सबके हो।

शरीर द्वारा किए कर्मों के माध्यम से परमात्मा को पाने को कर्मयोग कहते हैं। ऐसे कर्म जो परमात्मा की इच्छा से हों और दूसरों के कल्याण के लिए हों।

हे अर्जुन! धन और स्त्री सब नाश रूप है। मेरी भक्ति का नाश नहीं है।

गुरु दीक्षा बिना प्राणी के सब कर्म निष्फल होते है।

मन की गतिविधियों, होश, श्वास, और भावनाओं के माध्यम से

~ मनुष्य को परिणाम की चिंता किए बिना, लोभ- लालच बिना एवं निस्वार्थ और निष्पक्ष होकर अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए।

जिस मनुष्य के पास सब्र की ताकत है,उस मनुष्य की ताकत का कोईमुकाबला नहीं कर सकता

हे अर्जुन! परमेश्वर प्रत्येक जीव के हृदय में स्थित है।

हे अर्जुन ! हम दोनों ने कई जन्म लिए है, मुझे याद है लेकिन तुम्हें नही।

स्मृति के भ्रमित होने पर बुद्धि का नाश होता है

इन भावनाओं को मनुष्य को हमेशा अपने नियंत्रण में रखना होगा, क्योंकि इनके बहाव में किया गया कोई भी काम हमारी जीवन भर की परेशानी का कारण बन सकता है।

एक असफल योगी का पुन: एक पवित्र और समृद्ध कुटुंब में जन्म होता है |

~ कर्म वह फसल है जिसे इंसान को हर हाल में काटना ही पड़ता है इसलिए हमेशा अच्छे बीज बोए ताकि फसल अच्छी हो।

जन्म लेने वाले के लिए मृत्यु उतनी ही निश्चित है,जितना कि मृत होने वाले के लिए जन्म लेना।इसलिए जो अपरिहार्य है उस पर शोक मत करो।

~ मन की गतिविधियों, होश, श्वास, और भावनाओं के माध्यम से भगवान की शक्ति सदा तुम्हारे साथ है।

वह व्यक्ति जो सभी इच्छाएं त्याग देता है और ‘में’ और ‘मेरा’ की लालसा और भावना से मुक्त हो जाता है, उसे अपार शांति की प्राप्ति होती है।

नहीं तो यह आपके साथ शत्रुवत आचरण करेगा |

जन्म लेने वाले के लिए मृत्यु उतनी ही निश्चित है, जितना कि मरने वाले के लिए जन्म लेना। इसलिए जो अपरिहार्य है, उस पर शोक नही करना चाहिए।

सदैव संदेह करने वाले व्यक्ति के लिए प्रसन्नता न इस लोक में है और न ही परलोक में।

जो मुझे सर्वत्र देखता है और सब कुछमुझमें देखता है उसके लिए न तो मैंकभी अदृश्य होता हूँ और न वहमेरे लिए अदृश्य होता है

ये मन ही है जो किसी का मित्र और किसी का शत्रु होता है।

अच्छे कर्म करने के बावजूद भी लोग केवल आपकी बुराइयाँ ही याद रखेंगे, इसलिए लोग क्या कहते है इस पर ध्यान मत दो, तुम अपना काम करते रहो।

सफलता जिस ताले में बंद रहती है वह दो चाबियों से खुलती है।एक कठिन परिश्रम और दूसरा दृढ संकल्प ।

हे कुन्तीपुत्र! मैं जल का स्वाद हूँ, सूर्य तथा चन्द्रमा का प्रकाश हूँ, वैदिक मन्त्रों में ओंकार हूँ, आकाश में ध्वनि हूँ तथा मनुष्य में सामर्थ्य हूँ।

तुम खाली हाथ आए थे, और तुम खाली हाथ चले जाओगे।

~ इतिहास कहता है कि कल सुख था, विज्ञान कहता है कि कल सुख होगा, लेकिन धर्म कहता है कि, अगर मन सच्चा और दिल अच्छा हो तो हर रोज सुख होगा।

जिन्होंने आपके साथ बुरा किया, उनको माफ़ करके और जिनका आपने बुरा किया उनसे माफ़ी मांग के मुक्ति पाई जा सकती है।

और जो उस कर्म से वंचित रहता है,उसे मोक्ष नहीं मिल पाता है |

भगवद गीता के अनुसार नरक के तीन द्वार होते है, वासना, क्रोध और लालच।

कृष्णा की कही हुयी बातें पढ़ के बहुत अच्छा लगता है। एक दिन जरूर गीता पढ़ने की कोशिश करेंगे।

गीता में कहा गया है कोई भीअपने कर्म से भाग नहीं सकताकर्म का फल तो भुगतना ही पड़ता है

~ परमात्मा को प्राप्ति के इच्छुक ब्रम्हचर्य का पालन करते है।

अपने मन को नियंत्रित करना सीखो,

~ एक ज्ञानवान व्यक्ति कभी भी कामुक सुख में आनंद नहीं लेता।

हे अर्जुन! प्रबुद्ध व्यक्ति के लिए, गंदगी का ढेर, पत्थर, और सोना सभी समान है।

~ लोग आपके अपमान के बारे में हमेशा बात करेंगे। सम्मानित व्यक्ति के लिए, अपमान मृत्यु से भी बदतर है।

जब तक आप अच्छा काम करते हैं, तब तक चिंता न करें।

भगवान की शक्ति सदा तुम्हारे साथ है,

जो सब प्राणियों के दुख-सुख को अपने दुख-सुख के समान समझता है और सबको समभाव से देखता है, वही श्रेष्ठ योगी है।

मनुष्य अपने शरीर, दिमाग या दिल से भगवान को पा सकता है।

परमात्मा को प्राप्ति के इच्छुक ब्रम्हचर्य का पालन करते है।

जो लोग ह्रदय को नियंत्रित नही करते है, उनके लिए वह शत्रु के समान काम करता है।

जो मनुष्य अपने कर्मफल प्रति निश्चिंत है,और जो अपने कर्तव्य का पालन करता है,वहीं असली योगी है

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